हमीरपुर में रैंगिग को लेकर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी

By: Jul 17th, 2019 12:05 am

हमीरपुर—डा. राधा कृष्णन राजकीय मेडिकल कालेज हमीरपुर में अगस्त से शुरू हो रहे एमबीबीएस के दूसरे सत्र के चलते रैगिंग को लेकर मेडिकल कालेज प्रबंधन की ओर से जीरो टॉलरेंस पॉलिसी तैयार की गई है। मंगलवार को यहां हुई एंटी रैगिंग कमेटी की पहली मीटिंग में कई महत्त्वूर्ण फैसले लिए गए। जानकारी के मुताबिक अगस्त से एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के छात्रों की कक्षाएं मेडिकल कालेज में शुरू हो रही हैं। ऐसे में फैसला किया गया है कि जो एमबीबीएस के द्वितीय वर्ष के स्टूडेंट्स हैं, उन्हें एक सप्ताह के लिए छुट्टी पर भेज दिया जाएगा, ताकि नए छात्रों को कालेज प्रबंधन यहां के माहौल, अनुशासन और उन सभी चीजों के अवगत करवा दे, ताकि उन्हें यहां फ्रेंडली माहौल लगे। मेडिकल कालेज के सभी प्रशासनिक तथा शैक्षिक खंडों, अस्पताल तथा होस्टलों में विभिन्न स्थानों पर एंटी रैंगिग से संबंधित बोर्ड और होर्डिंग लगाए जाएंगे, जिसमें जिला पुलिस, प्रशासन, कालेज प्रिंसीपल और एंटी रैंगिग कमेटी के सदस्यों के फोन नंबर दर्शाए जाएंगे, ताकि न्यू स्टूडेंट्स को किसी तरह की दिक्कत न हो। इन बोर्डों और होर्डिंग्स में एंटी रैगिंग अधिनियम से संबंधित प्रावधान,  हिदायतें तथा संपर्क सूचना स्पष्ट रूप से लिखी जाएगी। मेडिकल कालेज में प्रथम वर्ष तथा द्वितीय वर्ष के एमबीबीएस छात्रों से उनके माता-पिता अथवा संरक्षक द्वारा  हस्ताक्षरयुक्त एंटी रैगिंग  शपथ पत्र लिया जाए। प्रथम वर्ष के एमबीबीएस छात्र-छात्राओं के लिए चौबीस घंटे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। हर माह एंटी रैगिंग दस्तों का गठन सुनिश्चित किया जाएगाा। सत्र के  शुरू के महीनों में मेडिकल कालेज, अस्पताल तथा छात्रावास  परिसर में नियमित रूप से  पुलिस गश्त लगाई जाए। पुलिस कर्मी वर्दी और सिविल ड्रेस में तैनात रहेंगे। मेडिकल कालेज, अस्पताल, होस्टल तथा जरूरत के अनुसार अन्य स्थानों पर  सीसीटीवी कैमरे भी स्थापित किए जाएंगे। एमबीबीएस एडमिशन सत्र के शुरुआती महीनों अगस्त से अक्तूबर तक एंटी रैगिंग कमेटी की मासिक बैठक होगी तथा इसके बाद त्रैमासिक बैठक आयोजित की जाएगी।

गुड एडमिस्टे्रटर हैं डा. चौहान

हमीरपुर मेडिकल कालेज के प्रिंसीपल डा. अनिल चौहान को एक बेहतर एडमिस्ट्रेटर माना जाता है। इससे पहले वे डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा के प्रिंसीपल भी रह चुके हैं। टांडा वही मेडिकल कालेज है, जहां वर्ष 2009 में रैंगिंग के चलते प्रथम वर्ष के एक छात्र की मौत हो गई थी। उस घटनाक्रम के बाद वहां के तत्कालीन प्रिंसीपल को हटा दिया गया था और मेडिकल कालेज की हिलती नींव को संभालने के लिए डा. अनिल चौहान की तैनाती की गई थी। डा. चौहान ने न केवल कालेज की गिरती साख को बचाया था, बल्कि उसे देशभर में बेहतर रैंकिंग में लेकर भी आए थे।


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