44 साल बाद सपना साकार

By: Jul 16th, 2019 12:05 am

लंदन -क्रिकेट का जन्मदाता इंग्लैंड आखिर विश्व चैंपियन बन गया है और आईसीसी विश्वकप को 23 साल के अंतराल के बाद नया विश्व विजेता मिल गया है। विश्व कप की शुरुआत 1975 में इंग्लैंड की जमीन पर हुई थी और इंग्लैंड को विश्व कप ट्रॉफी उठाने में 44 साल का समय लग गया। इंग्लैंड 1979, 1987 और 1992 का फाइनल हारा था, लेकिन 27 साल बाद उसने अपनी मेजबानी में पहली बार विश्व चैंपियन बनने का सपना पूरा कर लिया। इंग्लैंड इस तरह विश्वकप जीतने वाला छठा देश बन गया। विश्वकप को 23 साल बाद नया विजेता भी मिला है। इससे पहले श्रीलंका 1996 में नया विजेता बना था। आस्ट्रेलिया ने पांच बार बार, वेस्इंडीज और भारत ने दो-दो बार तथा पाकिस्तान और श्रीलंका ने एक-एक बार यह खिताब जीता था। विश्व विजेताओं की इस फेहरिस्त में अब इंग्लैंड का नाम भी जुड़ गया है। यह दिलचस्प है कि पिछले तीन विश्वकप टूर्नामेंट की मेजबानी करने वाले देशों ने जीते हैं। भारत ने 2011 में अपनी मेजबानी में, आस्ट्रेलिया ने 2015 में अपनी मेजबानी में और इंग्लैंड ने 2019 में अपनी मेजबानी में विश्वकप जीता है। इंग्लैंड ने 1975, 1979, 1983 और 1999 में विश्वकप की मेजबानी की थी, लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लगी थी। इस विश्वकप में इंग्लैंड एक समय टूर्नामेंट से बाहर होने के कगार पर पहुंच गया था, लेकिन उसने वापसी करते हुए आखिरी दो लीग मैच जीते और सेमीफाइनल में जगह बनायी। इंग्लैंड ने सेमीफाइनल में पिछले चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को ध्वस्त किया और फाइनल में इतिहास के सबसे रोमांचक फाइनल में न्यूजीलैंड को पराजित कर खिताब अपने नाम किया।  न्यूजीलैंड को फाइनल में दिल तोड़ने वाली हार के बाद लगातार दूसरी बार उपविजेता रहकर संतोष करना पड़ा। उसका पहली बार खिताब जीतने का सपना सुपर ओवर में टूट गया। न्यूजीलैंड 2015 में ऑस्ट्रेलिया के हाथों फाइनल में पराजित हुआ था। न्यूजीलैंड अब तीसरी ऐसी टीम बन गई है, जिसने लगातार दो फाइनल गंवाए हैं। इंग्लैंड 1987 और 1992 तथा श्रीलंका 2007 और 2011 के फाइनल लगातार हारा था।

फाइनल में भगवान और भाग्य साथ था…

लंदन। इंग्लैंड को 44 वर्ष के बाद विश्व विजेता बनाने वाले कप्तान इयोन मोर्गन ने न्यूजीलैंड के खिलाफ कांटे की टक्कर के बाद मिली जीत के लिए माना है कि फाइनल में निश्चित ही ईश्वर और भाग्य ने उनका साथ दिया। इंग्लैंड को सुपर ओवर में जाकर जीत हासिल हुई। मैच में कई पल ऐसे रहे, जहां साफ लगा कि भाग्य ही मेजबान टीम को जीत दिलाने की साज़शि कर रहा है। हालांकि सुपर ओवर की आखिरी गेंद पर जाकर अंततः इंग्लिश टीम को जीत नसीब हुई। कप्तान मोर्गन ने जीत के बाद कहा कि उनकी टीम में विभिन्न क्षेत्रों और धर्माें के खिलाड़ी हैं और यह विविधता भी उनके बड़ी काम आई।  मोर्गन आयरिश मूल के हैं जबकि बेन स्टोक्स कैंटाबेर, सुपर ओवर के हीरो जोफ्रा आर्चर ब्रिजटाउन से हैं। उन्होंने बताया कि मैच के बाद आदिल राशिद ने उनसे कहा कि अल्लाह टीम के साथ था।

खिताब के करीब आकर हारना दुखद

लंदन। इंग्लैंड के हाथों आईसीसी विश्वकप फाइनल के बेहद करीबी मुकाबले में बाउड्री काउंट के आधार पर हारने के बाद न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियम्सन ने कहा है कि खिताब के इतने करीब आकर हारना बेहद दुखद है। मैन ऑफ दि टूर्नामेंट चुने गए विलियम्सन ने रविवार को कहाकि यह महज एक रन की बात नहीं है। मुकाबले में कई छोटी चीजें थीं, जो हमने देखी हैं। इंग्लैंड को इस बेहतरीन टूर्नामेंट के लिए बधाई। यह काफी कड़ा मुकाबला था और पिच हमारे उम्मीद के विपरीत थी। उन्होंने कहा कि टूर्नामेंट से पहले 300 रन से ज्यादा के लक्ष्य की काफी चर्चा थी, लेकिन हमने बहुत ज्यादा 300 से ज्यादा स्कोर नहीं देखे, लेकिन मैं न्यूजीलैंड टीम को शानदार टूर्नामेंट के लिए बधाई देता हूं। फाइनल मुकाबले में मैच टाई रहने के कारण खिलाड़ी निराश थे, जाहिर है खिताब के इतने करीब आकर हारना निराशाजनक है।

आईसीसी ने छली कीवी टीम

लंदन। इंग्लैंड द्वारा पहली बार क्रिकेट विश्वकप का खिताब जीतने के बाद मेजबान टीम का जोश हाई है, लेकिन फाइनल के रिजल्ट के बाद न्यूजीलैंड की मीडिया समेत क्रिकेट के कई दिग्गज चौकों-छक्के के आधार पर मेजबान टीम की जीत की आलोचना कर रहे हैं। न्यूजीलैंड की मीडिया में इसे अपनी टीम के साथ छल बताया है। कई पूर्व खिलाडि़यों ने भी आईसीसी के नियम को हास्यास्पद करार दिया है। 22 नायकों के साथ क्रिकेट विश्वकप का फाइनल और कोई विजेता नही, न्यू जीलैंड के एक अखबार में सोमवार को छपा शीर्षक पूरी कहानी बयां करता है और यहां मीडिया का मानना है कि आईसीसी के अटपटे नियम के कारण उनकी टीम छली गई है। रविवार को लॉडर्स के मैदान पर बेहद रोमांचक फाइनल में निर्धारित ओवरों और सुपर ओवर में स्कोर बराबर रहने के बाद चौकों, छक्कों की संख्या के आधार पर इंग्लैंड को विजेता घोषित किया गया। स्टफ डॉट कॉम न्यूजीलैंड ने लिखा कि क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में चौकों, छक्कों की गिनती ने न्यजीलैंड को जीत से महरूम किया। न्यूजीलैंड हेराल्ड ने लिखा क्रिकेट विश्वकप फाइनल 22 नायक और कोई विजेता नहीं।

बाउंड्री से फैसले पर पूर्व खिलाडि़यों ने लताड़ी आईसीसी

न्यूजीलैंड के पूर्व कोच माइक हेसन ने कहा कि विश्वकप फाइनल का फैसला सुपर ओवर के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने अपने कालम में लिखा कि केन विलियम्सन और इयोन मॉर्गन दोनों को कप दिया जाना चाहिए था। पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर समेत पूर्व दिग्गजों ने चौके, छक्के गिनकर विश्व कप विजेता का निर्धारण करने वाले आईसीसी के ‘हास्यास्पद’ नियम की जमकर आलोचना की। गंभीर ने ट्विटर पर लिखा कि समझ में नहीं आता कि विश्वकप फाइनल जैसे मैच के विजेता का निर्धारण चौकों, छक्कों के आधार पर कैसे हो सकता है। हास्यास्पद नियम। यह टाई होना चाहिए था। मैं न्यूजीलैंड और इंग्लैंड दोनों को बधाई देता हूं । युवराज सिंह ने लिखा कि मैं नियम से सहमत नहीं हूं, लेकिन नियम तो नियम है। इंग्लैंड को आखिरकार विश्वकप जीतने पर बधाई। न्यूजीलैंड के पूर्व हरफनमौला स्कॉट स्टायिरस ने लिखा कि शानदार काम आईसीसी। आप एक लतीफा हो। आस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज डीन जोंस ने लिखा कि डकवर्थ लुईस प्रणाली रन और विकेट पर निर्भर है। इसके बावजूद फाइनल में सिर्फ चौकों, छक्कों को आधार माना गया। मेरी राय में यह गलत है।

स्टोक्स के पिता बोले, साझा होनी चाहिए थी ट्रॉफी

लंदन। इंग्लैंड को क्रिकेट इतिहास में पहली बार विश्व विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले न्यूजीलैंड मूल के खिलाड़ी बेन स्टोक्स के पिता गेरार्ड का मानना है कि यह ट्रॉफी दोनों ही टीमों में साझा होनी चाहिए थी। इंग्लैंड की जीत में सबसे बड़ी भूमिका बल्लेबाज़ स्टोक्स की रही जो असल में न्यूजीलैंड के ही रहने वाले हैं और क्राइस्टचर्च में जन्मे थे। यह दिलचस्प है कि स्टोक्स के सामने उन्हीं का जन्मदाता देश न्यूजीलैंड था जिसकी हार की वह वजह बने। न्यूजीलैंड के पूर्व अंतरराष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी गेरार्ड ने आईसीसी के बाउंड्री नियम पर हैरानी जताई और कीवी टीम के प्रदर्शन की प्रशंसा की।

अंपायर की गलती से विश्व विजेता बना इंग्लैंड

लंदन -आईसीसी एलीट पैनल के पूर्व अंपायर साइमन टॉफेल ने विश्वकप के फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड को ओवर थ्रो के छह रन देने पर सवाल खड़ा किया है। गौरतलब है कि टॉफेल क्रिकेट इतिहास के सर्वश्रेष्ठ अंपायरों में शुमार रहे हैं और सर्वाधिक बार आईसीसी एलीट पैनल के बेस्ट अंपायर भी रहे हैं। उनके मुतातिक मार्टिन गुप्टिल के ओवर थ्रो पर अंपायर कुमार धर्मसेना ने इंग्लैंड को एक रन ज्यादा दिया, उन्हें सिर्फ छह की जगह पांच रन ही देना चाहिए था।  इस फैसले पर साइमन टॉफेल ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यह बहुत बड़ी गलती है। धर्मसेना ने गलत फैसला किया।

शर्म की बात है…

लंदन। वर्ल्डकप जीत के बाद ऑलराउंडर बेन स्टोक्स ने गुप्टिल की थ्रो उनके बल्ले से लगकर बाउंड्री तक चले जाने से न्यूजीलैंड की टीम से माफी मांगी है। उन्होंने मैच के बाद कहा कि यह शर्म की बात है कि गेंद मेरे बल्ले से लगी। ऐसे समय पर यह सब हुआ कि सब बदल गया। मैं बस यही उम्मीद करूंगा कि फिर कभी इतने अहम लम्हे पर यह न हो। उन्होंने कहा कि आखिरी ओवर में गेंद मेरे बल्ले से लगकर सीमारेखा के पार गई, आपने ऐसा सोचा नहीं होगा। मैंने केन से उस बारे में अनगिनत बार माफी मांगी है। मैं ऐसा नहीं करना चाहता था।

टॉफेल ने समझाए नियम

आईसीसी के नियम 19.8 के मुताबिक ओवर थ्रो पर गेंद बाउंड्री पार जाती है, तो उसमें बल्लेबाजों द्वारा पूरे किए गए रन भी जुड़ते हैं। अगर बल्लेबाजों ने थ्रो करने से पहले एक-दूसरे को क्रॉस कर लिया है, तो ओवर थ्रो में वह रन भी जोड़ा जाता है। अगर फील्डर के थ्रो फेंकने से पहले बल्लेबाजों ने एक-दूसरे क्रॉस नहीं किया हो, तो वह रन नहीं जोड़ा जाएगा। फाइनल में बल्लेबाजों ने एक दूसरे को क्रॉस नहीं किया था।


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