पांवटा साहिब कब तक रहेगा खेल अकादमी से अछूता

By: Jul 24th, 2019 12:05 am

पांवटा साहिब—हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर का सीमांत नगर पांवटा साहिब औद्योगिक और एजुकेशन हब के कारण तो पहचाना जाने लगा ही है। साथ ही यह नगर गुरु गोबिंद सिंह की नगरी के नाम से भी विश्व प्रख्यात है। हालांकि पांवटा मंे विकास के कई काम हुए हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने यहां के खिलाडि़यों की प्रतिभा को बुलंदियों पर ले जाने की सोच नहीं दिखाई। पांवटा मंे आज तक भी खेल अकादमी नहीं बनी है, जबकि पांवटा इस अकादमी का पूरी तरह हकदार है। यह हम नहीं आंकड़े बताते हैं। हर साल जिला सिरमौर और जिला के शिलाई और पांवटा से विभिन्न खेलों में बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जाकर अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन कर प्रदेश और जिला को गौरवान्वित करते हैं। क्रिकेट खिलाडि़यों से लेकर कबड्डी, बास्केटबाल, हॉकी और फुटबाल आदि सहित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी पांवटा उपमंडल के बच्चों ने देश-विदेश में अपनी प्रतिभा दिखाई है। यहां से तीन से चार खिलाड़ी क्रिकेट में रणजी खेल चुके हैं। बास्केटबाल और हॉकी मंे तो हर साल यहां से एक दर्जन से अधिक बच्चे नेशनल खेलकर आते हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे गिरिपार के ग्रामीण क्षेत्र के रावमा नघेता स्कूल के होते हैं। यहां के निजी प्रतिष्ठित स्कूलों से भी बच्चे बास्केटबाल, खो-खो, बैडमिंटन और एथेलेटिक्स में उत्तर भारत स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। शिलाई क्षेत्र की बात करें तो यहां से कबड्डी में हर साल कई बच्चे साईं होस्टल मंे प्रवेश ले रहे हैं जिनमें अधिकतर लड़कियां हैं। ज्यादातर खिलाडि़यों की प्रतिभा सुविधाओं के अभाव मंे दम तोड़ देती हैं।


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