खुले आसमान तले पढ़ रहे बच्चे

धरोटी स्कूल में शिक्षा को सुदृढ़ करने के दावे खोखले, बारिश में  छाते के नीचे पढ़ाई

राजगढ़ -प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा को सुदृढ़ करने के लाख दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाए तो यह दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सरकार के खोखले वादों का उदाहरण जिला सिरमौर के शिक्षा खंड राजगढ़ के राजकीय उच्च विद्यालय धरोटी में भी देखा जा सकता है जहां बच्चे खुले में पढ़ने को मजबूर हैं। यहां बरसात में छतरी के सहारे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि निर्माणाधीन स्कूल इमारत के कार्य का अधर में लटकना है। गौर रहे कि धरोटी स्कूल वर्ष 2010 में हाई स्कूल बन गया था और हिमुडा द्वारा नई इमारत के लिए 45 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे और दिसंबर, 2013 में इसका शिलान्यास राज्य योजना बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष जीआर मुसाफिर द्वारा करने के बाद नई बिल्डिंग बनाने का काम 2014 में शिमला डिवीजन हिमुडा द्वारा आरंभ कर दिया गया था। दो वर्ष में इस दो मंजिला इमारत में दो हाल व चार कमरों का कार्य बजट की कमी के चलते ठेकेदार द्वारा वर्ष 2016 में रोक दिया गया। 33 लाख में दो लैंटल के साथ निचली मंजिल में अंदर से ही प्लास्टर हो पाया है और शेष कार्य अधर में लटका हुआ है। नई सरकार के विधायक सुरेश कश्यप जो अब सांसद चुने जा चुके हैं ने भी शिक्षा और सड़कों को अपनी प्राथमिकता बताया था और स्कूल के वार्षिक समारोह में उनके समक्ष भी यह समस्या रखी गई है। यही नहीं अक्तूबर 2018 में नारग में आयोजित जनमंच कार्यक्रम में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार के समक्ष भी मामले को उजागर किया गया और जिला सरमौर के अलग-अलग उपनिदेशकों द्वारा कई बार यहां का दौरा किया जा चुका है, लेकिन कोई भी स्कूल के लिए बजट का प्रावधान नहीं करवा पाया और  बजट के अभाव में छह वर्ष पूरे होने पर भी कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। प्रोजेक्ट के निदेशक से कार्यालय द्वारा पत्राचार के माध्यम से संपर्क किया गया है। हिमुडा द्वारा 33 लाख की राशि जारी की जा चुकी है और बजट का प्रावधान होने पर शेष राशि का प्रावधान करने की बात कही गई है। समस्या को समझते हुए व्यक्तिगत रूप से भी राशि का प्रावधान करवाने का प्रयास किया जाएगा।