सराज में देवता चालदा महासु की प्राण प्रतिष्ठा
ठियोग —छत्रधारी चालदा महासु जो कि जुब्बल के सराज गांव में स्थित है। देवता की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक भव्य देव परंपरा से जुड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में देवता चालदा महासू की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसमें हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष लक्ष्मण चौहान के अनुसार इस कार्यक्रम में हिमाचल व उत्तराखंड से 10-12 देवी-देवताओं की पालकी व डोरीयों नें अपनी उपस्थिति यहां दर्ज करवाई है। जिसमें कि इस कार्यक्रम में पवासी, महासू गांव ठडियार (डोरीया) बोठा महासू (डोरीया) गांव हनोल, मूल छत्तरधारी चालदा महासू खांडा (तलवार) गांव ठडियार, शेडकुडीया महाराज (डोरीया) फतेहपर्वत, शांगलू देवता सराजी (स्थानीय देव), मूल छत्तरधारी चालदा महासू के अंग चालदा महासू (पालकी) गांव खशाधार, गुडारू महाराज (डोरीया) आदि देवी-देवताओं ने देवी कार्यक्रम में भाग लिया। महाराज ने पूरे रीति-रिवाजों व नियमों के अनुसार अपनी एकमात्र चांदी की खोली के कपाट ग्राम सराजी जुब्बल (पांशीबील) में अपने वजीर को स्वप्न में आदेश कर हमेशा के लिए अपनी उपस्थिति में स्थापित करवाया जिस की प्राण प्रतिष्ठा, स्थापना एवं महायज्ञ छत्तरधारी चालदा महासू की कृपा व आशीर्वाद से ग्राम सराजी (जुब्बल) में सफल हुआ है। इस कार्यक्रम को सिद्ध करनें में चालदा महासू के बजीर (पांशीबील) जयपाल सिंह, बज़ीर जगमोहन (शांठीबील), मंदिर कमेटी के अध्यक्ष लक्ष्मण चौहान सराजी के लोगों, दानी सज्जनों, मंदिर कमेटी सराजी का प्रयास उल्लेखनीय व सराहनीय रहा। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया और अपने ईष्ट देवता का आशीर्वाद लिया।
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