भुगतान बैंकों को समर्थन की जरूरत
मुंबई -आदित्य बिड़ला भुगतान बैंक द्वारा आगामी अक्तूबर से अपना परिचालन बंद करने की घोषणा के बीच एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भुगतान बैंकों का भविष्य ‘अनिश्चित’ दिख रहा है, जबकि इस मॉडल को वित्तीय समावेशन को गहराई तक स्थापित करने के लिए लाया गया था। रिपोर्ट में इस मॉडल की वृद्धि के लिए नियामकीय समर्थन की जरूरत बताई गई है। भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों द्वारा तैयार रिपोट में कहा गया है, भविष्य अनिश्चित है, लेकिन सरकारी और नियामकीय समर्थन से समय के साथ कारोबार उठेगा और वृद्धि करेगा। इस रिपोर्ट के आने से कुछ ही दिन पहले आदित्य बिड़ला पेमेंट बैंक ने अपना कारोबार अक्तूबर से बंद करने की घोषणा की है। भुगतान बैंक का मॉडल ‘अपने लक्ष्यों को पाने में असफल होता दिख रहा है। वर्ष 2014 में 11 कंपनियों को भुगतान बैंक का लाइसेंस दिया गया, लेकिन अभी तक केवल चार इकाई ही परिचालन में हैं, वहीं इस माह की शुरुआत में वोडाफोन-एमपैसा ने भी अपना परिचालन बंद कर दिया था। रपट में कहा गया है कि भुगतान बैंक परिसंपत्ति और देनदारी दोनों मोर्चों पर कड़े नियामकीय प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं। उन्हें ऋण देने की अनुमति नहीं है और जमा स्वीकार करने की भी सीमा मात्र एक लाख रुपए है। इस कारोबार के ऋण जोखिम से मुक्त होने के बावजूद पूंजी की जरूरत 15 प्रतिशत है। सूचनाओं को सार्वजनिक करने के और कारोबारी योजनाओं को नियामक के साथ साझा करने के नियमों से भुगतान बैंकों के लिए बड़ी मुश्किल है।
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