सेब से पहले पलम का तहलका

By: Jul 10th, 2019 12:07 am

सेब सीजन से पहले हिमाचल में प्लम ने तहलका मचा दिया है। आलम यह है कि शिमला की भट्टाकुफर फल मंडी में ही प्लम 100 रुपए किलो बिक रहा है। अपनी माटी के लिए ठियोग से हमारे कार्यालय संवाददाता रोहित सेम्टा ने भट्टाकुफर मार्केट का दौरा किया। प्लम की सेंटारोजा वैरायटी सौ रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। तीन किलो का बाक्स 300 से भी अधिक दाम में बिक रहा है जिससे बागवान मालामाल होते दिखाई दे रहे हैं। सेंटा रोजा तीन किलो के बॉक्स में 300 से अधिक के हिसाब से बिक रहा है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्लम कि इस वैरायटी ने मार्केट में धूम मचा दी है! वहां पता चला कि प्लम की सेंटारोजा वैरायटी सौ रुपए  किलो के हिसाब से बिक रही है। वहीं आडू-बादाम-खुमानी-शक्करपारा की भी मार्केट में खूब धमाल है। आढ़ती नीटू ने बताया कि खुमानी 40 से 70 , शककरपारा 30 से 70 और आडू 40 से 100 किलो बिक रहा है! इन दामों को बागबान बेहतर मान रहे हैं। उम्मीद है इससे खूब कमाई होगी। गत वर्ष की अपेक्षा इस बार स्टोन फ्रूट की रिकॉर्ड तोड़ पैदावार ने इस बार विदेशी स्टोन फू्रट को पछाड़ दिया है। इन दिनों अकेले शिमला ढली मंडी से ही रोजाना 30 टन स्टोन फू्रट देश की बड़ी मंडियों को भेजा जा रहा है। कई बागबान जिनके पास काफी अधिक मात्रा में स्टोन फ्रूट है वह इस बार मालामाल होते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में लोकल मांग पूरा होने के साथ बाहरी राज्यों में भी स्टोन फू्रट की डिमांड पूरी की जा रही है।                                               रोहित सेम्टा, ठियोग

मोदी सरकार किसानों को लाई खुशी की सौगात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने किसानों को बंपर तोहफा दे दिया है। मोदी कैबिनेट की बैठक में बुधवार को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 85 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा दिया है। अब धान की एमएसपी बढ़कर 1835 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है। इसके अलावा मक्का, बाजरा, मूंगफली, तुर समेत 13 अनाजों की एमएसपी बढ़ाने का निर्णय ले लिया गया है। मोदी सरकार ने वेज कोड बिल को भी पास करने का निर्णय किया है। केंद्र सरकार ने इस साल देशभर में 357 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले सीजन 2018-19 में सरकारी खरीद एजेंसियों ने देशभर में 357.95 लाख टन गेहूं की खरीदी थी। एफसीआई आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में सबसे ज्यादा 127.01 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जबकि केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश में गेहूं की खरीद के लिए तय लक्ष्य 125 लाख टन से अधिक है। सरकारी एजेंसियों ने हरियाणा में अब तक 93.23 लाख टन गेहूं खरीद किया है। मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद 65.45 लाख टन हो गई है, जबकि देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में महज 26.56 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई है। एफसीआई के आकड़ों के अनुसार, राजस्थान में 10.89 लाख टन, उत्तराखंड में 39000 टन, चंडीगढ़ में 12000 टन, गुजरात में 5000 टन और हिमाचल प्रदेश में 1000 टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है।

ढगी से बचाएगा आढ़तियों का आई कार्ड

निचले क्षेत्रों में सेब सीजन शुरू होने को है। पिछली बार बागबानों से कई फ्रॉड आढ़तियों ने ठगी की थी। यही कारण है कि इस बार प्रदेश सरकार हर जुगत भिड़ा रही है। जानकारी के अनुसार इस बार आढ़तियों को स्पेशल आई कार्ड भी दिए जाएंगे। इन कार्डों से कोई भी आढ़ती बागबानों को चूना नहीं लगा पाएगा।  इसके अलावा उनसे पांच से लेकर पचास लाख तक रजिस्ट्रेशन फीस भी ली जाएगी। 15 जुलाई को फागू तथा नैना में एप्पल कंट्रोल रूम शुरू हो जाएंगे। यही नहीं, प्रशासन ने एक एक्सट्रा बटालियन भी ठियोग के लिए मंगवा ली है जोकि पूरे सेब सीजन में सेवाएं देगी। कंट्रोल रूम इंचार्ज व तहसीलदार  वेद प्रकाश ने बताया कि सेब सीजन को लेकर प्रशासन सभी तैयारियों में लगा हुआ है और बागबानों के साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी न हो इसका भी इस बार पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए बाहर से आने वाले आढ़तियों की रजिस्ट्रेशन के अलावा आई कार्ड बनाए जाएंगे, जबकि यहां से गुजरने वाले वाहनों की एंट्री तथा आई कार्ड बनाने की प्रक्रिया 15 जुलाई से शुरू  हो जाएगी।

-कार्यालय संवाददाता, ठियोग

माटी के लाल

मलाहत के नरेश ने आंगन में उगाया

जापानी फल

फलों की विभिन्न किस्मों को पैदा करने का शौक रखने वाले ऊना के मलाहत निवासी नरेश ठाकुर ने जापानी फल (परसीमन) का सफल प्रयोग किया है। प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिलने इस स्वादिष्ट फल को पैदा करने में नरेश ठाकुर पिछले चार साल से लगातार मेहनत कर रहें और इस बार पौधों पर फल लगा है। नरेश ठाकुर आम, चकोतरा सहित अन्य कई फलों की किस्मों पर भी सफल प्रयोग कर चुके हैं। नरेश ने बताया की यह फल दिखने में जितना सुंदर है, खाने में उतना ही स्वादिष्ट है। इससे से कहीं अधिक सेहत के लिए रामबाण भी। नरेश ठाकुर कहते हैं कि यदि परसीमन के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए तो ये किसानों की आर्थिकी संवारने में मददगार साबित हो सकता है। सरकार को चाहिए के अन्य फलों की तरह इस फल को भी बाजार में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में जापानी फल (परसीमन) का उत्पादन बड़े सत्र पर होता है, लेकिन बागबानों को इसका उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। उन्होंने बताया की हर साल ही मई-जून में फूल खिलते हैं और अगस्त में फल पक जाता है। गौरतलब है की जापानी फल यहां खाने में स्वादिष्ट है, वहीं साथ ही सेहत की दृष्टि से बेहद गुणकारी है। इसमें न तो कोलेस्ट्रोल है और न फैट होता है। यह फल स्वास्थ्य के लिए रामबाण से कम नहीं है। यह बुखार, पेट की बीमारियों, कैंसर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला माना गया।

जतिंद्र कंवर, ऊना

बंजर जमीन पर उगाया सोना

जहां कभी बंजर जमीन थी, वहां अब आम्रपाली आम है। जहां झाडि़यां थीं, वहां सेब लहलहा रहा है। यही नहीं जिस जगह सिर्फ पत्थर नजर आते थे, वहां अब आड़ू, खुमानी, अमरूद जैसे फलदार पेड़ हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींच रहे हैं। यह कारनामा किया है सेना से रिटायर नायब सूबेदार गोवर्धन सिंह गथानिया ने। धर्मशाला जिला मुख्यालय से सटे गांव बगली में गोवर्धन सिंह के बागीचे में फलदार बूटे देखकर हर कोई आकर्षित हो जाता है। उन्होंने बताया कि रिटायरमेंट के बाद वह 8 वर्ष पूना में रहे। बाद में वर्ष  2010 में अपने पैतृक गांव बगली आ गए। उनके घर के पास कुछ खाली जमीन पड़ी थी जो कि बंजर थी। उन्हें बड़े भाई ने बागीचा लगाने के लिए प्रेरित किया, जिसका परिणाम अब सबके सामने हैं।

विमुक्त शर्मा, गगल

उद्यान विकास अधिकारी बनकर चमकाया सिरमौर का नाम

डीएवी पब्लिक स्कूल नौहराधार से पढ़ी प्रतिभा चौहान ने उद्यान विभाग में उद्यान विकास अधिकारी बनकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। प्रतिभा चौहान वर्तमान में बड़ू साहिब यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर हैं। वहीं से यह परीक्षा पास करके इस मुकाम को हासिल किया। पिता जयपाल चौहान रिटायर्ड चीफ वैटरनेरी फार्मासिस्ट हैं। माता पदमा चौहान गृहिणी है व पति विनोद पुंडीर एयरफोर्स में सेवाएं दे रहे हैं। गौरतलब है कि डीएवी स्कूल नौहराधार में पिछले 10 से 15 वर्षों में दर्जनों विद्यार्थियों ने सरकारी, निजी क्षेत्रों में ऊंचे पदों पर पहुंचकर स्कूल व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। दुर्गम क्षेत्र में यह स्कूल वर्ष 2000 में शुरू हुआ है। स्थानीय लोगों के सहयोग से स्कूल चल रहा है। स्कूल प्रिंसीपल सुरेंद्र चौहान, एसएमसी प्रधान नरेंद्र चौहान, वीरेंद्र वर्मा, रघुवीर सिंह, अशोक चौहान, दिनेश चौहान, जितेंद्र चौहान, जयपाल सिंह आदि का कहना है कि यह स्कूल हिमाचल शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। स्थानीय लोगों व स्टॉफ के प्रयासों से यह परिणाम निकले हैं। आगे भी इस स्कूल के विद्यार्थी क्षेत्र का नाम रोशन करते रहेंगे।                

संजीव ठाकुर, नौहराधार

कृषि विभाग के पास पहुंचा 2200 क्विंटल बीज

जिला ऊना में मक्की की फसल बिजाई के चलते किसानों के लिए कृषि विभाग ने 2200 क्विंटल मक्की के बीज की आपूर्ति की है। उन्नत किस्मों के इन बीजों को कृषि बीज केंद्रों में पहुंचा दिया गया है। किसान इन केंद्रों में बीज की खरीद कर सकते हैं। जिला में किसानों की ओर से मक्की के बीज तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से दी जा रही है। किसानों को प्रति किलो मक्की के बीज की खरीद पर 30 रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। वहीं, किसानों को चरी व बाजरे की 4200 क्विंटल आपूर्ति भी की गई है। जिसे 50 फीसदी अनुदान पर दिया जा रहा है। किसानों के लिए एल्ट्राजीन दवाई की 3200 क्विंटल खेप भी उपलब्ध है। उसे भी 50 फीसदी अनुदान पर किसानों को दिया जा रहा है। जिला ऊना में करीब 32 हजार हेक्टेयर भूमि पर मक्की की बिजाई की जाती है। इससे किसान मक्की की फसल लगाकर लाभ प्राप्त करते हैं। सरकार द्वारा दिए जा रहे अनुदान को पाने के लिए भी सरकार की विभिन्न योजनाओं का किसान फायदा उठाने में लगे हुए हैं। जिला कृषि विभाग के उपनिदेशक सुरेश कपूर ने कहा कि जिला में किसानों के लिए मक्की की उन्नत किस्मों के बीज, चरी-बाजरा इत्यादि कृषि बीज केंद्रों में उपलब्ध है। कोई भी किसान जहां से अनुदान पर बीज प्राप्त कर सकता है।

एमके जसवाल, ऊना

एक्सपर्ट बताएंगे, न्यूट्रीशन का इस्तेमाल कैसे करें किसान

क्षेत्र के बागबानों के उत्थान व उनकी आर्थिकी को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से आनी के युवाओं द्वारा बनाई गई। आनी वैली ग्रोवर एसोसिएशन लगातार क्षेत्र के बागबानों के हितों के लिए कार्य कर रही है। इसी कड़ी में एसोसिएशन द्वारा क्षेत्र के बागबानों के लिए पंचायत समिति हॉल आनी में सेब पौधों में पड़ने वाले न्यूट्रीशन के ऊपर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया था। जिसमें एक्सपर्ट डाक्टर बागबानों को संक्षिप्त में न्यूट्रीशन के उपयोग की हर बारीकियों के बारे अवगत करवाया। आनी वैली ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश ठाकुर ने बताया कि पंचायत समिति हाल आनी में डाइरेक्टरक्रॉप सलूशन एग्री क्लीनिक कुल्लू और शिमला के डाक्टर देवेंद्र सिरोई बागबानों को सेब पौधों में न्यूट्रीशन डालने की हर छोटी बड़ी बारीकियों से रू-ब-रू करवाया। उन्होंने कहा कि सेब में पड़ने वाले न्यूट्रीशन की मात्रा और डालने के समय से लेकर पौधों की हर जरूरतों को पूरा करने के सभी प्रकार की जानकारी बागबानों को विस्तारपूर्वक बताई जाएगी।

स्टाफ रिपोटर, आनी

किसान बागबानों के सवाल

1  धान की रोपाई में कितनी तरह के कीड़े काट सकते हैं। किसानों को इसके उपचार बताएं?

नरेंद्र,मंडी 

पत्ता मरोड़, तना छेदक, गोभ की सुंडी आदि। इसके लिए किसान भाईयों को धान की पौधशाला में ब्लास्ट तथा भूरा धब्बा रोग की संभावना है। लक्षण पाए जाने पर कार्बोन्डिजम 2.0 ग्राम/लीटर पानी घोल कर छिड़काव, आसमान साफ होने पर करें। धान की  पौधशाला में यदि पौधों का रंग पीला पड़ रहा है ता,े  इसमें लौहा तत्व की कमी हो सकती है। पौधों की ऊपरी पत्तियां यदि पीली और नीचे की हरी हों तो, यह लौहा तत्व की कमी को दर्शाता है। इसके लिए 0.5 प्रतिशत फेरस सल्फेट + 0.25 प्रतिशत चूने के घोल का छिड़काव ,आसमान साफ होने पर करें।

कांगड़ा के रैत ब्लाक में किसानों के हर सवाल का जवाब

हरमिंदर सिंह कोटिया, फोन नं. 98163-41109

विधानसभा क्षेत्र के रैत ब्लॉक मे किसानों की हर समस्या का समाधान किया जाता है। ब्लॉक के एसएमएस हरमिंदर सिंह कोटिया ने बताया कि ब्लॉक ने क्षेत्र के किसानों को 60 कबिटल धान सब्सिडी पर बेचा। डेमो स्टेशन के तहत 15 कबिटल मक्की, उत्तम चारा योजना के तहत 50 सब्सिडी पर 120 कबिटल चरी, 50 सब्सिडी पर बाजरा 50 कबीटल, आरकेबाई स्कीम के तहत 1000 टपए स्प्रे पंप 400 एहाईग्रेड बीज पावर बिडर 200 जिसके तहत 25000रु  सब्सिडी दी जाती है किसानों को बेचे। सोलर फैंसिंग के लिए 85 सब्सिडी, पालीहाउस में 85 सब्सिडी, जीपीएस सिस्टम के तहत 1800 हेल्थ कार्ड, सुभाष पालिकर प्राकृतिक खेती के लिए रैत ब्लॉक के तहत 66 किसानों को ट्रेंड किया गया है। देसी गाय की खरीद के लिए 25000रु सब्सिडी, जिबाअमृत ड्रम के लिए किसानों को 800 रु दिए जा रहे हैं। पक्के फ्लोर के लिए 8000 रु किसानों को औजार लेने के लिए 50 रुपए सब्सिडी का प्रावधान है। ब्लॉक के तहत 5 सब सेंटर हैं ताकि क्षेत्र के किसानों की समस्याओं का हर समय पर किया जा सके। उन्होंने बताया कि किसानों के लिए समय समय पर ट्रेनिंग कैंप लगाए जाते हैं वह 5000 रु तक की कृषि से संबंधित सामग्री बाटी जाती है।

सुभाष कौरू, रैत (कांगड़ा)

चौपाल से लीजिए सलाद वाला टमाटर

उपमंडल चौपाल के निचले क्षेत्रों में टमाटर हजारों किसानों की रोजी-रोटी का साधन बन चुका है। किसानों द्वारा हजारों हेक्टेयर जमीन में लाल सोने की खेती की जा रही है। क्षेत्र की सबसे बड़ी आर्थिकी माने जाने वाली सेब की फसल के लिए जहां पूरा साल भर इंतजार करना पड़ता है। वहीं टमाटर की फसल मात्र चार माह मे तैयार हो जाती है। यही वजह है कि अधिकांश किसानों ने टमाटर की ओर रुख कर लिया है। क्षेत्र में यूं तो टमाटर की कई किस्में उगाई जाती हैं, परंतु हिम सोना किस्म का टमाटर सबसे उत्तम माना जाता है। इसकी फसल तो कम आती है, परंतु इसके दाम अन्य किस्मों से सबसे ज्यादा रहते हैं। सलाद का टमाटर होने के कारण हिम सोना टमाटर की मांग बड़े होटलों में ज्यादा रहती है। नीचले क्षेत्र के किसानों की आर्थिकी पूरी तरह टमाटर पर ही निर्भर हो चुकी है, परंतु इनके सामने सबसे बड़ी समस्या अच्छे बीज, रसायनों व सिंचाई की है। किसानों का कहना है कि सरकारी विक्रय केंद्रों पर न तो पर्याप्त मात्रा में बीज मिल पाता है व न ही खाद व रसायन। कई बार तो बीज गलत मिलने से किसानों की पांच छह माह की मेहनत पर ही पानी फिर जाता है। सिंचाई की समस्या भी इन किसानों की राह का रोड़ा बनी हुई है। स्थानीय प्रगतिशील किसान सलमान का कहना है कि यदि सरकार किसानों के लिए टपक प्रणाली की सिंचाई योजनाएं लाए तो इससे उनकी सिंचाई की समस्या हल हो सकती है। इस प्रणाली के तहत सिंचाई की पाइप में एक निश्चित दूरी पर छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं। इन छेदों से धीरे-धीरे टपकने वाले पानी से टमाटर की क्यारियों और खेतों में हर समय नमी बनी रहती है।  

सुरेश सूद, नेरवा

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