बताओ! अब तक कितने बंदर मारे

शिमला – प्रदेश की कुल 149 में से 91 तहसीलों में खूंखार बंदर मारने की अनुमति पांच महीने पहले ही मिल चुकी है, लेकिन अभी तक एक भी बंदर नहीं मारा गया। इसके मद्देनजर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदेश सरकार से अब तक मारे गए बंदरों को ब्यौरा मांगा है। जानकारी के मुताबिक वन विभाग ने नगर निगम शिमला के दायरे में भी बंदरों को वर्मिन घोषित करने की अनुमति मांगी है। इसे देखते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि पहले अब तक मारे गए बंदरों का ब्यौरा दो, फिर आगामी कार्रवाई होगी। फरवरी में केंद्र सरकार ने नगर निगम शिमला को छोड़ प्रदेश की 91 तहसीलों में बंदर मारने की अनुमति दी। जानकारी के मुताबिक 2015 में हुई गणना के मुताबिक प्रदेश में दो लाख सात हजार बंदर हैं, जिसमें से एक लाख 70 हजार बंदरों की नसबंदी हो चुकी है। पिछले साल 20 हजार बंदरों की नसबंदी हुई। इस बार भी वन विभाग ने 20 हजार बंदरों की नसबंदी का टारगेट फिक्स किया है। उल्लेखनीय है कि 2016 में नगर निगम शिमला के दायरे में खूंखार बंदर मारने की अनुमति केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दी थी। यहां तक कि दो बार एक्सटेंशन भी मिली, लेकिन एक भी बंदर नहीं मारा गया। वन विभाग ने राजधानी शिमला में लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नौ मंकी वॉचर्स तैनात किए थे। हैरानी इस बात की है कि इन मंकी वॉचर्स ने एक भी बंदर नहीं मारा। लोगों की सुरक्षा के लिए ही नौ मंकी वॉचर्स को ईको बटालियन कुफरी से शिमला में तैनाती दे दी गई। बताया जा रहा है कि वाइल्ड लाइफ विंग हैडक्वार्टर के मुताबिक अभी तक एक भी बंदर मारने की रिपोर्ट नहीं है। बंदर मारने की ड्यूटी वन विभाग के कर्मचारियों की नहीं है, लेकिन आम आदमी मार सकता है। बंदर मारने के बाद उसे संबंधित वन अधिकारी को भी दिखाना होगा।