50 हजार किसानों को जोड़ने का रखा लक्ष्य

By: Jul 5th, 2019 12:05 am

नौणी—प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के तहत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के अंतर्गत डा. वाइएस परमार बागबानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शिविर के समापन समारोह की अध्यक्षता उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने की। जबकि विशिष्टातिथि के तौर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत और नीति आयोग के उपाध्यक्ष डा. राजीव कुमार उपस्थित थे। इसके अलावा, इस छह दिवसीय शिविर में प्रशिक्षक के तौर पर पद्मश्री सुभाष पालेकर भी उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक कृषि पद्धति को देश स्तर पर आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण शिविर में आने पर उत्तराखंड की राज्यपाल और नीति आयोग के उपाध्यक्ष का आभार व्यक्त किया। उन्होंने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बधाई देते हुए कहा कि सरकार बनते ही उन्होंने इस कृषि पद्धति को पहचाना और सहयोगी बने। पिछले वर्ष 500 किसानों को इस पद्धति से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था, जबकि पौने तीन हजार किसान इससे जुड़े। इसी प्रकार, इस वर्ष 50 हजार किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस शिविर के आयोजन से करीब 1000 किसान प्रशिक्षक बनकर जाएंगे, जो ग्राम स्तर पर इसका प्रचार सुनिश्चित बनाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2022 से पहले हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक कृषि राज्य बन जाएगा। उन्होंने कहा कि इस शिविर में प्रदेश के नौ जिलों से करीब 1000 किसानों व बागबानों ने भाग लिया और यह सुभाष पालेकर का राज्य में चौथा शिविर है। उन्होंने कहा कि इन शिविरों में युवाओं की संख्या अधिक रही है। प्रदेश के युवा पढ़े-लिखे व प्रबुद्ध हैं, जिन्होंने कृषि को अपनी आय का माध्यम बनाया है। राज्य के छोटे-छोटे भू-खंडों में प्राकृतिक कृषि करना मुश्किल नहीं है। उन्होंने इस मौके पर गुरुकुल कुरुक्षेत्र में रहते हुए रसायनिक कृषि के दुष्परिणाम, जैविक कृषि के नुकसान और अब प्राकृतिक कृषि की सफलता का अनुभव किसानों से साझा किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उत्तराखंड और हिमाचल, दोनों ही हिमालयी राज्य हैं और इनकी एक जैसी भौगोलिक परिस्थितियां हैं। पर्वतीय राज्यों के पर्यावरण, वन, नदी-जल संपदा को रासायनिक पदार्थों से बचाते हुए, प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देना समय की मांग है, जिसके लिए किसानों को जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के नीति आयोग ने भी प्राकृतिक खेती को देश में कृषि एवं कृषक कल्याण के लिए अच्छा माध्यम माना है। उन्होंने सुझाव दिया कि हिमालयी क्षेत्र की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए, विशेषज्ञों को सभी हिमालयी राज्यों के लिए प्राकृतिक खेती से संबंधित एक संयुक्त मंच की स्थापना के प्रयास करने चाहिए।


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