बागबानों को किराए पर ट्रैक्टर और आरियां

हिमाचल में सेब सीजन जोरों पर है। आढ़तियों से लेकर क्लेक्शन सेंटरों तक जयराम सरकार की पैनी नजर है। सरकार अब बागबानों को एक और बड़ा तोहफा देने जा रही है। अपनी माटी के लिए शिमला से हमारे विशेष संवाददाता शकील कुरैशी ने महेंद्र सिंह से विशेष भेंट की। इस दौरान बागबानी मंत्री ने अपना मास्टर प्लान शेरूर किया। महेंद्र सिंह का कहना है कि जो बागबान मशीनें नहीं खरीद पाते, उनहें किराए पर मशीनें दी जाएंगी। इसमें मिनी ट्रैक्टर से लेकर आरी, कटर, कैंचियां आदि शामिल रहेंगी। काम खत्म होने के बाद ये सामान सरकार के पास जमा हो जाएगा।  महेंद्र सिंह ने कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेयसे भी आग्रह किया है कि वे मार्केटिंग मे मदद करें। सरकार का प्रयास है कि देश के सभी प्रमुख मंडियों से सेब की डिमांड मंगवाकर उसी हिसाब से सप्लाई की जाएगी।  यही नहीं नीलामी के  दौरान विभागीय अफसरों को मौजूद रहना होगा।

सरकार किसानों को कृषि और बागबानी से संबंधित उपकरण किराए पर देगी। इससे जहां किसान बागबानों का पैसा बचेगा वहीं वेशकीमती समय की भी वचत होगी। सरकार का प्रयास है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जाए।

महेंद्र सिंह

शिमला में फिर से होगी नसबंदी

राजधानी शिमला में बंदरों की नसबंदी फिर से शुरू होगी। हालांकि नसबंदी की प्रक्रिया वर्ष 2006 से शुरू हुई थी, बावजूद इसके बंदरों की संख्या में कमी नहीं आई। इसे देखते हुए वन विभाग की वाइल्ड लाइफ विंग से इस साल भी नसबंदी का काम शुरू करने का निर्णय लिया है। पूरे प्रदेश में इस साल 20 हजार बदंरों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा है। जिसमें से शिमला शहर में कम से कम पांच हजार बंदरों की नसबंदी होनी है

सोलर बाड़ का खर्च पूछना मना है

हिमाचल में आवारा पशु सबसे बड़ी टेंशन बन गए हैं। अमूमन हर किसान की 25 फीसदी फसल गाय, सूअर, सांड, बंदर आदि बर्बाद कर देते हैं। प्रदेश सरकार फसलों का लावारिस पशुओं से बचाने के लिए सोलर बाड़ पर 85 फीसदी सबसिडी के दावे करती नहीं थकती, लेकिन किसानों का कहना है कि यह बाड़ काफी महंगी होती है। इस कारण वे लोहे की कांटेदार तार को पसंद करते हैं। किसान कहते हैं कि सरकार सबसिडी की बात करती है, लेकिन यह नहीं बताती कि एक बीघा या कनाल में सोलर बाड़ का कितना खर्च आता है। क्योंकि सबसिडी के बाद भी यह तार बहुत महंगी पड़ती है। खैर कुछ किसान इसे लगा भी रहे हैं। उनका कहना है कि भले ही इसे टच करने पर पशु को झटका लग जाए, लेकिन यह टूट जाती है, जिससे पूरी बाड़ बेकार हो जाती है। हमने विभागीय अधिकारियों से सोलर बाड़ का खर्च जानने की कोशिश की, लेकिन कोई भी मुंह खोलने को तैयार नहीं हुआ। तर्क था मैदानों और पहाड़ों में अलग अलग खर्च आता है। कहीं तीन वायर लगती है,तो कहीं पांच। अब सवाल जस का तस है,जिसका जवाब शायद ही भोले भाले किसानों को मिले

 -सूरत पुंडीर, नाहन

पत्तों पर कड़ापन लाने के लिए करें छिड़काव

अगले पांच दिन में मौसम परिवर्तनशील रहने व सभी जगहों पर वर्षा होने की संभावना है। दिन व रात के तापमान में 1-2 डिग्री सेल्सियस की कमी होने की संभावना है। हवा पूर्वी-उतर पूर्वी  दिशा से 5 से 6 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलने तथा औसतन सापेक्षित आर्द्रता 41-95 प्रतिशत तक रहने की संभावना है।

बागबानी संबंधित कार्यः

सेब में बीटर पिट की रोकथाम के  लिए तथा पतों पर कड़ापन लाने के लिए फलों में कैल्शियम क्लोराइड का (0.4 प्रतिशत) 800 प्रति 200 लीटर पानी में के हिसाब से पत्तों पर छिड़काव करें।                   – मोहिनी, नौणी

सेब पर सनबर्न का खतरा

इस बार कम बारिश होने से सेब के फलों पर सनबर्न का खतरा पैदा हो गया है। जिससे सेब की क्वालिटी पर असर देखने को मिल सकता है। बरसात के दिनों में बारिश कम मात्रा के कारण सेब बागबानों को क्वालिटी फ्रूट को लेकर चिंता सता रही है, जबकि के साईज पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। नमी कम होने से साईज बनने में दिक्कतें आ रही है और अधिकतर स्प्रेटर का माल ही निकल रहा है। इस समय बागबानी विशषेज्ञ ने ऐसे में समय पाउडर वाले फंगीसाईड के कम इस्तेमाल करने की सलाह दी है। इनका कहना है कि धूप अधिक खिलने से इससे रेस्टिंग आदि की ज्यादा संभावना हो जाती है। सेब सीजन में इस बार अभी तक विभिन्न फन मंडियों में सवा दो लाख सेब की पेटियां मार्केट में पहुंच चुकी है।

-रोहित सेम्टा, ठियोग

बरसात में सूखी शाहनहर; किसान बोले पंजाब ने किया बेड़ा गर्क

हिमाचल का सबसे बड़ा सिंचाई प्रोजेक्ट शाहनहर बरसात में सूख जाने से हजारों किसान मायूस हैं। आलम यह है कि तलवाड़ा से मंड तक 30 किलोमीटर इलाके में से महज कुछ किलोमीटर में पानी है। उसके बाद नहर में पानी की एक बूंद तक नहीं है। किसानों के लगातार सवाल उठाने पर अपनी माटी  टीम ने इंदौरा और मंड क्षेत्रों का दौरा किया, तो पाया कि हजारों एकड़ में धान की फसल सूखने के कगार पर है। किसानों ने बताया कि जहां से नहर निकलती है, वह चार किलोमीटर इलाका पंजाब में आता है। इसे हिमाचल द्वारा पैसा दिए जाने के बाद भी पंजाब ने पक्का नहीं किया। इससे पानी की मात्रा नहीं बढ़ाई जा सकती। जो पानी छोड़ा जाता है, अकसर उसे पंजाब के किसान चोरी कर लेते हैं।  इससे हिमाचल के किसानों को कुछ हासिल नहीं होता। दुखी किसानों  का कहना है कि जब करोड़ों रुपए की नहर हिमाचल ने बनवा दी, तो क्या शुरू के चार किलोमीटर क्या पक्के नहीं किए जा सकते थे। कुछ किसानों ने अपने स्तर पर प्राइवेट मोटरें लगा रखी हैं, लेकिन इन दिनों उन्हें बिजली नहीं मिल पा रही।  बहरहाल हिमाचल सरकार की चूक और पंजाब की अनदेखी के चलते हजारों किसान अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।

– गगन ललगोत्रा, ठाकुरद्वारा

माटी के लाल

रघुवीर सिंह फोन नं. 83509-61164

जापान में कृषि संबंधि विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ऊना जिला के गांव बढेड़ा के अग्रणी किसान रघुवीर सिंह के देशी व विदेशी सब्जियों ने पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय किसान मेला में अपनी धूम मचाई है। इस प्रदर्शनी में अग्रणी किसान रघुवीर सिंह ने तीन प्रकार के विदेशी कद्दू प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए थे। इनमें गोल्डन पेपकिन, पटनट पेपकिन, चौकीन्नी स्केश यलो किस्म के कद्दू उत्पाद प्रदर्शित किए थे। यह ऐसे कद्दू उत्पात हैं, जिनका उत्पादन विदेश में ही होता है। जिन्हें इस किसान ने अपने खेतों में प्राकृतिक खेती कर दिखाया है। इसी प्रदर्शनी में राउंड भिंडी भी प्रदर्शित भी की गई थी।

मुकेश जसवाल, ऊना

हरी सब्जी से भी फायदेमंद है  अरबी के पत्ते

बरसात का मौसम आते ही अरबी के पत्ते बहुतीय मात्रा में देखने को मिलते हैं। इसका वानस्पातिक नाम कोलोकेशिया ऐमकुटनेंटा है और यह खाने योग्य है और अरबी की सब्जी भी बनाई जाती है। इसके पत्तों से कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इसके पत्तों को बेसन लगाकर भाप में पकाया जाता है जिसे पत्तरोड़ या अन्य नामों से भी जाना जाता है, तो कहीं इसके पत्तों के इस्तेमाल पकौड़े बनाने के लिए किया जाता है। यह पूरा का पूरा पौधा ही खाने योग्य है। इसके तने की भी उड़द की दाल लगाकर सब्जी बनाई जाती है। अरबी के पत्ते हरे और पोषक तत्त्वों से भरपूर होते हैं। इन पत्तियों में एक अलग सा स्वाद होता है। इसमें विटामिन एबीसी के अलावा कैल्शियम, प्रोटिन एनर्जी, आयरन, कार्बोहाईड्रेट और  एंटी-आक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। औषधीय गुण-  इसके पत्तों में मौजूद सोडियम, पोटैशियम और मैग्निशियम ब्लड प्रैशर, को कंट्रोल करने में  मदद मिलती है। डाइटरी फाइबर से प्रचूर इसके पत्ते वजन कम करने में भी सहायक होते हैं। इसमें मौजूद फाइबर शरीर के मेटाबॉल्जियम को बढ़ाता है। इसके पत्तों का सेवन एसिडिटी से भी निजात दिलाता है। इसके पत्तों में मौजूद कैल्शियम हड्डियों के निर्माण या मजबूती में अहम भूमिका निभाता है।

मंजू लता सिसोदिया

सहायक प्राध्यापक वनस्पति विज्ञान, एमएलएसएम कालेज सुंदरनगर एवं भूतपूर्व सहायक प्राध्यापक वनस्पाति विज्ञान केंद्रीय विश्वविद्यालय वाराणासी

चैरी टोमोटो, मोटापा भगाने में हैं रामबाग

इन दिनों धर्मशाला से लेकर दिल्ली के बाजारों तक एक विदेशी सब्जी ने धूम मचा  रखी है। इस सब्जी का नाम है चैरी टोमेटो। नौणी यूनिवर्सिटी ने जायका प्रोजेक्ट के तहत कई किसानों को इसके पौधे बांटे थे। इन्हीं किसानों में से एक हैं हमीरपुर निवासी विनोद कुमार। अपनी माटी की टीम ने विनोद के फार्म का दौरा किया। विनोद ने अपने  पोलीहाउस में लाल व पीला चैरी टोमेटो लगाया है, जिसकी बंपर पैदावार हुई है। फसल नई थी तो विनोद को हमीरपुर में इसका खरीददार नहीं मिला। इस पर कृषि विभाग की सलाह पर उन्होंने इसे धर्मशाला बाजार भेजा, जहां  यह 120 रुपए किलो हाथों हाथ बिक गई। यह सब्जी ड्राई करके  दिल्ली के बाजारों में 360 रुपए किलो तक बिक जाती है। विश्ेषज्ञ कहते है कि चैरी टोमेटो शरीर के लिए काफी फायदेमंद है।  यह ब्लड प्रेशर और मोटापे को कंट्रोल करती है। इम्यूनिटी सिस्टम को भी मजबूत करती है। फाइबर और विटामिन सी के साथ इसमें सुपर लो कैलोरीज होती है। कृषि विभाग के उपनिदेशक डा. युद्धवीर सिंह ने बताया कि सूखे चेरी टोमेटो को गर्म पानी में डालने से यह सामान्य साइज में आ जाता है।  यह गोल्फ गेंद के आकार की होती है तथा यह घरेलू और जंगली टमाटर का आनुवांशिक मिश्रण है। तो यह थी चैरी टोमेटो की कहानी, शीघ्र मिलेंगे ऐसी ही एक और गुड स्टोरी के साथ।

कमलेश, हमीरपुर

किसान बागबानों के सवाल

  1. बरसात के मौसम में पशुशाला के पास ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं?

लता , कांगड़ा

आप हमें व्हाट्सऐप पर खेती-बागबानी से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी भेज सकते हैं। किसान-बागबानों के अलावा अगर आप पावर टिल्लर-वीडर विक्रेता हैं या फिर बीज विक्रेता हैं,तो हमसे किसी भी तरह की समस्या शेयर कर सकते हैं।  आपके पास नर्सरी या बागीचा है, तो उससे जुड़ी हर सफलता या समस्या हमसे साझा करें। यही नहीं, कृषि विभाग और सरकार से किसी प्रश्ना का जवाब नहीं मिल रहा तो हमें नीचे दिए नंबरों पर मैसेज और फोन करके बताएं। आपकी हर बात को सरकार और लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इससे सरकार को आपकी सफलताओं और समस्याओं को जानने का मौका मिलेगा।

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