गांव-गांव पहुंच रहा रंगमंच आंदोलन

कुल्लू —बच्चों के सर्वांगींण विकास, जीरो बजट थियेटर तथा बाल रंगमंच आंदोलन के मद्देनजर गांव-गांव तथा विभिन्न विद्यालयों में एक्टिव मोनाल कल्चरल एसोसिएिशन कुल्लू द्वारा अलग-अलग थियेटर ग्रुपों के साथ मिलकर आयोजित किए जा रहे बाल नाट्योत्सवों की कड़ी में इस वर्ष का अंतिम बाल नाट्योत्सव राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुल्तानपुर में एकाग्र बाल नाट्योत्सव नाम से आयोजित किया गया। बाल रंगमंच आंदोलन का यह आठवां नाट्योत्सव था, इससे पहले कलाकेंद्र, जमोट, बदाह, पिरड़ी, मौहल, अखाड़ा, लंका बेकर आदि स्थानों पर सफलतापूर्वक सात नाट्योत्सव आयोजित किए। 120 के लगभग बाल रंगकर्मियों ने इन नाट्योत्सवों में भाग लिया। इस जगह की तरह सुल्तानपुर में भी आठ नाटक हिरण्यकश्यप मर्डर केस, वीआईपी, जंगल में जनतंत्र, सेर को सवा सेर, भगत की गत, ढाक के तीन पात, ठग-ठगे गए तथा यमराज का निमंत्रण क्रमशः रेनबो बदाह, बारहखड़ी कुल्लू एवं लाहुल-स्पीति, बहिरंग भुट्ठी, ऐक्टिव मोनाल कुल्लू, नाट्यश्रेश्ठ जमोट, लिबरल थिएटर षीषामाटी, रंगभूमि लंका बेकर तथा एकाग्र लोअर ढालपुर आदि ग्रपों ने जीवानंद, भूषण देव, आरती ठाकुर, मीनाक्षी, रेवत राम विक्की, देस राज, विपुल तथा ममता के निर्देशन में प्रस्तुत किए। इस बाल रंग आंदोलन के परिकल्पक तथा नाट्योत्सव निर्देशक रंगकर्मी केहर सिंह ठाकुर का कहना है कि बाल रंगमंच का यह प्रयोग बेहद सफल रहा और अगले साल इससे भी अधिक जगहों पर नाट्योत्सव करने की कोशिश करेंगे। जिससे बच्चे तथा युवा रंगमंच के माध्यम से अपना सर्वांगींण विकास करें और रंगमंच तथा इससे जुड़े कला क्षेत्रों जैसे फिल्मज सीरियलों व वैब सीरिज आदि में बतौर अभिनेता व मेकर अपने करियर की अपार संभावनाओं को तलाशें। केहर ने कहा कि कुछ ही दिनों में बिना पैसे खर्च किए आयोजित किए गए इन बाल नाट्योत्सवों पर आधारित एक डाक्यूमेंटरी यू-टयूब पर ‘जीरा बजट थियेटर’ नाम से रिलीज की जाएगी।