कुछ अपने निवेश का साझापन

By: Jul 11th, 2019 12:05 am

निवेश के पथ पर हिमाचल को देखने का एक नया दौर शुरू हुआ है और इसे तसदीक करती गतिविधियों में देश के औद्योगिक घराने यहां कदम रख रहे हैं। हम इसे शुभसूचना के रूप में देखें, फिर भी यह दो संसारों के बीच स्वयं की तलाश है। पलक-पांवड़े बिछा कर भारतीय कारपोरेट जगत का स्वागत करना खुद में निवेश की गुणात्मक शक्ति प्रदान करने सरीखा है, लेकिन सागर का अस्तित्व छोटी नदियों से भी तो है, यानी हिमाचल के अपने निवेशक की पहचान भी नए सिरे से करनी होगी। यह कार्य एक सर्वेक्षण के माध्यम से करना होगा कि पिछले दशक में प्रदेश के विकास में निजी योगदान का असर रोजगार से जीडीपी तक कितना रहा। कहना न होगा कि इस दौरान व्यापारिक उद्देश्यों की बुनियाद गहरी और सपनों के महल ऊंचे हुए हैं। इसलिए हिमाचली निवेशक को नई परिपाटी से जोड़ने के लिए राज्य सरकार का सार्थक हस्तक्षेप होना चाहिए। सरकार को अपने पार्टनर ढूंढने में हजारों हिमाचली चाहिएं। मसलन पर्यटक सीजन की सारी कसरतें प्रशासनिक व्यवस्था के तहत हर साल अपने नक्शे बनाती है, लेकिन टूअर आपरेटर, निजी परिवहन या टैक्सी संचालक, होटल-ढाबा मालिक या दुकानदारों से मिलकर नया खाका नहीं बनता। प्रदेश में सैकड़ों टैक्सियां या वोल्वो बसों के माध्यम से कितने पर्यटक आ-जा रहे और इससे संबंधित डाटा विश्लेषण से क्या निकल रहा है, इसकी कोई स्थायी व्यवस्था नहीं। क्या टैक्सी या निजी टूरिस्ट बसों की बढ़ोतरी से प्रदेश की आय को सीधा लाभ नहीं मिलता, तो इसे निवेश की भूमिका में देखना होगा और इसी के अनुरूप सुविधाएं भी देनी होंगी। यानी इस तरह के परिवहन के लिए टैक्सी व वोल्वो स्टैंड बनाए जाएं या निजी परिवहन के अलग से बस स्टैंड बनाने की सोच पैदा की जाए। प्रदेश भर के मुख्य मार्गों पर खड़े रेहड़ी-फड़ी या अन्य विक्रेता को हर दस किलोमीटर के बाद छत व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएं, तो स्वरोजगार के साथ-साथ हिमाचल का हाई-वे टूरिज्म व्यवस्थित होगा। ऐसे में दुनिया के बदले सफर को अगर हिमाचल में आमंत्रित करने की पहल में मुख्यमंत्री के विदेश दौरे अहमियत रखते हैं, तो प्रदेश के निवेशकों के प्रतिनिधिमंडल भी विदेश दौरों पर ले जाने होंगे। टैक्सी संचालकों या होटल मालिकों के प्रतिनिधिमंडलों को विदेशी मॉडल के साक्षात अनुभव से अपनी दुनिया बदलने के कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं। लंदन के टैक्सी संचालन की श्रेष्ठता सीखनी है, तो ऐसे कार्यक्रम चलाने होंगे, ताकि हिमाचल से कुछ प्रतिनिधिमंडल वहां भेजे जा सकें। इसी तरह साहसिक खेलों में आते निवेशकों को, विश्व भ्रमण के जरिए सोच की नई परिपाटी से जोड़ा जा सकता है। हिमाचल के व्यापार मंडलों का इसी परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन और स्थिति-निर्धारण के सवाल पर नए संवाद को आगे बढ़ाना होगा। बेशक हिमाचल कौशल विकास के कई कार्यक्रम चल रहे हैं, लेकिन स्कूल से कालेज तक के सफर में स्वरोजगार या नए रोजगार से छात्रों का परिचय अब एक मजबूत विषय के रूप में पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण या नए प्रयोगों से सुसज्जित होना चाहिए। निवेश की अभिलाषा में हिमाचल ने अपने भीतर के कई बंद दरवाजे खोले हैं, तो यह भी जरूरी है कि इसी के अनुरूप युवा मानसिकता को भविष्य के हर आयाम से जोड़ा जाए। प्रदेश में करियर या उच्च शिक्षा के दस्तावेज अगर एमबीए, इंजीनियरिंग व अन्य प्रोफेशन की पढ़ाई से जुड़ते हैं, इस छात्र समुदाय को भविष्य का निवेशक बनाना होगा। स्वरोजगार से छात्रों का लगाव बढ़ाने के लिए सेमिनारों के अलावा सरकार को देशभर की संभावनाओं से मुलाकात कराने का जरिया बनना होगा। हिमाचल की ट्रक यूनियनों व व्यापार मंडलों के सहयोग से पार्किंग तथा परिवहन नगर जैसे क्षेत्रों में निवेश का सहयोगी मॉडल अख्तियार किया जा सकता है। मंदिर ट्रस्टों की आमदनी को भविष्य के निवेश में निरूपित करें, तो धार्मिक शहरों की अधोसंरचना तथा रेल परियोजनाओं की दृष्टि से विकास संभव है। 


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