वीसी-टीचर्स बताएंगे, कैसी हो नई शिक्षा नीति

By: Jul 16th, 2019 12:02 am

19 से हायर एजुकेशन काउंसिल की मीटिंग, नई पॉलिसी के प्रारूप पर होगी चर्चा

 शिमला —नई शिक्षा नीति को लेकर 19 व 20 जुलाई को दो दिवसीय बैठक होगी। बैठक में केंद्र सरकार को भेजने के लिए हिमाचल की शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार किया जाएगा। 19 जुलाई को दो दिवसीय बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मौजूद रहेंगे। अहम यह है कि बैठक में कई विश्वविद्यालयों के वीसी बुलाए जाएंगे व उनसे नई शिक्षा नीति पर सुझाव लिए जाएंगे। हालांकि इस बैठक में कालेज प्रधानाचार्यों को भी बुलाया जाएगा। इसके अलावा विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर व शिक्षक इसके लिए अपने सुझाव देंगे। विभाग ने इस बैठक में स्कूल-कालेज प्रधानाचार्यों व शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य की है। बताया जा रहा है कि इसमें शिक्षक ड्राफ्ट में शामिल किए गए नए प्रावधानों पर भी अपनी राय दे सकते हैं। केंद्र सरकार ने 31 जुलाई तक इसमें सुझाव मांगे हैं। इस दौरान नई शिक्षा नीति के लिए जो सुझाव राज्यों से आएंगे, उन पर गौर किया जाएगा। उपयुक्त सुझावों को ड्राफ्ट में शामिल किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार अगस्त माह तक देश में नई शिक्षा नीति लागू कर सकता है। उल्लेखनीय है कि यह बैठक सबसे ज्यादा उच्च शिक्षा पर अधारित होगी। बैठक  में रूसा के तहत किए गए बदलाव पर भी चर्चा की जाएगी। वहीं, रूसा के सेमेस्टर व वार्षिक प्रणाली में बदलाव जरूरी है या नहीं, इस पर भी विस्तार से चर्चा करने की योजना है। गौर हो कि नई शिक्षा नीति में रूसा सिस्टम को एनुअल न करके सेमेस्टर में तबदील करने को कहा गया है। ऐसे में हिमाचल की उच्च शिक्षा में सुधार करने के लिए यह विषय बहुत ही गंभीर है। इस बैठक में नई शिक्षा नीति रूसा पर क्या सुधार करने चाहिए, इस बारे में भी चर्चा की जाएगी।

ड्राफ्ट में ये प्रावधान शामिल

नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में हायर और सेकेंडरी शिक्षा को मर्ज करने का प्रावधान कि या गया है। नौवीं से 12वीं कक्षा में सेमेस्टर पैटर्न शुरू करने व आरटीई एक्ट प्री-नर्सरी कक्षाओं पर लागू करने की सिफारिश ड्राफ्ट में की गई है। इसके साथ ही स्कूलों में शिक्षक-छात्र रेशो 30ः1 अनिवार्य करने, मिड-डे मील के साथ सुबह का नाश्ता उपलब्ध करवाने, छठी कक्षा से तीन भाषा विषय शुरू करने, संस्कृ त विषय को ऑप्शनल रखने, अंगे्रजी भाषा को ज्यादा तवज्जो न देने व भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता देना इसमें शामिल किया गया है। इसके अलावा आंगनबाडि़यों को प्री-नर्सरी स्कूलों में मर्ज करना भी इसमें शामिल है।


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