नगर परिषद को नहीं मिलास्थायी कार्यकारी अधिकारी

सोलन—नगर निगम की राह ताक रही प्रदेश की सबसे बड़ी नगर परिषद सोलन को पिछले डेढ़ वर्ष में स्थायी कार्यकारी अधिकारी (ईओ) नहीं मिल पाया है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद करीब नौ अधिकारियों का तबादला इस पद से किया गया है, इनमें से भी अधिकतर के पास नप सोलन ईओ का अतिरिक्त कार्यभार था। वहीं, वर्तमान में भी हालात जस के तस हैं और अभी भी तहसीलदार सोलन के पास नप ईओ का अतिरिक्त कार्यभार है। इसे सोलन के लोगों का दुर्भाग्य कहें या फिर राजनेताओं की उदासीनता, लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद से अभी तक नप में स्थायी ईओ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। विडंबना तो यह है कि इन डेढ़ वर्षों में इस पद का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे या नियुक्त किए गए नौ अधिकारियों को बदला गया है। एक के बाद एक हुए इन तबादलों के चलते आम जनता के कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है और विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। वहीं, इन तबादलों के बाद स्थानीय भाजपा नेताओं की सरकार में पहुंच को लेकर शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है, वहीं सरकार की किरकिरी भी हो रही है। हालांकि वर्तमान में ईओ का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे तहसीलदार सोलन गुरमीत नेगी ने जब से कार्यभार संभाला है तब से विकास कार्यों में तेजी आई है। गत माह संपन्न राज्य स्तरीय मां शूलिनी मेले के दौरान भी उन्होंने अपने दायित्वों को बखूबी निभाया है। लेकिन सोलन के तहसीलदार का महत्त्वपूर्ण  पद संभालने के चलते वे भी अपना पूरा समय नप के कार्यों के लिए नहीं दे सकते हैं। ऐसे में नप सोलन में स्थायी ईओ की नियुक्ति होना स्थानीय लोगों के लिए बेहद आवश्यक है। स्थायी नियुक्ति न होने पर लोगों के मन में कई प्रश्न उठ रहे हैं। बाजार में चर्चाएं हैं कि क्या कोई अधिकारी ही इस सीट पर स्थायी रूप से नहीं रहना चाहता या फिर प्रदेश सरकार किसी अन्य एजेंडे के तहत इतने तबादले कर रही है। वहीं, लोग स्थानीय भाजपा नेताओं को भी कोस रहे हैं। उनका कहना है कि स्थानीय भाजपा नेताओं की पहुंच सरकार तक नहीं है और इसके चलते ही वे नप सोलन में कार्यकारी अधिकारी पद पर स्थायी नियुक्ति करवाने में असमर्थ साबित हुए हैं।