कुलपति को सौंपा ज्ञापन

शिमला—हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई द्वारा विश्वविद्यालय कुलपति को छात्रों की मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। एसएफआई ने बताया कि जितनी भी मांगें कुलपति के समक्ष रखी गई हैं वे पिछले लंबे समय से विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष रखते आए हैं परंतु अभी तक इन मांगों को लेकर कोई भी सकारात्मक पहल विश्वविद्यालय कुलपति के द्वारा नहीं की गई है। एसएफआई ने बताया कि हाल ही में विश्वविद्यालय में नए सत्र के लिए काउंसिलिंग हुई है परंतु अभी तक लगभग हर विभाग में जितने भी छात्रों के द्वारा काउंसिलिंग में उपस्थिति दर्ज करवाई गई है उन छात्राओं के रिजल्ट अभी तक लंबित पड़े हुए हैं, जिसमें आर्ट विषय में लगभग 6 विभागों में 50 से ज्यादा रिजल्ट अभी तक पूर्ण रूप से ठीक नहीं किए गए हैं। वहीं दूसरी ओर विधि विभाग में 50, एमबीए 15, फिजिक्स 12, गणित 7, एमबीएआरडी 26 केमिसट्री 22, इन तमाम विभागों में जो छात्र मेरिट का हिस्सा बनने वाले हैं वह छात्र भी इस सूची में हैं। जिनके परिणाम अभी पूर्ण रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा  दुरुस्त नहीं किया गया है जिसके चलते छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से इस साल के शैक्षणिक सत्र में भी देरी होती जा रही है, जिससे नए छात्रों को होस्टल आबंटन में भी देरी का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही इंटर गर्ल्स होस्टल आउटिंग को भी विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द से जल्द शुरू करें। वहीं बॉयस इंटर होस्टल एंट्री तथा रात्रि 10ः00 बजे के बाद भी छात्रों को होस्टलों में आने जाने की अनुमति दी जाए। परंतु अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इन मांगों पर संज्ञान नहीं लिया गया है। कुछ समय पहले विश्वविद्यालय के अंदर हो रही आउटसोर्स भर्ती के खिलाफ  छात्र समुदाय ने कुलपति महोदय को एक ज्ञापन भी दिया था, जिसमें यह मांग की गई थी कि प्रशासन विश्वविद्यालय के अंदर रेगुलर बेस पर भर्तियां करें न कि आउटसोर्स के आधार पर लेकिन विश्वविद्यालय कुलपति के द्वारा कोई सकारात्मक कदम  इस दिशा में नहीं उठाया गया है । विश्वविद्यालय में पीएचडी में एडमिशन को लेकर एक नया घोटाला सामने आता है। जिसमें कुलपति  के द्वारा आज दिन तक इस पूरे घटनाक्रम पर किसी प्रकार का कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। विश्वविद्यालय  प्रशासन के द्वारा   छात्र नेताओं के निष्कासन को लेकर पिछली एक्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में निर्णय हुआ था कि छात्र नेताओं के निष्कासन को बहाल किया जायेगा। परन्तु अभी तक प्रशसन ने निष्कासन को बहाल नहीं किया है। ये सारे मुद्दे विश्वविद्यालय में पड़ने वाले छात्र छात्राओं को प्रभावित करते हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में छात्रों को अपनी इन मांगों के लिए  विरोध प्रदर्शन पर पूर्ण रूप से रोक लगाई है। ऐसे में एसएफआई का कहना है कि अब परिस्थितियां ऐसी है कि छात्र ना तो विश्वविद्यालय में अपनी मागों लिए प्रदर्शन कर सकता है, ना तो अपनी मांगों को प्रशासन के सामने रख सकता है। एसीए के नाम पर विश्वविद्यालय द्वारा नाममात्र के छात्र  प्रतिनिधियों का चयन किया जाता तो है लेकिन आज दिन तक इन छात्र प्रतिनिधियों द्वारा किसी प्रकार के छात्र मुद्दो को ना तो उठाया गया है ना ही उसे प्रशासन के सामने रखने का प्रयास किया है। एसएफआई ने विश्वविद्यालय को  चेतावनी देते हुए कहां है कि यदि इन तमाम मांगों को लेकर यदि विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा जल्द से जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो आने वाले समय में विश्वविद्यालय  में तमाम छात्र समुदाय को लामबंद करते हुए निर्णायक आंदोलन  किया जाएगा।