फिर दौड़ेंगी 12 मीटर लंबी लो-फ्लोर बसें

सड़क किनारे धूल फांक रही हैं 60 गाडि़यां, निगम प्रबंधन ने रूट परमिट के लिए किया आवेदन

शिमला —सड़कों के किनारों पर धूंल फांक रही हिमाचल पथ परिवहन निगम की 12 मीटर लंबी लो-फ्लोर बसें भी जल्द ही सड़कों पर दौड़ती नजर आएंगी। निगम प्रबंधन ने ये बसें सड़कों पर दौड़ाने के लिए रूट परमिट के लिए आवेदन कर दिया है। रूट परमिट मिलते ही सड़कों के किनारों पर काफी समय से खड़ी 12 मीटर लंबी लो-फ्लोर बसें भी सड़कों पर फर्राटे भरती नजर आएंगी। पथ परिवहन निगम की मानें तो 12 मीटर वाली ये सभी लो फ्लोर बसें इसी माह के दौरान ही सड़कों पर दौड़ती नजर आएंगी। एचआरटीसी की 325 के करीब लो-फ्लोर बसें सड़कों पर खड़ी हो गई थी। हालांकि इनमें से करीब 220 बसों का संचालन आरंभ हो गया था, लेकिन शेष बसों को संचालित करने के लिए रूट परमिट संबंधित औपचारिकताएं पूरी न होने की वजह से ये बसें सड़कों के किनारे धूल फांक रही थी। रूट परमिट मिलने के बाद निगम ने अधिकतर सभी बसों को रूटों पर चला दिया है। अब केवल 12 मीटर वाली बसें शेष रहती हैं। एचआरटीसी के मंडलीय प्रबंधक पंकज सिंघल ने बताया कि सड़कों के किनारों पर खड़ी अधिकतर सभी बसें रूटों पर चला दी गई हैं। अब केवल 12 मीटर की 60 बसें शेष रहती हैं। इनके लिए रूट परमिट को आवेदन कर दिया गया है। रूट परमिट मिलते ही ये बसें भी सड़कों पर चला दी जाएंगी। उल्लेखनीय है कि एचआरटीसी ने प्रदेश के लिए लो-फ्लोर बसों की खरीददारी की थी, लेकिन कुछ बसें क्लस्टर से बाहर चलने की वजह से ये बसें खड़ी कर दी गई थी। ये बसें काफी लंबे अरसे से सड़कों के किनारों पर धूल फांक रही थी। राज्य में ओवरलोडिंग पर कार्रवाई अमल लाने के बाद कई रूटों पर बसों की कमी सामने आई है। ऐसे में अब ये बसें जरूरत के हिसाब से रूटों पर चलाई जा रही हैं। निगम प्रबंधन के मुताबिक 12 मीटर लंबी बसें राज्य के उन रूटों पर चलाई जाएंगी। जिन रूटों पर इन बसों के संचालन से ट्रैफिक जाम जैसी समस्या पेश न आए।

325 बसों के क्लस्टर पर हुआ था विवाद

पथ परिवहन निगम ने राज्य के लिए करीब 800 लो फ्लोर बसें खरीदी थी। इनमें से 475 बसें प्रदेश के विभिन्न क्लस्टर्ज पर चलाई गई थी, लेकिन 325 बसों के संचालन में क्लस्टर का विवाद खड़ा हो गया था, जिसके चलते ये बसें खड़ी हैं। निगम प्रबंधन द्वारा राज्य के लिए नौ व 12 मीटर की बसें खरीदी थी। सड़कों पर केवल 12 मीटर की 60 के करीब बसें खड़ी हैं।