सेब की अर्ली वैरायटी ने मार्केट में दी दस्तक

By: Jul 13th, 2019 12:05 am

भुंतर-जिला कुल्लू की मंडियों में प्लम नाशपाती के बाद अब सेब की दस्तक हो गई है। सेब की अर्ली वैरायटी से मार्केट सराबोर होने लगी है। लिहाजा, बागबानी सीजन अब चरम की स्थिति में पहुंचाने लगा है। भले ही जिले में जुलाई के आखिरी सप्ताह के बाद सेब सीजन शुरू होगा। लेकिन, सेब की अर्ली वैरायटी रेड जून और अन्य किस्मों ने मंडियों में दस्तक दे दी है। कुल्लू की भुंतर, बंदरोल सहित अन्य मंडियों में इनके दाम 40 से 60 रुपए तक चल रहे हैंं। हालांकि, जिले में अर्ली वैरायटी सेब की फसल कम है। बावजूद इसके रेड जून किस्म की सेब फसल से सैकड़ों बागबान जुड़े हैं। जुलाई माह के साथ अर्ली वैरायटी ने मंडी में दस्तक दे दी है और बागबानों को लोकल मंडियों में सेब का उम्दा दाम मिल रहा है। इस बार कुल्लू में प्लम और नाशपाती के साथ सेब की भी बंपर फसल है और ऐसे मंे बागबानों के चेहरों पर रौनक है। हालांकि आकार कम होने से मार्केट में चुनौतियां जरूर परेशान कर रही है और इसके कारण दाम भी कम मिल रहे हैं। अर्ली वैरायटी के सेब का उत्पादन जिले के निचले इलाकों में किया जाता है। बागबान रमेश कुमार, अमर चंद, खीम चंद, संतोष कुमार, भादर सिंह, जगदीश सिंह, निर्मल कुमार, संदीप सिंह, राम लाल, आलम चंद, मंगत राम तथा हीरा लाल ने कहा कि सेब की अर्ली वैरायटी तैयार हो गई है। शुरू में ही उनको सेब के शानदार दाम मिल रहा है। हालांकि रॉयल डिलीशियस और अन्य किस्मों के मार्केट में पहुंचने में अभी तीन सप्ताह तक का समय है लेकिन इससे पहले जिन बागबानों ने नई किस्में लगाई है उससे खूब पैसे कमा रहे हैं। एपीएमसी के सचिव सुशील गुलेरिया के अनुसार भुंतर सब्जी मंडी में अर्ली वैरायटी के सेब को औसतन 40 से 60 रुपए तक के दाम मिल रहे है। उन्होंने आने वाले दिनों में इसके रेट में और उछाल आने की संभावना जताई है। वहीं, क्षेत्रिय बागबानी अनुसंधान केंद्र बजौरा के सहनिर्देशक डा. एचएस भाटिया के अनुसार निचले और मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में विदेशी और अर्ली वैरायटी लगाई जा रही है जो बागबानों को अच्छा विकल्प प्रदान कर रही है। मार्केट में भी इन किस्मों को ग्राहक हाथोहाथ खरीद रहे हैं।


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