शिमला –मोदी सरकार का डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत शिमला में प्रदेश का पहला आईटी पार्क तैयार होगा। इसके लिए एसटीपीआई यानी सॉफ्टवेयर टेक्नॉलॉजी पार्क ऑफ इंडिया से 18 महीने का टारगेट रखा है। अगले डेढ़ साल के भीतर यहां आईटी पार्क बन कर तैयार होगा। हालांकि सभी सुपरविजन आईटी विभाग के अंतर्गत होना है, लेकिन काम करने का जिम्मा एसटीपीआई के पास है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक जून 2020 तक प्रदेश का पहला आईटी पार्क बन कर तैयार होगा। इसके लिए एसटीपीआई ने कन्सल्टेंट भी नियुक्त किया है। सरकारी अंडरटेकिंग कंपनी एनपीसीसी को यह काम सौंपा गया है। यही कंपनी जल्द ही टेंडर आमंत्रित करेगी और उसके बाद मैहली में 14 सौ वर्ग मीटर जमीन पर आईटी पार्क तैयार करेगी। उल्लेखनीय है कि शिमला के मैहली में आईटी पार्क स्थापित करने के लिए गत जुलाई महीने में केंद्रीय सूचना एवं प्रोद्योगिकी मंत्री ने शिलान्यास कर दिया है। हालांकि यहां 20 करोड़ की लागत से आईटी पार्क तैयार होना है, लेकिन पहले चरण में 14 करोड़ की राशि केंद्र सरकार से स्वीकृत हो चुकी है। बताया गया कि केंद्रीय प्रायोजित स्कीम के तहत इन पार्क के लिए राशि राज्य सरकार व्यय करेगी। प्रदेश में आईटी पार्क स्थापित होने से राज्य के आईटी इंजीनियर्स को दूसरे राज्यों की ओर कूच करने की नौबत नहीं आएगी। बताया गया कि  शिमला के मैहली में 300 से अधिक आईटी कंपनियों को व्यवसाय शुरु करने के लिए स्पेस की सुविधा मिलेगी।

मैहली आईटी पार्क में इस तरह मिलेगी सुविधा

मैहली में आईटी पार्क स्थापित होने से निवेशकों को हाई स्पीड डाटा सेंटर कि सुविधा उपलब्ध होगी। आईटी उद्योग के लिए विश्व स्तर की बुनियादी ढांचा विकसित किया जाएगा। इसके साथ-साथ कॉल सेंटर से लेकर डाटा ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य की मिलेगी सुविधा। निवेशक इस पार्क में कॉल सेंटर खोलने से लेकर ब्लॉगिंग तक का कार्य आसानी से कर सकेंगे। इसके अलावा यहां पर आईटी से संबंधित सभी तरह के व्यवसाय शुरु करने की सुविधा प्रदान की जाएगी।

जयराम सरकार को खल रही बजट की कमी

डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत प्रदेश को मिलने वाला बजट काफी कम माना जा रहा है। इसे देखते हुए प्रदेश की जयराम सरकार जल्द ही मोदी सरकार से अधिक बजट की मांग करेगी। बताया गया कि एक आईटी पार्क स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से मात्र 20 करोड़ का बजट रखा गया है, जो काफी कम है। प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए क्नेक्टीविटी में अधिक राशि खर्च होती है। इसके मद्देनजर प्रदेश सरकार सूचना एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय से बजट बढ़ाने का आग्रह करेगी।