कुल्लू में किस काम की वाटर एटीएम

कुल्लू –अमृत योजना के तहत जुड़े कुल्लू शहर की अगर बात करें तो अब तक कुल्लू शहर में अमृत योजना के जो काम होने चाहिए थे। वह न के बराबर होते भी तक दिखे हैं। करोड़ों रुपए केवल मात्र शहर के 11 वार्डों के लिए आएं है, लेकिन फिर भी कुछ वार्डों की हालत यह है कि लोगों में अभी तक विकास को लेकर भारी नराजगी है। अमृत योजना के तहत कुल्लू शहर में लगे वाटर एटीएम मंे यहां शोपीस बनकर रह गए हैं। 11 वार्डों में लगे वाचर एटीएम में बहुत कम ही ऐसे हंै। जिनका इस्तेमाल लोग पानी पीने के लिए करते हैं। यही नहीं कई वाटर एटीएम की हालत तो यह है कि कुछ शरारती तत्व इन्हें रात के अंधेरे में कई बार तोड़ चुके हैं व कुछ वाटर एटीएम अधूरे से हैं। लोगों में वाटर एटीएम को लेकर नराजगी है, कि ऐसे वाटर एटीएम का क्या लाभ जिसे जनता इस्तेमाल ही न करती हो। इसी के साथ पार्कों की हालत भी यूं ही बनी हुई है। हालांकि पार्कों का काम जिस तेजी से शुरु किया गया है। उस तेजी से बंद भी हो गया है। बताया जा रहा है कि अमृत योजना के तहत काम कर रही कंपनी ने अभी तक ठेकेदारों को भी सही से पेमेंट नहीं की है। दूसरी और जनता ने चुनकर भेजे पार्षद भी अभी तक शहर के विकास को लेकर लड़ाई लड़ते नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि अन्य कोई भी नगर परिषद के अंदर कोई बात को तो पार्षद जरुर उन्हें विश्वास में न लेकर काम करने की बात का आरोप अपने ही चुने हुए अन्य प्रतिनिधियों पर भी लगाते हैं। लेकिन जब बात विकास की है तो वहां पर कोई पार्षद खास आवाज उठाता नहीं दिखता है। नगर परिषद की कार्यप्रणाली से यहां जिला प्रशासन भी आहत है। नगर परिषद के अंदर चल रही कई तरह की खामियां व कर्मियों को लेकर प्रशासनिक अधिकारी भी परेशान हो चुके हैं। नगर परिषद में जिस व्यक्ति का कागजों में जो औहदा है। वह उसके विवरित काम करता है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिल्ड में काम करने वाला नगर परिषद का मजदूर बाबू बना बैठा तो कहीं बापू मजदूर से काम सिखने के लिए उसके पीछे-पीछे फायलों को लेकर चला रहता है। क्योंकि पहले जो काम बाबू का जिस ने सीखा है। वह इतना गड़बड़ है कि  अब नए आए हुए बाबूओं को काम कैसे करते हंै। उसे बताना नहीं चाहते। वहीं, बार-बार ईओ का चार्ज भी बदलने से लोगों को काम करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने मंत्री गोविंद सिंह से गुहार लगाई है कि कुल्लू में ईओ का चार्ज काम करने वाले अधिकारी के हाथों सौंपा जाए।