गोल्डन चांस में कंपार्टमेंट तोड़ लटक गया भविष्य, चार छात्राओं ने छोड़ा स्कूल

By: Jul 18th, 2019 12:01 am

प्लस वन पास करने के बाद भी बारहवीं में नहीं बिठाए जा रहे दर्जनों विद्यार्थी

शिमला  – उच्च शिक्षा विभाग व स्कूल शिक्षा बोर्ड का एक नया कारनामा सामने आया है। विभाग व बोर्ड अपने ही नियमों में उलझकर रह गए हैं। हैरत है कि प्रदेश के दर्जनों छात्रों ने दसवीं के गोल्डन चांस में इस बार अपनी कंपार्टमेंट क्लीयर कर दी है, लेकिन उन्हें प्लस वन में ही बिठाया जा रहा है, जबकि ये छात्र जमा एक की परीक्षा वर्ष 2019 में ही उतीर्ण कर चुके हैं। ताजुब तो इस बात का है कि उच्च शिक्षा विभाग भी प्रदेश भर से दर्जनों ऐसे मामले जानने  के बाद भी मौन बैठा है। हांलाकि खानापूर्ती के तौर पर विभाग ने बोर्ड से लिखित में इस बारे में जानकारी मांगी है। शिक्षा विभाग ने जमा दो में दाखिले की तिथि भी नहीं बढ़ाई है। मौजूदा समय में सरकारी स्कूलों में केवल जमा एक में ही दाखिला जारी है। ऐसे में साफ है कि शिक्षा विभाग खुद अपने ही बनाए नियमों में उलझकर रह गया है। यही वजह है कि दर्जनों शिकायतें मिलने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। उधर, स्कूल शिक्षा बोर्ड का भी इस पूरे मामले पर यही तर्क है कि छात्रों को जमा एक की बजाय जमा दो में बैठाना है, इस मामले पर शिक्षा विभाग ही परमिशन देगा। बोर्ड ने यह भी साफ किया है कि वह सिर्फ छात्रों एग्जाम ही करवाता है। इसके अलावा सभी निर्देश विभाग की ओर से ही जारी किए जाते हैं। बोर्ड व शिक्षा विभाग के दोनों तरफ के तर्क से यह साफ है कि दोनों ही विभाग आपसी मतभेदों में ही उलझे हुए हैं। फिलहाल जानकारी मिली है कि अभी तक  इस तरह के लगभग 30 से 40 मामले कई जिलों में पेश आ चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा, मंडी, कुल्लू, सोलन, जिला से है।

मंडी में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की सोच को धक्का

नस्लोह स्कूल की चार छात्राएं भुगत रहीं विभागीय गलतियों का खामियाजा

मंडी – शिक्षा वभाग की चूक के चलते बेटी बचाओ बेटी-पढ़ाओ के नारे को तगड़ा झटका लगा है। विभागीय खामी के चलते जहां एक छात्रा को 11वीं पास करने के बावजूद उसी क्लास में दाखिला लेना पड़ा, वहीं मंडी जिला में तो चार छात्राओं ने स्कूल ही छोड़ दिया। मामला मंडी जिला के नस्लोह स्कूल का है। यहां पढ़ने वाली तान्या, नर्मदा, राखी और अंजलि ने भी शिक्षा सत्र 2017-18 में दसवीं की परीक्षा दी थी। कंपार्टमेंट के चलते उन्हें 11वीं में प्रोविजनल दाखिला दिया गया, लेकिन छात्राएं दोनों चांस में कंपार्टमेंट क्लीयर नहीं कर सकीं। छात्राओं को गोल्डन चांस दिया गया और 2019 में सभी ने दसवीं पास कर ली। अब जब दाखिले की बात आई, तो उन्हें 12वीं की जगह 11वीं में ही दाखिला लेने के लिए कहा गया। इस पर छात्राओं ने दाखिला ही नहीं लिया और इस बीच दाखिला की समयसीमा भी खत्म हो गई। अब छात्राएं घर पर ही हैं। छात्रा तान्या के पिता कृष्ण ने बताया कि न तो मेरी बेटी ने दाखिला लिया और न ही तीन अन्य छात्राओं ने। बेटी का साफ कहना है कि मैं उसी कक्षा में नहीं पढ़ूंगी। अब हम क्या कर सकते हैं।

विभाग-बोर्ड ने नहीं लिया संज्ञान

जानकारी के अनुसार इस तरह की कोई दिक्कत न हो इस बाबत विभाग को लैटर तक लिखा जा चुका था, लेकिन बताया जा रहा है कि आज तक उस लैटर का कोई जवाब नहीं आया।

 


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