दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्रम्
-गतांक से आगे…
युगप्रवर्तिका प्रोक्ता त्रिसन्ध्या ध्येयविग्रहा।
स्वर्गापवर्गदात्री च तथा प्रत्यक्षदेवता।। 136।।
आदित्या दिव्यगन्धा च दिवाकरनिभप्रभा।
पद्मासनगता प्रोक्ता खड्गबाणशरासना।। 137।।
शिष्टा विशिष्टा शिष्टेष्टा शिष्टश्रेष्ठप्रपूजिता।
शतरूपा शतावर्ता वितता रासमोदिनी।। 138।।
सूर्येन्दुनेत्रा प्रद्युम्नजननी सुष्ठुमायिनी।
सूर्यान्तरस्थिता चैव सत्प्रतिष्ठतविग्रहा।। 139।।
निवृत्ता प्रोच्यते ज्ञानपारगा पर्वतात्मजा।
कात्यायनी चण्डिका च चण्डी हैमवती तथा।। 140।।
दाक्षायणी सती चैव भवानी सर्वमङ्गला।
धूम्रलोचनहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी।। 141।।
योगनिद्रा योगभद्रा समुद्रतनया तथा।
देवप्रियङ्करी शुद्धा भक्तभक्तिप्रवर्धिनी।। 142।।
त्रिणेत्रा चन्द्रमुकुटा प्रमथार्चितपादुका।
अर्जुनाभीष्टदात्री च पाण्डवप्रियकारिणी।। 143।।
कुमारलालनासक्ता हरबाहूपधानिका।
विघ्नेशजननी भक्तविघ्नस्तोमप्रहारिणी।। 144।।
सुस्मितेन्दुमुखी नम्या जयाप्रियसखी तथा।
अनादिनिधना प्रेष्ठा चित्रमाल्यानुलेपना।। 145।।
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