ऐसे ही ताश के पत्तों की तरह ढह जाती हैं इमारतें
सोलन -हिमाचल की खूबसूरत वादियों में तेजी से बढ़ रहे कंक्रीट के जंगल न केवल मनमोहक सुंदरता पर ग्रहण लगा रहे हैं, वहीं मानव जीवन को भी खतरे में डाल रहे हैं। नियमों को ताक पर रखकर बन रही बहुमंजिला इमारतें विकास नहीं, बल्कि विनाश का कारण बन रही हैं। रविवार को कुमारहट्टी के पास धराशाई हुई बहुमंजिला इमारत भी कुछ ऐसी ही कहानी बयां कर गई। इस इमारत ने कुछ जिंदगियां लील लीं और कुछ को कभी न भरने वाले जख्म दे दिए। यह पहला मौका नहीं है जब प्रदेश में कोई बहुमंजिला इमारत गिरी हो। इससे पहले भी कई इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढही हैं। इन हादसों में न जाने कितने ही मासूम लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दी, लेकिन इसके बाद भी सबक नहीं लिया जा रहा। मुनाफा कमाने को धड़ाधड़ रेत के पहाड़ खड़े किए जा रहे हैं। कुमारहट्टी के समीप ढही इस इमारत को लेकर भी कथित तौर पर यही कहा जा रहा है। हादसे के बाद एक बार फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म है कि कब तक पहाड़ों में इस तरह के कंक्रीट के जंगल खड़ा करने की इजाजत दी जाएगी। कब तक ये रेत के पहाड़ यूं ही मासूम लोगों की जिंदगियां लीलते रहेंगे और कब तक सरकार के नुमाइंदे प्रभावित परिवारों को राहत राशि देकर इतिश्री करेंगे।
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