जीएसटी से मोदी सरकार मालामाल

वित्त वर्ष 2018-19 में खजाने में आए 5.18 लाख करोड़ रुपए

नई दिल्ली –मोदी सरकार के पिछले एक साल के कार्यकाल में जीएसटी संग्रह में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2018-19 में वस्तु एवं सेवा कर का संग्रह बढ़कर 5.18 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। यह वित्त वर्ष 2017-18 के 2.91 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले बहुत ज्यादा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में यह जानकारी दी है। लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान राज्यों को जीएसटी से हुए नुकसान के लिए 81177 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष में राज्यों को महज 48178 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया था। वित्त मंत्री ने कहा कि उच्च अधिकार वाले जीएसटी परिषद ने देश में कर अनुपालन में सुधार के लिए कई प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा, पिछले कुछ समय से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जीएसटी संग्रह में लगातार सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि बिजनेस प्रक्रियाओं को बड़े पैमाने पर ऑटोमेशन, ई-वे बिल प्रणाली, अनुपालन की जांच के लिए लक्षित कार्रवाई, जोखिम प्रबंधन के आधार पर प्रवर्तन और इलेक्ट्रॉनिक इनवाइस सिस्टम जैसे कदमों से जीएसटी के राजस्व संग्रह में सुधार हुआ है। गौरतलब है कि जीएसटी संग्रह में इस साल जून महीने में कमी देखी गई है। जीएसटी संग्रह के लिहाज से नए वित्त वर्ष 2019-20 की बेहतरीन शुरुआत के बाद जून में झटका लगा है। जून, 2019 में सकल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह घटकर 99939 करोड़ रुपए रह गया। इससे पहले अप्रैल, 2019 में यह 1.13 लाख करोड़ और मई, 2019 में 1.02 लाख करोड़ रुपए रहा था। जून में पहली बार जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपए के आंकड़े से नीचे आया। जून, 2019 में कुल 99939 करोड़ रुपए का जीएसटी राजस्व एकत्रित किया गया, जिसमें सीजीएसटी 18366 करोड़ रुपए, एसजीएसटी 25,343 करोड़ रुपए, आईजीएसटी 47772 (आयात पर संग्रहित 21980 करोड़ रुपए सहित) करोड़ रुपए और उपकर 8457 करोड़ रुपए (आयात पर संग्रहित 876 करोड़ रुपए सहित) रहा।