कर्नाटक संकट पर 18 को बड़ा दिन

By: Jul 16th, 2019 12:02 am

कुमारस्वामी ने विधानसभा में रखा विश्वास प्रस्ताव, दो दिन बाद होगी चर्चा

 बंगलूर –कर्नाटक में जारी सियासी नाटक के अभी और लंबा खिंचने के आसार साफ नजर आ रहे हैं। कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया ने ऐलान किया है कि 18 जुलाई को विधानसभा में विश्वासमत पर चर्चा होगी। सिद्धारमैया ने बताया कि सीएम एचडी कुमारस्वामी ने विधानसभा के अंदर विश्वास प्रस्ताव रखा और 18 जुलाई को इस पर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने तीन दिन बाद विश्वासमत पर चर्चा करने का ऐलान कर एक तीर से कई शिकार करने कोशिश की है। इससे पहले कुमारस्वामी ने कहा था कि वह किसी भी समय विश्वासमत के लिए तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट उसी दिन अपना फैसला सुना सकता है। इसी को देखते हुए कांग्रेस ने विश्वासमत के लिए 18 जुलाई का समय तय किया है। इससे कांग्रेस-जेडीएस को एक और फायदा यह होगा कि उन्हें कुमारस्वामी सरकार को बचाने के लिए और ज्यादा समय मिल जाएगा। हालांकि इससे भाजपा कतई खुश नहीं होगी और वह राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में हंगामा कर सकती है। भाजपा तत्काल विश्वासमत पर वोट कराने की मांग कर रही है। इससे राज्य सरकार को अगले तीन दिन तक नीतिगत निर्णय लेने में परेशानी होगी। इससे पहले कर्नाटक में अपने बागी विधायक एमटीबी नागराज के यू-टर्न के सहारे सत्ता बरकरार रखने के सपने देख रही कांग्रेस पार्टी को रविवार को तगड़ा झटका लगा। राज्य विधानसभा में विश्वास मत से ठीक पहले कांग्रेस विधायक एमटीबी नागराज वापस मुंबई पहुंच गए। नागराज के झटके से उबरने में लगी कांग्रेस पार्टी अब अपने नाराज विधायक और पूर्व मंत्री आर रामलिंगा रेड्डी को मनाने में लग गई है। बताया जा रहा है कि रेड्डी की बेटी और विधायक सौम्या और एक अन्य कांग्रेस विधायक अंजलि निंबाल्कर जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं। ताजा हालात से कुमारस्वामी सरकार के गिरने के आसार तेज हो गए हैं। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने विश्वासमत को तीन दिन तक टालकर सरकार को बचाने की एक अंतिम कोशिश की है।

सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई के दौरान अगर स्पीकर को स्वतंत्रतापूर्वक काम करने की अनुमति देता है तो यह आदेश  कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की मदद करेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष बागी विधायकों के इस्तीफे को या तो स्वीकार कर सकते हैं या खारिज कर सकते हैं। उनके पास दल-बदल विरोधी कानून के तहत कुछ विधायकों को अयोग्य घोषित करने की भी शक्ति है। इससे कुमारस्वामी सरकार चल सकती है क्योंकि राजनीतिक दल बागी विधायकों पर पार्टी लाइन पर चलने के लिए दबाव डाल सकते हैं। बागी विधायकों की याचिका पर अगर सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले को टाल देता है या उसे बड़ी बैंच को रैफर कर देता है तो कर्नाटक का संकट और लंबा खिंच सकता है।


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