इंडिगो विवाद गहराया, गंगवाल से सवाल कर सकता है बोर्ड

इंडिगो के प्रमोटर के बीच शुरू हुआ विवाद कम होता नहीं दिख रहा. नाराज प्रमोटर के एक लेटर से पैदा हुए विवाद के बावजूद ऐसा लगता है कि इंडिगो के को-प्रमोटर राहुल भाटिया अपने रुख से हिलने वाले नहीं हैं. इस बात की संभावना नहीं दिख रही कि वह एयरलाइन के नियंत्रण में बदलाव को लेकर सहमत होंगे जिसके तहत उनको चेयरमैन, सीईओ और अन्य प्रबंधन अधिकारियों को नामित करने का अधिकार मिला हुआ है. इस बीच खबर है कि कंपनी के दूसरे को-फाउंडर राकेश गंगवाल से बोर्ड के सदस्य पूछताछ कर सकते हैं.एयरलाइन के दो को-फाउंडर राकेश गंगवाल और भाटिया के बीच टकराव 8 जून को तब सामने आया जब गंगवाल ने आरपीटी और कॉरपोरेट नियंत्रण के मुद्दों को लेकर बाजार विनियामक SEBI (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) को पत्र लिखा.न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि भाटिया किसी सरकारी एजेंसी से कंपनी की बैलेंस सीट की जांच करवाने को लेकर तैयार थे, क्योंकि कंपनी के नजरिये से इसकी कार्यप्रणाली में कोई कमी नहीं है. इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, इंडिगो बोर्ड के कुछ सदस्य कंपनी के को-फाउंडर राकेश गंगवाल से इस बारे में सवाल कर सकते हैं कि आखिर उन्होंने इंजन बनाने वाली कंपनी प्रैट ऐंड व्हिटनी (PW) को इंजन का ऑर्डर न देने का निर्णय खुद क्यों लिया और बोर्ड से इस बारे मे मशविरा क्यों नहीं किया. असल में इसके पहले इंडिगो के इंजन के सभी ऑर्डर पीडब्ल्यू को ही मिलते थे, लेकिन हाल में 20 अरब डॉलर का ऑर्डर उसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनी सीएफएम को दे दिया गयाएक एग्जिक्यूटिव ने आईएएनएस को बताया, ‘संबंधित पक्ष हस्तांतरण (आरपीटी) और कॉरपोरेट नियंत्रण से जुड़े मुद्दे उठाए गए हैं. इस बहाने एक प्रमोटर नियंत्रण में बदलाव चाहता है, लेकिन राहुल भाटिया ऐसा नहीं करने जा रहे हैं.’ लेटर की एक कॉपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और शीर्ष स्तर के सरकारी अधिकारियों को भेजी गई है.  कंपनी में गंगवाल और उनके परिवार की 37 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि भाटिया और उनके परिवार के पास देश की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की एयरलाइन कंपनी में 38 फीसदी हिस्सेदारी है और करीब 50 फीसदी शेयर शेयर बाजार के माध्यम से अन्य लोगों के पास है.   गंगवाल ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि कंपनी द्वारा नियंत्रण के आधारभूत नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. साथ ही, उन्होंने आरपीटी को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि अगर त्रुटियों को दूर नहीं किया गया तो इसके दुर्भाग्यपूर्ण अंजाम देखने को मिलेंगे.  बताया गया है कि भाटिया के पास इंडिगो में असामान्य अधिकार है जिसके तहत वह छह में से तीन निदेशकों की नियुक्ति कर सकते हैं. इसके अलावा वह एमडी, सीईओ व प्रेसिडेंट की नियुक्ति कर सकते हैं. गंगवाल का आरोप है कि इन अधिकारों का उपयोग उचित ढंग से नहीं किया जा रहा है.