पोलिथीन में पैक हो रही सब्जियां-दालें

 भुंतर—प्रदूषण के बहाने जिस पोलिथीन पर प्रदेश में करीब एक दशक पहले बैन लगा है, उन लिफाफों में बड़ी शान से सब्जियां कुल्लू-भुंतर की मार्केट में पैक हो रही हैं। पर्यावरण बचाने की दुहाई देते हुए सरकार अब कैरी बैग को भी बंद करने की तैयारी में है, लेकिन सरकार का प्रशासन तंत्र पोलिथीन को अपनी नाकामी तले प्रयोग की खुली छूट दे रहा है। लिहाजा, पर्यावरण प्रेमी खासे चिंतित हैं तो साथ ही सरकार व प्रशासन इनके निशाने पर भी है। जानकारी के अनुसार जिला के भुंतर में खुलेआम सब्जी मंडी और अन्य किराना दुकानों में पोलिथीन का प्रयोग हो रहा है और तो और यहां से यह दियार-गड़सा व मणिकर्ण के लिए भी सप्लाई हो रहा है।  जानकारी के अनुसार भुंतर सब्जी मंडी में खुलेआम बैन पोलिथीन में सब्जियों को पैक किया जा रहा है और आगे भेजा जा रहा है। इस मामले में एपीएमसी प्रबंधन की नाकामी भी उजागर हुई है। बता दें कि सालों से एपीएमसी बाहरी राज्यों से ही इन पोलिथीन के लिफाफों में सब्जियां पैक होकर आने की बात कह कार्रवाई से पल्ला झाड़ती रही है, लेकिन अब दुकानदारों द्वारा खुलेआम यहीं पर भरी जा रही सब्जियों ने पोल खोल दी है। इसके अलावा करियाना दुकानों में दालें, चीनी और अन्य सामान छोटे पालिथीन लिफाफों में पैक करवाया जा रहा है और पर्यावरण का कचरा किया जा रहा है। खासकर ग्रामीण मेलों तो इनका धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार पारला भुंतर और आसपास की दुकानों में थोक में यह लिफाफे पहुंच रहे हैं। स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों ने खुलेआम लिफाफों के बिकने पर चिंता जाहिर की है तो साथ ही प्रशासन पर सवाल भी खड़े किए हैं। इनके अनुसार एक ओर कैरी बैग पर भी सरकार अब बैन लगाने की तैयारी कर रही है, लेकिन प्रशासन अपनी लापरवाही और सुस्ती की जिद पर अड़ी हुई है और दशकों पहले बंद लिफाफों को ही पूरी तरह से बैन नहीं करवा पाई है। दूसरे दुकानदार व कारोबारी भी इसका अरसे से विरोध करते रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कुल्लू मौहल में स्थित सहायक पर्यावरण अभियंता प्रदीप मोदगिल का कहना है कि भुंतर में पोलिथीन के इस्तेमाल का मामला ध्यान में आया है। इस पर कार्रवाई की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बरहाल, भुंतर-कुल्लू के कारोबारियों को सालों पहले बंद पड़े पोलिथीन से लगाव छूट नहीं रहा है और पर्यावरण का कचरा कर पोलिथीन का इस्तेमाल करने में लगे हैं।