काजा रूट पर आज से दौड़ेगी बस

नौ माह बाद लोगों को मिलेगी सुविधा, बर्फ की कैद से आजाद होते ही मनाली से स्पीति पहुंचना हुआ आसान

केलांग –मनाली-काजा सड़क पर नौ माह बाद एचआरटीसी की बस दौड़ेगी। गुरुवार से हिमाचल पथ परिवहन निगम अपनी बस सेवा उक्त रूट पर शुरू करने जा रहा है। स्पीति घाटी के मनाली से जुड़ते ही जहां लाहुल-स्पीति के सभी रास्ते अब बर्फ से आजाद हो गए हैं, वहीं बर्फीले रेगिस्तान मंे पहुंचना भी आसान होगा। एचआरटीसी के केलांग डिपो के आरएम मंगलचंद मनेपा ने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि मनाली-काजा सड़क बड़े वाहनों के लिए बहाल होते ही जहां निगम के अधिकारियों ने प्रशासन व बीआरओ के जवानों के साथ सड़क का निरीक्षण किया था, वहीं बस का ट्रायल भी किया गया था, जो सफल रहा। ऐसे में निगम की बस सेवा को गुरुवार को कुल्लू-काजा रूट पर शुरू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुल्लू बस स्टैंड से काजा के लिए  सुबह 3:30 मिनट पर बस चलेगी, जबकि काजा से मनाली के लिए बस सुबह पांच बजे चलेगी। यहां बता दें कि  इससे पहले जहां शिमला-रामपुर होते ही निगम की बसें स्पीति के लिए दौड़ रही थीं, वहीं अब नौ माह बाद मनाली की तरफ से भी स्पीति के लिए एचआरटीसी दौड़ती नजर आएगी। हालांकि इस बार मनाली-ग्रांफू-काजा सड़क करीब एक माह देरी से बहाल हुई है, वहीं सड़क के बहाल होते ही छोटे वाहनों में सैलानियों का स्पीति पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। स्पीति घाटी में पर्यटन कारोबार से जुड़े तेंजिंग का कहना है कि मनाली घूमने आने वाले सैलानी स्पीति पहुंचने के लिए मनाली-ग्रांफू-काजा सड़क से होते हुए स्पीति पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकतर सैलानी विशेष तौर पर स्पीति में मौजूद चंद्रताल झील देखने के लिए आते हैं।  उक्त सड़क के बहाल होने के बाद जहां चंद्रताल झील पर पहुंचना आसान हो जाता है, वहीं अब स्पीति में पर्यटन कारोबार भी रफ्तार पकड़ेगा।

430 रुपए होगा एक तरफ का किराया

कुल्लू से काजा की दूरी करीब 242 किलो मीटर है। एचआरटीसी बस में स्पीति जाने के लिए यात्रियों को 430 रुपए किराया अदा करना होगा, जबकि मनाली से एचआरटीसी बस में 360 रुपए किराया अदा करना होगा।

कुल्लू से 15 घंटे में पहुंचेंगे स्पीति

कुल्लू से काजा का सफर तय करने के लिए एचआरटीसी 15 घंटे का समय लेगी, जबकि शिमला-रामपुर होते हुए स्पीति पहुंचने के लिए 20 से 22 घंटे का समय लगता है। निगम की बस सेवा के शुरू होने से स्थानीय लोग तो खुश हैं ही सैलानियों की खुशी का भी ठिकाना नहीं है।