सीएम का किसानों से प्रोमिस खेतों के बिकवा दूंगा सारी फसल

By: Jul 21st, 2019 12:06 am

हिमाचल के 10 लाख किसानों के लिए उम्मीदों भरा समाचार है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि प्रदेश सरकार फसलों को मंडियों तक ले जाने का इंतजाम खुद करने जा रही है। जिन स्थानों पर ऐसा नहीं हो पाएगा, वहां खेत में ही साग-सब्जी को बिकवा दिया जाएगा। मंडी में सीएम ने दिव्य हिमाचल को बताया कि प्रदेश में कोल्ड स्टोर नहीं हैं। इस कमी को शीघ्र पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में दिल्ली में 50 देशों के नुमाइंदों से बैठक के दौरान कुछ कंपनियों ने खेती में निवेश की बात कही है। प्रदेश सरकार का प्रयास रहेगा कि कोल्ड स्टोर की नई चेन तैयार कर दी जाए।  अमूमन होता यह है कि हिमाचल में जब अपनी सब्जियां तैयार होती हैं, तो दाम बुरी तरह गिर जाते हैं। इसी से किसान सबसे ज्यादा हताश होते हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री के प्रयास ग्राउंड रूट पर सिरे चढ़ते हैं, तो किसानों के अच्छे दिन आ सकते हैं।

मंडी से ब्यूरो चीफ अमन अग्निहोत्री

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि प्रदेश सरकार फसलों को मंडियों तक ले जाने का इंतजाम खुद करने जा रही है। जिन स्थानों पर ऐसा नहीं हो पाएगा, वहां खेत में ही साग-सब्जी को बिकवा दिया जाएगा।

अब 20 रुपए किलो भी नहीं बिक रही लीची

चमकी बुखार ने भले ही  बिहार में 150  बच्चों की जान ली हो, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर हिमाचल में हुआ था। सीजन के शुरू में ही हिमाचल का 30 फीसदी लीची कारोबार चौपट हो गया था, लेकिन अब हालत और भी बुरी है। आलम यह है कि कभी 120 रुपए किलो बिकने वाली लीची को अब कोई 20 रुपए में भी नहीं खरीद रहा है। प्रदेश के बागवान अब तक लाखों का घाटा उठा चुके हैं। कई जगह बागीचों में ही फसल खराब हो गई है। प्रदेश के विशेषज्ञ लोगों से कई बार अपील कर चुके हैं कि वे अफवाहों में न आएं,लेकिन शायद इसका कोई असर नहीं हुआ।

– जयदीप रिहान, पालमपुर

बागबानों के साथ ठेकेदारों को भी खूब चपत लगी है। आइए सुनते हैं क्या कह रहे हैं ठेकेदार सागर से इनका कहना है कि चमकी बुखार से लीची के कारोबार में बिहार में तो असर दिखा ही, पर हिमाचल में भी इसका लीची के कारोबार में काफी नुकसान हुआ है।

 सुलाह क्षेत्र का दौरा किया। बागबान  अश्वनी ने कहा कि इस बार लीची के कारोबार में भारी नुकसान हो रहा है।

दिल्‍ली से लेकर बंगलूर तक चुराग फल मंडी की धाक

हिमाचल में सेब सीजन अपने यौवन पर है। टाइडमैन के बाद अब सेब की स्पर और रेड किस्मों ने मार्केट में धमाल मचा रखी है। दिल्ली से लेकर बंगलूर,चेन्नई तक के कारोबारियों ने हिमाचल में डेरा जमा लिया है। अपनी माटी बुलेटिन की टीम सेब कारोबार का हाल परखने के लिए इस बार मंडी जिला के दूरवर्ती कोने में बसी चुराग फल मंडी पहुंची।  चुराग में सब्जी की बोली सुबह 7 से 10 बजे तक लगती है,वहीं सेब की बोली का समय सुबह 10 से दोपहर बाद ढाई बजे तक है। यहां रोजाना 15 सौ पेटी सेब पहुंच रहा है, वहीं नाशपाती के 400 और प्लम के आठ सौ बाक्स इस मंडी में पहुंच रहे हैें। सेब का एक बाक्स अभी तीन हजार तक बिक रहा है।  फल मंडी चुराग के अध्यक्ष नरेश कुमार शर्मा ने बताया कि किसानों बागबानो  को अच्छे दाम दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। अगले सप्ताह तक कारोबार और तेजी पकड़ेगा। ध्यान रहे कि चुराग मंडी से ही सबसे पहले सेब की टाइडमैन किस्म देश भर में पहुंचती है।

रिपोर्ट नरेंद्र शर्मा, करसोग

सेब बिकने के दो दिन बाद पेमेंट

सेब आढ़तियों को इस बार ज्यादा से ज्यादा दो दिन के भीतर सेब की पैमेंट को कलीयर करना होगा। ऐसा न करने पर बागबान एपीएमसी के पास अपनी शिकायत करवा सकता है और ऐसे आढ़तियों का लाईसैंस भी रदद किया जाएगा। इसके अलावा एमपीएमसी इस बार आढ़तियों से स्कयोरिटी के तौर पर एडवासं पैमेंट भी वसूल रहा है। जिसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बागवानों को जागरूक करने के लिए एपीएमसी ने भी बागवानों से अपील करते हुए कहा है कि बागबान दो दिनों से अधिक समय होने पर तुरंत इसकी शिकायत दर्ज करवाए जिससे कि समय रहते ऐसे आढ़तियों पर कारवाई की जा सके। एपीएमसी के चैयरमेन नरेश शर्मा ने बताया कि आढ़तियों के खिलाफ  हर साल आ रही शिकायतों को देखते हुए इस बार सख्ती की जा रही है और बागवान भी सहयोग करें।                

रोहित सेम्टा, ठियोग

एक नजर यहां भी ध्‍यान दें

प्रदेश सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आने वाले ई-कंट्रोल ऑर्डर्स को होल्ड कर दिया है। इन आदेशों के बाद प्रदेश के सभी जिलों में फल व सब्जी विक्रेताओं पर खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता नियंत्रक (डीएफएससी) का नियंत्रण समाप्त हो गया है। नियंत्रण के खत्म होने से अब विक्रेता रेट लिस्ट लगाने के लिए बाध्य नहीं होंगे और वे उपभोक्ताओं से मनमाने दाम वसूलेंगे, जिसका सीधा नुकसान आम लोगों की जेबों पर पड़ेगा। आदेश प्राप्त हुए हैं। आगामी आदेशों तक इनकी पालना सुनिश्चित बनाई जाएगी

मिलाप शांडिल, डीएफएससी, सोलन

जीरो बजट खेती की दुकानें

नेचुरल बैंगन-भिंडी यहां लें
शिमला शहर में ऐसी चार दुकानें खोली जाएंगी जिनमें केवल प्राकृतिक खेती के उत्पाद बेचे जाएंगे। इस दौर में कैमिकल युक्त उत्पाद खाकर लोग खुद परेशान हैं, जो चाहते हैं कि उनके स्वस्थ शरीर के लिए बेहतर चीज मिले…

प्राकृतिक रूप से हो रही खेती के उत्पादों को बेहतर मार्केट देने की शुरूआत शिमला से होगी। कृषि विभाग की योजना है कि इस खेती से हुई पैदावार को वह बेचेंगे, जिसके लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। शिमला शहर में ऐसी चार दुकानें खोली जाएंगी जिनमें केवल प्राकृतिक खेती के उत्पाद बेचे जाएंगे। इस दौर में कैमिकल युक्त उत्पाद खाकर लोग खुद परेशान हैं, जो चाहते हैं कि उनके स्वस्थ शरीर के लिए बेहतर चीज मिले। लिहाजा सरकार लोगों के लिए यह सुविधा देने की सोच रही है। हाल ही में इसे लेकर कृषि मंत्री डा. राम लाल मार्कंडेय ने राज्यपाल को भी जानकारी दी। शहर में जो चार दुकानें कृषि विभाग खोलेगा वह सुभाष पालेकर  के नाम पर होंगी। इन दुकानों में सिर्फ वही उत्पाद मिलेंगे और यह उत्पाद शिमला के आसपास के उन क्षेत्रों से लाए जाएंगे जहां पर प्राकृतिक रूप से खेती की जा रही है। यहां जैविक खेती  की पैदावार लाई जाएगी और इनका उत्पादन करने वाले किसानों को एक मार्केट दी जाएगी। आने वाले दिनों में इसकी सफलता की कामना की जा रही है। जल्दी ही कृषि महकमा ऐसे युवाओं को दुकानें देगा जो कि रोजगार की तलाश में हैं। शिमला में ओल्ड बैरियर के पास, छोटा शिमला के पास, रिज मैदान के पास व संजौली या फिर ढली एरिया में ऐसे उत्पादों को बेचने के लिए दुकानों का निर्माण किया जाएगा।

शकील कुरैशी, शिमला

माटी के लाल

नया कीर्तिमान किया अर्जित

सीता राम फोन नं. 98164-41641

विकास खंड अंब के तहत ठठल गांव के एक किसान ने बेमौसमी चने की फसल की पैदावार कर एक नया कीर्तिमान अर्जित किया है। यह किसान इससे पहले (12 ) महीने के विभिन्न प्रजाति के आम की फसल तैयार करने का करिश्मा अपने नाम कर चुका है। पूर्व प्रधान व किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर सीता राम ने कहा कि उसने फरवरी महीना के अंत मे अपने खेत में चने की फसल की बीजाई करने का रिस्क लिया। लेकिन करीब तीन महीनों में चने की फ़सल तैयार होने से उसकी मेहनत सिरे चढ़ गई है। उन्होंने बताया कि उसने अपने स्तर पर चने का बीच तैयार कर खेत को इसके लिए उपजाऊ करने के बाद चने की फसल को बीजा था, जोकि काफी कामयाब रहा है। उन्होंने कहा कि यदि लोग खेतों में लग्न से काम को अंजाम दे तो अपनी अच्छी आमदन प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस चने की फसल को लार्ज स्केल पर खेतों में उगाया जाएगा। इस संबध में एग्रीकल्चर विभाग अंब के अधिकारी प्यारो देवी से बात कि गई तो उन्होंने बताया की वैसे तो चने की फसल अक्तूबर, नवंबर में बिजी जाती है, लेकिन उन्हें पता चला है की ठठल के एक किसान ने फरवरी मार्च में चने की फसल की बीजाई कर इसे तीन महीनों में तैयार किया है। उन्होंने कहा कि चने की फसल को देखने के लिए स्पॉट विजिट की जाएगी। उन्होंने किसान की इस कार्य के लिए प्रशंसा की है।

-सुरेंद्र शर्मा, अंब

बिचौलियों को मिलेगा सबक

बागबानों को बिचौलियों से बचाने व सेब के अच्छे दाम दिलाने के लिए एचपीएमसी नया प्रयास शुरू करने जा रहा है। बागबानों को अच्छे दाम दिलाने के लिए एचपीएमसी बाहरी राज्यों में स्वयं सेब बेचेगा। एचपीएमसी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश को खुद ही सेब बेचेगी। गुरुवार को हुई एचपीएमसी की निदेशक मंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। इन राज्यों के मुख्यमंत्री और बागबानी मंत्रियों को पत्र लिखकर उन्हें प्रदेश से सेब सीधे खरीदने का आग्रह किया जाएगा। एचपीएमसी इन राज्यों की मार्केटिंग कारपोरेशन से संपर्क कर इसे सिरे चढ़ाएगा।

रोहित सेम्टा, ठियोग

बुरा फंसा वन विभाग

विभाग ने नगर निगम शिमला के दायरे में भी बंदरों को वर्मिन घोषित करने की अनुमति मांगी है। इसे देखते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि पहले अब तक मारे गए बंदरों का ब्यौरा दो, फिर आगामी कार्रवाई होगी। फरवरी में केंद्र सरकार ने नगर निगम शिमला को छोड़ प्रदेश की 91 तहसीलों में बंदर मारने की अनुमति दी।

रिपोर्ट आरपी नेगी

मानसून भी देने लगा दगा

प्रदेश में शुरुआत में ही मानसून कमजोर पड़ गया है। राज्य में अभी तक मानसून के दौरान सामान्य से कम बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो कुछ सालों के दौरान काफी कम आंकी जा रही है। ऐसे में राज्य में किसानों व बागबानों की चिंता बढ़ती जा रही है। बिना बारिश के अब किसानों व बागबानों को फसलों की चिंता सताने लगी है। राज्य में मानसून के दौरान अभी पहली जुलाई से 11 जुलाई तक केवल 112.3 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है। राज्य में इस अवधि के दौरान 178.6 मिलीमीटर सामान्य बारिश हो जाती थी, लेकिन इस मानसून के दौैरान बादल कम बरसे हैं। राज्य में सामान्य से -37.0 मिलीमीटर बारिश कम आंकी जा रही है। जुलाई में भी राज्य के अधिकतर क्षेत्रों में कम ही बारिश हुई है। राज्य में एक से 11 जुलाई के मध्य 56.9 मिलीमीटर बारिश आंकी गई है, जबकि इस अवधि के दौरान राज्य में 78.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती है। ऐसे में राज्य में इस माह के दौरान अभी तक -27.0 मिलीमीटर कम बारिश हुई है।      

    रिपोर्ट टेकचंद वर्मा

किसान बागबानों के सवाल

  1. बरसात के मौसम में कौन से फूल लगाएं ?

 इस ऋतु में उगाए जाने वाले फूल, मेरेंथस, बालसम, कॉक्सकॉम्ब मेरीगोल्ड,मीराविलिस,पोर्चुलाका, सूरजमुखी, टियोनिया, टेरीनिया, जीनिया आदि।

पवन, मंडी 

  1. बरसात के मौसम में कीड़े- मकौड़ों से बचने के लिए कौन सी दवाई की स्प्रे करें?

  सिंक व वॉशबेसिन की नालियों पर 2-3 फिनाइल की गोलियां डाल दें। इससे कॉक्रोच नहीं आएंगे। बोरेक्स पाउडर में हल्दी मिलाकर चींटियों के निकलने वाली जगह पर डालने से भी फायदा होता है।

पूजा, ऊना

हमें भेजें फोटो-वीडियो

आप हमें व्हाट्सऐप पर खेती-बागबानी से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी भेज सकते हैं। किसान-बागबानों के अलावा अगर आप पावर टिल्लर-वीडर विक्रेता हैं या फिर बीज विक्रेता हैं,तो हमसे किसी भी तरह की समस्या शेयर कर सकते हैं।  आपके पास नर्सरी या बागीचा है,तो उससे जुड़ी हर सफलता या समस्या हमसे साझा करें। यही नहीं, कृषि विभाग और सरकार से किसी प्रश्ना का जवाब नहीं मिल रहा तो हमें नीचे दिए नंबरों पर मैसेज और फोन करके बताएं। आपकी हर बात को सरकार और लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इससे सरकार को आपकी सफलताओं और समस्याओं को जानने का मौका मिलेगा।

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