पर्यटक का स्वागत, पर गंदगी का नहीं

By: Jul 16th, 2019 12:06 am

आशीष बहल

लेखक, चुवाड़ी, चंबा से हैं

 

जो इलाके अपनी बेपनाह खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध थे, आज वहां कूड़े का अंबार लगा हुआ है। दिनभर आने वाले हजारों पर्यटक इन स्थानों पर कूड़ा फैला रहे हैं। अब इसमें प्रतिबंध लगाने में स्थानीय प्रशासन भी नाकाम रहा है, परंतु यह कोई जबरदस्ती का विषय नहीं। यहां आने वाला हर पर्यटक पढ़ा-लिखा और सुसंस्कृत है, फिर असभ्यता का यह नमूना देकर, वह कहीं न कहीं अपने निरक्षर होने का प्रमाण दे रहा है…

हिमाचल भारत का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थान है। हिमाचल के ऊंची चोटी वाले इलाके पर्यटन में अपनी विशेष पहचान रखते हैं। हिमाचल को कुदरत ने जो बेपनाह खूबसूरती बख्शी है, इसी का कारण है कि कोई भी हिमाचल आने को लालायित रहता है। आजकल हिमाचल में पर्यटकों की भरमार है, यह हिमाचल के लिए जरूर गर्व करने का विषय हो सकता है, परंतु इसके साथ ही हिमाचल की इन हसीन वादियों से खिलवाड़ किया जा रहा है, जो हम हिमाचलियों को जरूर कहीं न कहीं चुभता है। यहां आने वाले पर्यटक हिमाचल को दिन-प्रतिदिन गंदा किए जा रहे हैं, हिमाचल ने अपने घर में भले ही पुख्ता प्रबंध किए हों। यहां पोलिथीन को बहुत पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया है और हिमाचल के लोग भी प्रकृति प्रेमी हैं, उन्होंने इसे न सिर्फ सहर्ष स्वीकार किया, बल्कि पोलिथीन मुक्त पहला राज्य भी बना। हिमाचल के खूबसूरत स्थानों को पर्यटक बुरी तरह से प्रदूषित कर रहे हैं। जो इलाके अपनी बेपनाह खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध थे, आज वहां कूड़े का अंबार लगा हुआ है। दिनभर आने वाले हजारों पर्यटक इन स्थानों पर कूड़ा फैला रहे हैं।

अब इसमें प्रतिबंध लगाने में स्थानीय प्रशासन भी नाकाम रहा है, परंतु यह कोई जोर-जबरदस्ती का विषय नहीं। यहां आने वाला हर पर्यटक पढ़ा-लिखा और सुसंस्कृत है, फिर असभ्यता का यह नमूना देकर, वह कहीं न कहीं अपने निरक्षर होने का प्रमाण दे रहा है। जब पूरे भारत में स्वच्छता को एक अभियान बनाया गया है। हर व्यक्ति जागरूक है, तो फिर ऐसी हरकत करने का तात्पर्य समझ नहीं आता। अभी हाल ही में आई रिपोर्ट, जिसमें मनाली में बढ़ती गंदगी के प्रति चिंता व्यक्त की गई है, अपने आप में एक विचारणीय विषय है। यह वह समय है, जब हम हिमाचलियों को भी यह सोचना होगा कि हम अपने थोड़े से लालच के लिए अपनी प्रकृति के साथ अन्याय तो नहीं कर रहे। यहां आने वाले पर्यटकों को गाइड करना बहुत आवश्यक है। इसके लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं, जिसमें पर्यटक जिस होटल में ठहरते हैं या जिस दुकान में सामान लेते हैं, वहां उनसे विनम्र प्रार्थना की जाए कि हम आपका हिमाचल में तहेदिल से स्वागत करते हैं, परंतु हिमाचल को गंदगी से बचाने में हमारा सहयोग करें। इस तरह का निवेदन का बोर्ड हर दुकान में लगाया जा सकता है। चौराहों पर लगाया जा सकता है। सड़कों पर लगाया जा सकता है। इससे भी 100 प्रतिशत फर्क तो नहीं पड़ेगा, परंतु कुछ सुधार अवश्य होगा और यह कोई सरकार का ही कार्य नहीं, यह हमारा भी कर्त्तव्य है। आज हिमाचल में होटलों द्वारा लाखों टन कूड़ा बाहर निकाला जा रहा है। जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर हिमाचल की शुद्ध हवा को दूषित कर रहे हैं। हिमाचल में मिलने वाला शुद्ध जल भी अब गंदगी का शिकार हो रहा है, जो भी जगह सड़कों से जुड़ी, वहां गंदगी ने भी अपनी जगह बना ली। हिमाचल की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि जितना कूड़ा प्रतिदिन हिमाचल में निकल रहा है, उसके सही तरह से निष्पादन का कोई भी ठोस संयंत्र तैयार नहीं किया गया है। हिमाचल की अधिकतर ग्राम पंचायतें व नगर पंचायतें, परिषद और निगम अभी भी कूड़ा बाहर खुले में किसी एक जगह फेंकते हैं। ऐसे में अगर घर-घर से कूड़ा इकट्ठा भी किया जाए, सड़़कों की सफाई भी हो जाए, तो इस बात पर विचार करना होगा कि यह कूड़ा कहां फेंका जा रहा है। खुले में कूड़ा फेंकने से होने वाली बीमारियों से जानकार होते हुए भी हम यह गलती करते हैं। एक सर्वे के अनुसार हिमाचल के सिर्फ शहर ही 10 हजार टन कचरा उगलते हैं, जबकि हम 1500 टन कूड़े का ही निष्पादन कर पाते हैं। बाकी कूड़े का क्या होगा? चलो मान भी लें कुछ कूड़ा समय के साथ खुद खत्म हो जाएगा, परंतु  70 प्रतिशत कूड़ा प्लास्टिक वेस्ट होने की वजह से हमेशा ही जमीन पर रहेगा और कुछ नदियों के जल को गंदा करता हुआ समुद्र में पहुंच जाएगा। वहां जलीय जीवों को हानि पहुंचाएगा। कुछ प्लास्टिक और पोलिथीन के लिफाफे जमीन की सतह में नीचे तक पहुंच जाते हैं। इससे भू-जल का रिसाव कम होता है, जिससे पानी जमीन की सतह तक नहीं पहुंचता और धरती के अंदर का जल धीरे-धीरे सूख जाता है।

इससे धरती की उर्वरता भी प्रभावित होती है, जो पौधे समय के साथ खुद ही पैदा होते हैं, वह नहीं उग पाते।  आजकल भारी बारिश से सभी तरफ पोलिथीन और प्लास्टिक की बोतलें ही देखने को मिलती हैं। लाखों करोड़ों के हिसाब से प्रतिदिन प्रयोग की जाने वाली पानी की बोतलें पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती हैं। सरकार को हिमाचल में पानी की प्लास्टिक की बोतलें प्रतिबंधित करनी चाहिएं। भले हिमाचल में पोलिथीन बैग का प्रयोग नहीं होता, परंतु पैकिंग के रूप में आ रहा पोलिथीन हमारे स्वास्थ्य पर दोहरी मार कर रहा है। एक तो पोलिथीन से पैक वस्तुएं खा कर सेहत का नुकसान, फिर उसके वेस्ट लिफाफे से पर्यावरण को नुकसान। पोलिथीन और प्लास्टिक एक ऐसी वस्तु है, जो बहुत लंबे समय तक हमें नुकसान पहुंचाती है। इनसान की उम्र खत्म हो जाती है, परंतु यह प्लास्टिक और पोलिथीन खत्म नहीं होता। हम सबको मिलकर यह सोच विकसित करनी होगी कि हम पोलिथीन का कम से कम उपयोग करें। यदि पोलिथीन पैकिंग की कोई वस्तु खरीदें, तो उसके लिफाफे को यूं ही सड़क पर या खेत में न फेंके, उसे डस्टबिन्स में फेंकें।

यह आदत अपने बच्चों में विकसित करें। बच्चों को स्वच्छता का महत्त्व समझाएं, प्लास्टिक से होने वाले नुकसान  से अवगत करवाएं। बाहर से आने वाले पर्यटक भी उस समय आपके साथ होंगे, जब यह संदेश पूरे भारत में जाएगा कि हिमाचल का बच्चा-बच्चा पर्यावरण के प्रति जागरूक है। तब तक हम सब हिमाचलवासी बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों से करबद्ध प्रार्थना करते हैं कि आप हिमाचल आइए, यहां कुछ दिन गुजारिए, यहां की खूबसूरती का आनंद लीजिए, परंतु जाते-जाते इसे गंदगी की निशानी देकर न जाइए। यह हमारा हिमाचल है और  प्रकृति भी, इसे साफ रखने में हमारी मदद करें।


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