राष्ट्रपति भवन में फंसा लैंड मोडगेज बिल

By: Jul 18th, 2019 12:01 am

सरकार ने भेजा रिमाइंडर, मंजूरी के बाद किसी भी बैंक से कर्ज ले सकेंगे जनजातीय लोग

शिमला – प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को किसी भी बैंक से ऋण लेने में सुविधा देने वाला प्रदेश का विधेयक अभी तक राष्ट्रपति भवन से वापस नहीं आया है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने जनजातीय विकास मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिख कर मंजूरी प्रदान करने का आग्रह किया है। यदि यह बिल प्रदेश में लागू हो जाता है, तो प्रदेश के जनजातीय जिलों के लोग किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंकों से ऋण ले सकेंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने पिछले साल मानसून सत्र में हिमाचल प्रदेश भूमि अंतरण अधिनियम-1968 के कानून में प्रदेश सरकार ने संशोधन विधेयक सदन में पारित किया था, जिसे राज्यपाल की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति को भी भेज दिया, मगर अभी तक राष्ट्रपति से विधेयक की फाइल वापस नहीं आई। हालांकि वर्तमान में इन क्षेत्रों के लोगों को राज्य के सहकारी बैंक से जमीन मोडगेज कर ऋण दिया जाता है। पुराने नियमों में संशोधन कर प्रदेश सरकार ने विधेयक को पारित किया। जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को जमीन के एवज में कर्ज लेने के लिए इस विधेयक में कानून का प्रावधान किया गया। यहां तक कि पूर्व की प्रदेश सरकार ने 2016 का संशोधन विधेयक संख्या-22 विधानसभा में पुरःस्थापित किया गया था और जिसे 23 दिसंबर 2016 को पारित किया गया था। यह विधेयक राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति की सहमति के लिए आरक्षित रखा गया, लेकिन भारत सरकार ने वर्ष 2016 में पारित विधेयक में कुछ संशोधनों का सुझाव दिया था। उसके बाद ही प्रदेश के जयराम सरकार ने संशोधित विधेयक मानसून सत्र में पारित किया था।  ऐसे में अब इस विधेयक को लागू करने के लिए राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने का इंतजार रहेगा। जयराम सरकार ने ट्राइबल एरिया के लोगों को ऋण लेने के लिए बेहतर सुविधा देने के लिए ही इस विधेयक में संशोधन किया है। राष्ट्रपति भवन से विधेयक की फाइल वापस आने के बाद ही नए नियम लागू हो जाएंगे।


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