पुराना हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग बंद

By: Jul 9th, 2019 12:10 am

रिकांगपिओ —इन दिनों पहाड़ो पर हो रही तेज बारिश के कारण किन्नौर में भी कई नदी नाले उफान पर है। नतीजन नुकसानी की घटनाएं भी सामने आ रही है।  बीते चार दिनों से किन्नौर जिला के यूला खड्ड का जल स्तर बढ़ने से रांगले नामक स्थान पर पुराना हिंदुस्तान.तिब्बत सड़क मार्ग पूरी तरह अबरुद हो गया है। पानी का जल स्तर इतना अधिक बड़ गया है कि पानी अस्थाई पुल के ऊपर से बह रहा है। सड़क के दोनों किनारे भी तेजी से टूटनी शुरू हो गई है। इस स्थान पर सड़क मार्ग के अवरुद होने से क्षेत्र के ग्रामीणों सहित विशेष कर स्कूली बच्चों व बुजुर्गों को जान जोखिम में डाल कर अबरुद मार्ग पार करना पड़ रहा है। रविवार शाम धटना स्थल पर तब एक बड़ी घटना होते होते  बची जब कुछ लोग वाहन को पार करने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। मीरु पंचायत प्रधान किरण नेगी ने बताया कि मीरु पंचायत क्षेत्र के अधीन रांगले नामक स्थान पर पानी का जल स्तर बढ़ने से  सड़क मार्ग अबरुद होने की सूचना पीडब्ल्यूडी विभाग को दिए जाने के तीन दिन  बाद भी विभाग मार्ग बहाली पर गंभीर नही है। क्षेत्र के लोगों को जान जोखिम में डाल कर अवरुद मार्ग पार करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी विभाग की लेटलतीफी को देखते हुए सोमवार को पंचायत द्वारा अपने स्तर पर जेसीबी मशीन मंगवा कर मार्ग को बहाल करने का प्रयास तो किया गया लेकिन मार्ग बहाल नही हो पाया। उन्होंने बताया कि यदि पीडब्ल्यूडी विभाग अस्थाई पुल के नीचे लगे क्लबटो में फंसे पथरों को निकालती है तो कुछ समय के लिए समस्या का समाधान हो सकता है लेकिन विभाग पुख्ता कदम उठाने के लिए तैयार ही नही है। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी विभाग भाबा नगर द्वारा मीरु पंचायत सहित साथ लगते अन्य पंचायत क्षेत्रों के ग्रामीणों के साथ की जा रही उपेक्षा का जवाब आगामी जन मंच कार्यक्त्रम के दौरान प्रदेश सरकार के मंत्री के समुख पूछा जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि पीडब्ल्यूडी विभाग की अनदेखी के कारण यदि इस स्थान पर कोई बड़ी घटना घटती है तो उस का सीधा जिम्मेदार स्वयं पीडब्ल्यूडी होगी।

विभाग की लेटलतीफी से ग्रामीण खफा

किन्नौर जिला के मीरु पंचायत क्षेत्र के रांगले नामक स्थान पर स्थाई पुल के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा दो वर्ष पूर्व ही 2 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया गया है। इस के बाबजूद पीडब्ल्यूडी भावानगर महकमा स्थाई पुल का निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं कर पाया है। विभाग की इस लेटलतीफी पर ग्रामीणों में खासा गुस्सा देखा जा रहा है।

मार्ग को बहाल रखना प्रशासन की पहली प्राथमिकता

हिंदुस्तान- तिब्बत सड़क मार्ग सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सन 1962 में बना यह मार्ग भारत-चीन सीमाओं तक जाता है। यदि राष्ट्रीय उच्च मार्ग-5 के अवरुद होने की स्थिति में किन्नौर का जिला मुख्यालय रिकांगपिओ हो या फिर भारत-चीन अन्तरराष्ट्रीय सीमाओं तक जाना हो इस पुराने हिंदुस्तान-तिब्बत सड़क मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है। इसी लिए इस मार्ग सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। लिहाजा इस मार्ग को बहाल रखना प्रशासन व विभाग की पहली प्राथमिकताओं में शुमार है।


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