‘मृत्युभोज’ न करें

By: Jul 15th, 2019 12:02 am

 प्रेमचंद माहिल, भोरंज

कुछ दिन पहले दिव्य हिमाचल के इसी पन्ने पर ‘मृत्युभोज कितना सार्थक’ लेख पढ़कर मन अति प्रसन्न हुआ। यह निष्कर्ष रहित विषय है कि मृत्यु के बाद किया गया दान मृतप्राणी को ही मिलता है। कुछ लोग इसके समर्थक हैं और कुछ नहीं। इससे परे हटकर हमें इस विषय पर मंथन करना होगा। अमीरों द्वारा यहां भी दिखावा किया जाता है और गरीब भी इसी दिखावे के लिए स्वयं को मजबूर समझ लेते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि बूढ़े मां-बाप को जीते जी रोटी के लिए तरसाया जाता है और उनके मरने के बाद लोकलज्जा के चक्कर में बढि़या धाम तैयार करवाई जाती है। मेरी प्रार्थना है कि एक नई सोच के साथ मृत्युभोज न करने का संकल्प लीजिए।

 


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