हिमाचल को विदेश से बड़ा झटका

By: Jul 23rd, 2019 12:15 am

तीन साल तक विदेशी एजेंसियों से मंजूर नहीं होगा कोई भी प्रोजेक्ट, विश्व बैंक-एडीबी की लिमिट भी पूरी

  शिमला —विकास योजनाओं के लिए पूरी तरह विदेशी फंडिंग एजेंसियों पर निर्भर हिमाचल को बड़ा झटका लगा है। अगले तीन साल तक प्रमुख विदेशी एजेंसियों से  कोई भी नया प्रोजेक्ट हिमाचल के लिए मंजूर नहीं होने वाला। सूत्रों के अनुसार वर्ल्ड बैंक व एशियन डिवेलपमेंट बैंक (एडीबी) की लिमिट पूरी हो गई है, जो अब तीन साल तक कोई भी नया प्रोजेक्ट नहीं लेगा। हिमाचल समेत दूसरे राज्यों के लिए भी इन दोनों एजेंसियों ने कई परियोजनाएं मंजूर की हैं, जिन पर चरणबद्ध ढंग से काम चल रहा है। भारत सरकार के समझौते के अनुसार इन दोनों एजेंसियों की लिमिट पूरी हो चुकी है, लिहाजा अगले तीन साल में जब तक सभी राज्यों में चल रहे प्रोजेक्ट पूरे या आधे से ज्यादा नहीं हो जाते, तब तक ये एजेंसियां नया प्रोजेक्ट नहीं लेंगी। पहाड़़ी राज्य में इन दोनों वित्त पोषित एजेंसियों की मदद से कई परियोजनाएं चल रही हैं। करोड़ों रुपए यहां के लिए मंजूर हुआ है, जिससे काम चल रहे हैं। हाल ही में आईपीएच व बागबानी के भी प्रोजेक्ट मंजूर हुए हैं।बागबानी व आईपीएच का जो प्रोजेक्ट एडीबी से मंजूर हुआ है, वह एक जैसे हैं और तभी इन दोनों को भी क्लब किया गया है। दोनों अलग-अलग प्रोजेक्ट्स को नहीं माना गया। इसमें बागबानी का 1688 करोड़ का प्रोजेक्ट है, जबकि आईपीएच का वाटर कंज़रवेशन का प्रोजेक्ट 4751 करोड़ रुपए का है। दोेनों को मिलाकर शिवा प्रोजेक्ट बनाया है, जिसे हाल ही में शिमला आई एडीबी की टीम ने मंजूरी दी है। इसके पायलट प्रोजेक्ट को 100 करोड़ रुपए की राशि मिलेगी। इसके अलावा पुरानी पेयजल योजनाओं की रीमॉडलिंग का 798 करोड़ का अलग प्रोजेक्ट है। कई दूसरे विभाग भी इस तरह के प्रोजेक्ट एडीबी व वर्ल्ड बैंक को भेज रहे हैं, लेकिन अब किसी भी प्रोजेक्ट को तीन साल तक मंजूरी नहीं मिलने वाली। इस संबंध में राज्य सरकार को दोनों वित्तीय एजेंसियों ने जानकारी दे दी है। इन वित्तीय एजेंसियों से केंद्र सरकार के इकोनॉमिक अफेयर विभाग से मंजूरी मिलने के बाद पैसा दिया जाता है, जो कि उसी के माध्यम से आता है। अब ये एजेंसियां केंद्रीय मंत्रालय को पैसा नहीं देंगी और ना ही यह विभाग प्रोजेक्ट लेगा। इनके पास पहुंचने वाला प्रोजेक्ट तीन साल के लिए वहीं लंबित रहेगा। फिलहाल परेशानी इसलिए है, क्योंकि हिमाचल की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।

कैसे चल पाएंगे प्रोजेक्ट

सरकार पूरी तरह केंद्र व बाह्य वित्त पोषित एजेंसियों के सहारे है, ऐसे में यहां से ही नए प्रोजेक्ट्स को पैसा नहीं मिलेगा, तो यहां विकास की नई परियोजनाएं कैसे चल पाएंगी। जो परियोजनाएं फिलहाल केंद्र सरकार के इकोनॉमिक अफेयर विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी से मंजूर हो चुकी हैं, केवल उन्हीं के लिए पैसा मिलेगा।


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