महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा करवा रहे लिंग परिवर्तन, ऐसे लोग संतान को जन्म नहीं दे सकते

By: Jul 21st, 2019 12:18 pm

देश में अब लिंग परिवर्तन (सेक्स चेंज) करवाना आम हो चुका है। मेट्रो ही नहीं बल्कि इंदौर, भोपाल जैसे शहरों में भी कई लोग लिंग परिवर्तन करवा रहे हैं। भोपाल में हाल ही में एक युवक ने सेक्स चेंज करवाया। दुनिया में तो यह 1930 में ही शुरू हो गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहली बार जर्मनी में एक शख्स ने सेक्स रीसाइनमेंट सर्जरी करवाई थी। तब से लेकर अब तक इसके ट्रीटमेंट में काफी बदलाव हो चुका है। नई टेक्नोलॉजी में तो खर्च भी कम हो चुका है। अब लिंग परिवर्तन कौन करवा रहा है? यह कैसे होता है? लोग यह क्यों करवा रहे हैं? कितना खर्च आता है? सफलता का प्रतिशत कितना है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब के लिए हमने मध्य भारत में इस तरह का पहला ऑपरेशन करने वाले अपोलो हॉस्पिटल (इंदौर) के डॉ. अश्विनी दास (प्लास्टिक सर्जन), मनारोग विशेषज्ञ डॉ आशुतोष सिंह, दिल्ली हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट आरएम तिवारी और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के वकील संजय मेहरा से बात की। डॉ. सिंह ने बताया कि जिन लोगों को जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर या जेंडर डायसोफोरिया होता है, उनका ही लिंग परिवर्तन किया जाता है। जेंडर डायसोफोरिया होने पर एक लड़का, लड़की की तरह और एक लड़की, लड़के की तरह जीना चाहती है यानी वे अपोजिट सेक्स में खुद को ज्यादा सहज पाते हैं। कई पुरुषों में बचपन से ही महिलाओं जैसी और कई महिलाओं में पुरुषों जैसी आदतें होती हैं। यह लक्षण 10-12 साल से दिखना शुरू हो जाते हैं। जैसे कोई पुरुष है तो वह महिलाओं जैसे कपड़े पहनना पसंद करने लगेगा, महिलाओं की तरह चलने की कोशिश करेगा, उन्हीं की तरह इशारे करेगा। ऐसा ही महिलाओं के साथ होता है, जिसमें वे पुरुष की तरह जीना चाहती हैं। ऐसी स्थिति में इन लोगों को सेक्स चेंज करना होता है। मनोरोग विशेषज्ञ की अनुमति के बिना कोई भी सर्जन किसी का लिंग परिवर्तन नहीं करता। दरअसल जिन लोगों को जेंडर डायसोफोरिया होता है, उनका बाकायदा डिटेल असेसमेंट किया जाता है और यह पता लगाया जाता है कि इसे वाकई जेंडर डायसोफोरिया है या नहीं। यह काम मनोरोग विशेषज्ञ करते हैं। 18 साल की उम्र के बाद ही यह असेसमेंट किया जाता है क्योंकि इसके पहले ही उम्र के शख्स को मानसिक तौर पर तैयार नहीं माना जाता। बालिग होने के बाद भी कोई ऐसे लक्षण, आदतें दिखाए तो फिर मनोरोग विशेषज्ञ डिटेल असेसमेंट करते हैं। डॉ. अश्विनी दास ने बताया कि पुरुष से महिला बनने के लिए करीब 18 और महिला से पुरुष बनने के लिए करीब 33 चरणों से गुजरना पड़ता है। इसमें संबंधित व्यक्ति के लिंग के साथ ही उसके चेहरे, बाल, नाखून, हाव-भाव, हार्मोंस, कान का शेप तक को बदल दिया जाता है। हालांकि यह प्रॉसेस काफी खर्चीली हैं, इसलिए अधिकतर लोग इन सभी को करवाने के बजाए इनमें से प्रमुख चरणों को करवा लेते हैं, जिसमें दो से ढाई लाख रुपए के खर्च आता है। लिंग परिवर्तन की प्रॉसेस सिर्फ प्लास्टिक सर्जन द्वारा ही पूरी नहीं की जाती, बल्कि इसमें मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, स्त्री रोग विशेषज्ञ, न्यूरोलॉजिस्ट और वकील भी शामिल होते हैं। जो भी व्यक्ति लिंग परिवर्तन करवाता है, उससे कानूनी लिखा-पढ़ी करवाई जाती है, जिसमें वे खुद इस बात की अनुमति देता है कि वो लिंग परिवर्तन करवाना चाहता है। उसके अलावा व्यक्ति के परिवार की सहमति भी जरूरी होती है। मनोरोग विशेषज्ञ के अप्रूवल भी लगता है। इससे यह पता चल चलता है कि व्यक्ति को वाकई जेंडर डिस्फोरिया है और वह अपने मौजूदा लिंग के साथ सहज नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट आरएम तिवारी ने बताया कि लिंग परिवर्तन को लेकर कानून में कोई प्रावधान नहीं है। बिना कानूनी प्रावधान के किसी का भी लिंग परिवर्तन करना अनैतिक और गलत है। मप्र हाईकोर्ट के एडवोकेट संजय मेहरा ने मुताबिक, लिंग परिवर्तन करने पर उसी के तहत व्यक्ति को पहचान पत्र भी जारी हो जाते हैं, जिन्हें सरकार मान्यता देती है। मेहरा कहते हैं कि, स्त्री से पुरुष बनने का मामला तो महाभारत में भी शिखंडी के रूप में देखने को मिलता है। हालांकि वे यह मानते हैं कि कानून में इसे लेकर कोई प्रावधान नहीं है।


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