हिमाचल के आलू को लगा रोग

By: Jul 21st, 2019 12:15 am

पिछेता झुलसा बीमारी की चपेट में आई फसल, किसानों को जल्द छिड़काव करने की सलाह

शिमला – हिमाचल प्रदेश में आलू की फसल पिछेता झुलसा  बीमारी की चपेट में आने लगी है। मौसम की अनुकूलता के आधार पर आगामी समय में हिमाचल में आलू की फसल में पिछेता झुलसा बीमारी और विकराल रूप धारण कर सकती है। ऐसे में अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह आलू की फसल के लिए घातक साबित हो सकती है। सीपीआरआई के विशेषज्ञों ने किसानों को आगाह किया है कि समय रहते बीमारी की रोकथाम करने के उपाय करें, ताकि फसल को रोग से बचाया जा सके। सीपीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक एनके पांडे ने कहा कि पिछेता झुलसा बीमारी को समय रहते दवाइयों का छिड़काव कर रोकथाम की जा सकती है।

ऐसे करें रोकथाम

– जिन किसानों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया है और उनकी आलू की फसल में अभी पिछेता झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है, उन सभी किसानों को अपनी फसल में मेंकोजेब क्लोरोथेलोनील का 0.2-0.25 प्रतिशत की दर से 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।

– जिन किसानों के खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी है, उन्हें साइमोक्सेनिल, मेकोजेब या फिने मिडोन+मेंकोबोज या डाइमेथोमार्फ+मेंकोजेब का 30 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से छिड़काव करना चाहिए।

– फफूंदनाशक का छिड़काव दस दिन के अंतराल पर दोहराना चाहिए। बार-बार एक ही फफूंदनाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए।

– खेतों में जल निकास का उचित प्रबंध करें और खेतों को खरपतवार रहित रखें।


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