सूर्य की अंतिम किरण से पहली किरण तक…

By: Jul 16th, 2019 12:05 am

मंडी—धर्मशास्त्रों की वर्जनाएं आज के दौर में प्रासंगिक नहीं हैं। उस दौर में भी राजसी घरानों के भीतर चलते षड्यंत्रों की वजह से कई घृणित कर्मकांड होते रहे हैं। ऐसी ही एक प्रथा रही है नियोग। इसमें निःसंतान महिला गर्भधारण करने के लिए पराए पुरुष को अपना उपपति मान कर उससे संसर्ग कर संतान उत्पन्न करती रही है। मशहूर नाट्य लेखक सुरेंद्र वर्मा द्वारा लिखित एवं इंद्रराज इंदू द्वारा निर्देशित नाटक सूर्य की अंतिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक का प्रभावशाली मंचन नव ज्योति कला मंच के कलाकारों ने किया। राजा ओक्काक के वंश की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए राज्य की मंत्री परिषद तय करती है कि राजवंश के वारिस के लिए रानी शीलवती को नियोग विधि से संतान प्राप्ति के लिए अपनी मर्जी से किसी पुरुष को अपना उपपति चुन कर सूर्य की अंतिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक उसके साथ रहना होगा। इसका ढिंढोरा पूरे राज्य में पीट दिया जाता है। मंत्री परिषद के इस षड्यंत्रकारी बहकावे में आकर रानी अपनी मर्जी से आर्य प्रतोष को अपना उपपति चुनती है। जिससे वह पहले भी प्रेम करती थी, मगर विवाह इसलिए नहीं कर पाई थी कि वह गरीब युवक था। इस नाटक में राजा ओक्काक के प्रभावशाली किरदार को विशाल ने निभाया है। वहीं पर रानी शीलवती के रूप में नूतन ने लाजवाब अभिनय किया। इसके अलावा आर्य प्रतोष के रूप में कार्तिक, महामात्य पवन कुमार, राजपुरोहित देवा, महाबलाधिकृत आदित्य शर्मा, महत्तरिका एक प्रिया कौशल, महत्त्रिका दो स्नेहा और आवाज के रूप में मन्नु ने अपने-अपने किरदार बखूबी निभाए हैं। नाटक का सह निर्देशन व प्रस्तुति प्रबंधन जय कुमार जैक, संगीत पक्ष हरदेव व मेघ सिंह, प्रकाश पीआर स्वामी, ध्वनि व्यवस्था पवन कुमार, मंच सज्जा प्रकाश , मुख सज्जा कार्तिक, मंच सामग्री रितू ने संभाला। रंगोत्सव की दूसरी संध्या का आगाज मशहूर कत्थक नर्तक दिनेश गुप्ता के कत्थक नृत्य से हुआ। उन्होंने कृष्ण भजन पर अपनी नृत्य प्रस्तुति दी।


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