नर्सरी जेबीटी ने मांगा पेंशन का हक
नेरचौक—नर्सरी जेबीटी अध्यापिका संघ के जिला प्रधान लज्जा शर्मा की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से शिमला में मिला। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से उन्हें पेंशन सुविधा मुहैया करवाने की गुहार लगाई। उन्होंने मुख्यमंत्री को माननीय ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए फैसले, जिसमें नर्सरी, जेबीटी अध्यापिकाएं, जो कि 1997 में जेबीटी के पदों पर लगी थीं, उन्हें पांच वर्षों बाद 2002 में ही नियमित किया जाए, ताकि ये सब पेंशन के दायरे में आ सकंे, की कापी पेश की। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि सरकार इस फैसले को तुरंत अमल में लाए, ताकि सैकड़ों नर्सरी जेबीटी अध्यापिकाएं लाभान्वित हो सकें। इस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि केस का अध्ययन कर मांग को शीघ्र पूरा करने का प्रयत्न करेंगे। बता दें कि प्रदेश में 650 नर्सरी अध्यापिकाएं, जो कि पेंशन का हक मांग रही हैं, जिसमें जिला मंडी से ही 226 अध्यापिकाएं हैं। प्रदेश में वर्ष 1997 में वीरभद्र सिंह सरकार द्वारा नर्सरी अध्यापिकाओं को 10 वर्ष के बाद अगेंस्ट जेबीटी लगाने के आदेश पारित किए थे। उसके उपरांत धूमल सरकार द्वारा इन्हीं नर्सरी ट्रेंड टीचर्स को वालंटियर टीचर्स मानकर दस के बजाय पांच वर्षों में ही नियमित करने के आदेश जारी किए गए, मगर सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए शिक्षा विभाग द्वारा आठ वर्षों के बाद इन्हें नियमित किया गया, जिस कारण ये वर्ष 2002 के बजाय 2006 में जेबीटी के पदों पर नियमित हो पाईं। इससे क्षुब्ध होकर इन्हें न्यायालय की शरण में जाना पड़ा, जहां जनवरी, 2019 को ट्रिब्यूनल ने इन्हें वर्ष 2002 से नियमित करने तथा पेंशन के हकदार होने का फैसला सुनाया है। मुख्यमंत्री से मिले प्रतिनिधिमंडल में नीलम कपूर, रीना गुप्ता, अंजना सोनी, नवीन गुप्ता सहित सैंकड़ों अध्यापिकाएं शामिल रहीं।
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