दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्रम्

By: Jul 13th, 2019 12:05 am

-गतांक से आगे…

युगप्रवर्तिका प्रोक्ता त्रिसन्ध्या ध्येयविग्रहा।

स्वर्गापवर्गदात्री च तथा प्रत्यक्षदेवता।। 136।।

आदित्या दिव्यगन्धा च दिवाकरनिभप्रभा।

पद्मासनगता प्रोक्ता खड्गबाणशरासना।। 137।।

शिष्टा विशिष्टा शिष्टेष्टा शिष्टश्रेष्ठप्रपूजिता।

शतरूपा शतावर्ता वितता रासमोदिनी।। 138।।

सूर्येन्दुनेत्रा प्रद्युम्नजननी सुष्ठुमायिनी।

सूर्यान्तरस्थिता चैव सत्प्रतिष्ठतविग्रहा।। 139।।

निवृत्ता प्रोच्यते ज्ञानपारगा पर्वतात्मजा।

कात्यायनी चण्डिका च चण्डी हैमवती तथा।। 140।।

दाक्षायणी सती चैव भवानी सर्वमङ्गला।

धूम्रलोचनहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी।। 141।।

योगनिद्रा योगभद्रा समुद्रतनया तथा।

देवप्रियङ्करी शुद्धा भक्तभक्तिप्रवर्धिनी।। 142।।

त्रिणेत्रा चन्द्रमुकुटा प्रमथार्चितपादुका।

अर्जुनाभीष्टदात्री च पाण्डवप्रियकारिणी।। 143।।

कुमारलालनासक्ता हरबाहूपधानिका।

विघ्नेशजननी भक्तविघ्नस्तोमप्रहारिणी।। 144।।

सुस्मितेन्दुमुखी नम्या जयाप्रियसखी तथा।

अनादिनिधना प्रेष्ठा चित्रमाल्यानुलेपना।। 145।।  


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