10 साल में भी नहीं बन पाया बोरेड़ खड्ड पर पुल

By: Jul 19th, 2019 12:05 am

पांवटा साहिब —शिलाई लोनिवि विश्राम के तहत सतौन उपमंडल के आंजभौज क्षेत्र की बनौर पंचायत के बोरेड़ खड्ड पर 10 साल से भी पुल निर्माण नहीं हो पाया है। हालांकि देरी के कारण विभाग ने ठेकेदार को पैनल्टी लगाकर उससे काम वापिस ले लिया था और नाबार्ड के तहत दोबारा से प्रोपोजल बनाकर भेजने की बात कही जा रही है, लेकिन इतने साल बाद यह कार्रवाई ग्रामीणों की समस्या को दूर नहीं कर पाया है। जानकारी के मुताबिक बनौर व आसपास क्षेत्र की लगभग 10 गांवों के लोगों के लिए बरसात परेशानी बनकर आती है। ग्रामीणों की इस मुसीबत का कारण बाग-बनौर गांव के समीप बोरेड़ खड्ड है। बरसात के दौरान खड्ड में पानी उफान पर होता है। इससे इस क्षेत्र का संपर्क अन्य भागों से कट जाता है और ग्रामीणों को मजबूरी में जरूरी कामों के लिए खड्ड को जान हथेली पर रखकर पार करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग की हालत यह है कि 10 साल बाद भी इस खड्ड पर पुल का निर्माण नहीं कर पाया है। जानकारी के मुताबिक राजपुर-बनौर सड़क को पक्का करने के साथ-साथ इस खड्ड के लिए भी पूर्व की भाजपा सरकार ने 2009 में बजट पास किया था। वर्ष 2009 में विभाग की ओर से टेंडर के माध्यम से एक ठेकेदार को इसका काम दे दिया। इसके बाद सड़क को तो जैसे-तैसे पक्का किया गया, लेकिन बोरेड़ पुल का निर्माण आज तक नहीं हो पाया। बोरेड़ खड्ड पर पुल न बनने से बाग-बनौर, निगाली, छछेती, डिमटवाड़, धनवासा, आंदरा, शिड़ी व कुम्लाहा आदि गांवों के हजारों लोग प्रभावित हैं। बरसात के दिनों में लोग घरों में कैद होकर रह जाते हैं। पंचायत के प्रधान सुनील चौहान, पूर्व प्रधान चतर सिंह, पूर्व बीडीसी चेयरमैन संतराम चौहान, गुलाब सिंह, दिनेश कुमार, सुरेश चौहान, पपेंद्र सिंह व रंगी लाल आदि ने बताया कि बरसात गांव के लोगों के लिए मुसीबत लेकर आती है। उधर, इस बारे लोनिवि शिलाई के अधिशाषी अभियंता प्रमोद उप्रेती ने बताया कि पूर्व ठेकेदार को पेनेल्टी लगाकर काम वापिस ले लिया था। अब नाबार्ड को पुल और राजपुर से बनौर तक की लेफ्ट आउट सड़क बनाने का प्रपोजल स्वीकृति के लिए भेजा जा रहा है। स्वीकृति मिलते ही पुल निर्माण करवाया जाएगा। फिलहाल उक्त स्थान पर जेसीबी मशीन तैनात करने को कहा गया है।

ठेकेदार को लगी थी 22 लाख रुपए पेनल्टी

जानकारी के मुताबिक इस पुल निर्माण के टेंडर वर्ष 2009 में हुए। उस समय इसकी लागत 4.77 करोड़ रुपए थी। ठेकेदार द्वारा तय समय मंे पुल निर्माण न किए जाने पर विभाग ने कार्रवाई करते हुए ठेकेदार पर साढ़े नौ लाख सिक्योरिटी राशि समेत कुल 22 लाख रुपए पेनल्टी लगाकर काम वापिस ले लिया था। अब यह कार्य नाबार्ड के तहत बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग नाबार्ड को पुल बनाने का प्रपोजल भेज रहा है।


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