हिमाचल पहुंचा मानसून

By: Jul 3rd, 2019 12:08 am

पांच जिलों में झमाझम बारिश, मैदानी क्षेत्रों को करना पडे़गा दो दिन इंतजार

शिमला – हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को आखिरकार मानसून ने दस्तक दे दी। मंगलवार को पांच जिलों में झमाझम बारिश हुई। हालांकि इस बार मानसून ने प्रदेश में पांच दिन की देरी से दस्तक दी, लेकिन अब यह सामान्य रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के चार जिलों शिमला, सोलन, सिरमौर, किन्नौर के अलावा लाहुल-स्पीति के कुछ भागों में मंगलवार को मानसून ने दस्तक दे दी, जबकि मैदानी इलाकों में मानसून के लिए दो दिन और इंतजार करना पड़ेगा। प्रदेश में गत 24 जून को प्री मानसून पहुंच गया था। पिछली बार के मुकाबले इस बार हिमाचल में पांच दिन देरी से मानसून ने दस्तक दी है। पिछले साल 27 जून को पूरे प्रदेश में बरसात शुरू हो गई थी, जबकि इस बार जुलाई के पहले सप्ताह यानी दो जुलाई को मानसून पहुंचा है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार पूर्व के मुकाबले नार्मल बारिश होगी। बताया गया कि पिछले साल पूरे प्रदेश में 764 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य के मुकाबले 21 प्रतिशत कम थी। मानसून में वास्तविक बारिश 927 मिलीमीटर होनी चाहिए। ऐसे में इस बार भी मानसून के दौरान पिछली बार के मुकाबले थोड़ी कम बारिश होगी। प्रदेश को पिछले दो महीने से तपती गर्मी से अब राहत भी मिलेगी। फिलहाल प्रदेश के सबसे गर्म जिला ऊना के अलावा कांगड़ा, बिलासपुर, मंडी, कुल्लू सहित अन्य मैदानी क्षेत्रों में दो दिन बाद यानी पांच जुलाई को मानसून पहुंचने की संभावना है।

सरकार ने सतर्क किए जिला प्रशासन

मानसून से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी जिला प्रशासन सतर्क कर दिए हैं। मौसम संबंधी सलाह को प्रसारित करने और राज्य में चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार ने राज्य आपदा प्राधिकरण को भी सख्त निर्देश दिए हैं। इन प्रणालियों को स्थापित करने के लिए कुल्लू और डलहौजी में स्थानों की पहले ही पहचान कर ली गई है, जबकि रामपुर और मंडी में एनडीआरएफ  के राहत एवं बचाव बेस स्थापित किए गए हैं। सरकार ने बिजली अधिकारियों को अचानक पानी के प्रवाह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए एवं जनता को सतर्क करने के लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं, ताकि जान-माल की हानि से बचा जा सके। यह चेतावनी प्रणाली असुरक्षित क्षेत्रों के लोगों को स्थानांतरित करने और खाली करने में मदद करेगी। केंद्रीय जल आयोग को नियमित रूप से इसकी निगरानी करने के भी निर्देश दिए गए। सरकार ने सतर्क किए जिला प्रशासन


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