सात साल में सिर्फ 65 संस्थानों की ही चैकिंग!

शिमला-प्रदेश सरकार द्वारा बड़े शिक्षण संस्थानों पर नजर रखने के लिए गठित किए गए शिक्षा नियामक आयोग पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। इस बार शिमला स्थित महालेखाकार कार्यालय से नियामक आयोग को फटकार लगी है। एजी ऑफिस से शिक्षा नियामक  आयोग को दिए गए पत्र में कहा गया है कि 2011 से लेकर 2017 तक अभी तक केवल आयोग ने 65 शिक्षण संस्थानों की ही इंस्पेक्शन की है, वहीं 94 प्रतिशत शिक्षण संस्थानों की चैकिंग करना अभी बाकी है। दरअसल एजी ऑफिस के पत्र में साफ लिखा है कि आयोग को राज्य के 1104 शिक्षण संस्थानों की रिपोर्ट भेजनी थी, लेकिन अभी तक 1039 ऐसे निजी शिक्षण संस्थान हैं, जहां पर सात सालों से आयोग की ओर से चैकिंग ही नहीं की गई है व रिपोर्ट भी आदेशानुसार एजी कार्यालय में नहीं भेजी है। गौर हो कि शिक्षा नियामक आयोग शिक्षण संस्थानों द्वारा हर साल बढ़ाई जाने वाली फीस पर नजर रखता है। इसके अलावा संस्थान को एक साल में कितना मुनाफा व नुकसान हुआ है व संस्थानों में कौन-कौन से कोर्स चलाए जा रहे हैं, रिसर्च लेवल कितना बेहतर है आदि पहलुओं पर नियामक आयोग ही नजर रखता है। एजी ऑफिस से आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि इतने सालों से कमेटी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर रही है। हैरत तो इस बात की है कि हिमाचल सरकार द्वारा रेगुलेटरी कमीशन में चयन किए सदस्यों में ही आपसी मतभेद भी पैदा हो गए हैं। बता दें कि 2017 में रेगुलेटरी कमीशन के चयन किए गए दो नए सदस्यों में से एक सदस्य एसपी कटयाल ने अध्यक्ष पर सवाल खड़े किए थे। एसपी कटयाल ने कमीशन के अध्यक्ष केके कटोच के खिलाफ सरकार को लिखित में शिकायत पत्र सौंपा है। इस शिकायत पत्र में एसपी कटयाल ने मांग उठाई थी कि वर्तमान के रेगुलेटरी कमीशन को भंग कर नया कमीशन गठित किया जाए। गौर हो रेगुलेटरी कमीशन यानी की नियामक आयोग का गठन 2010 में निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी को रोकने के लिए किया गया था।

आयोग की होगी जांच

शिक्षा प्रधान सचिव केके पंत ने कहा कि सरकार के आदेशानुसार वर्तमान नियामक आयोग द्वारा गठित की गई कमेटियों के खिलाफ जांच की जाएंगी। उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा किस आधार पर कमेटियों का गठन किया गया, इन सब पर जवाब तलब किया जाएंगा। इसके साथ ही समय – समय पर आयोग शिक्षण संस्थानों पर नजर क्यों नहीं रख रहा है, इस पर भी जवाब तलब किया जाएगा।