स्क्र ब टायफस की चपेट में राजधानी

शिमला —शिमला मंे स्क्र ब टायफस के मामले अब आने लगे हैं, जिसमंे सोमवार को शिमला के रिपन और आईजीएमसी मंे चार लोगांे मंे स्क्रब टायफस की पुष्टि हुई है। इसमंे दो शिमला और दो सोलन से प्रभावित हुए हैं। भले ही अभी मामले कम हंै लेकिन आईजीएमसी मंे इस वर्ष शिमला से 6 प्रभावितांे मंे स्क्रब टायफस पॉजिटिव आया है। अब बरसात के मौसम ने भी दस्तक दे दी है। जिस दौरान यह रोग सबसे ज्यादा पनपता है लेकिन जनता को इस ओर सतर्क होने की आवश्यकता इसलिए भी है क्यांेकि अब मामले बढ़ने लगे हैं। विशेषज्ञांंे की मानें तो यह वायरस हरे घास मंे पनपने वाले पिस्सू के काटने से होता है। इस पिस्सू का जन्म अधिकतर हरे घास मंे बरसात मंे सबसे ज्यादा रहता है। इस वर्ष के रिकॉर्ड पर गौर करें तो अभी तक 178 केस स्क्रब टायफस के प्रभावित आ चुके हैं, जिसमंे बिलासपुर से सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं जिसमंे बिलासपुर से 75, चंबा से 6, हमीरपुर से 33 केस, कांगड़ा 41, कुल्लू से 1, किन्नौर से 1, शिमला से 6, सोलन से 2, मंडी से 12 और सिरमौर से 1 प्रभावित को स्क्रब टायफस हुुआ है। इस वर्ष स्क्रब टायफस के रिकॉर्ड पर गौर करें तो इस साल मंे 2166 प्रभावितांे के सैंपल जांच के लिए लैब भेजे गए हैं। हर वर्ष स्क्रब टायफस से दस से अधिक लोगांे की मौत हो जाती है।

 स्क्र ब से निपटने के लिए 40 लाख जारी

स्क्रब टायफस पर समय पर नियंत्रण रखने के लिए आईजीएमसी ने अपनी कमर ली है। इस रोग को लेकर प्रदेश सरकार ने आईजीएमसी को 40 लाख रुपए जून माह मंे ही जारी कर दिए गए थे।

ये हैं लक्षण और उपाय

स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी अस्पतालांे को जारी की गई हिदायतांे मंे यह कहा गया है कि मरीज़ यह न सोचंे कि स्क्रब टायफस बरसात की बीमारी है तो उन्हंे ये रोग नहीं हो सकता। हिदायतंे जारी की गई हैं कि यदि मरीज़ को यह लगता है कि उसका बुखार हाई ग्रेड फीवर हो रहा तो उसे अस्पताल आने मंे देरी नहीं करनी चाहिए। हरे खास मंे एक पिस्सू होता है जिसके  काटने से त्वचा पर भी घाव बन जाते हैं और काफी ज्यादा बुखार हो जाता है।