अनडिज़ाइंड थी बिल्डिंग, खराब था ड्रेनेज सिस्टम

मजिस्ट्रेट जांच में सामने आए चौंकाने वाले खुलासे, इमारत में हुई ही नहीं थी ईंटों की चिनाई

सोलन – जिला सोलन के कुमारहट्टी में पिछले महीने ध्वस्त हुई चार मंजिला इमारत के बीच ईंट की चिनाई नहीं हुई थी। इस इमारत का पूरा भार पिल्लरों पर टिका हुआ था। यह खुलासा मजिस्ट्रेट जांच में हुआ है। एसडीएम ने उपायुक्त को मजिस्ट्रेट रिपोर्ट सौंप दी है। सौंपी गई इस रिपोर्ट को प्रशासन ने इसे सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन इस बंद लिफाफे में सौंपी गई मजिस्ट्रेट रिपोर्ट में कई चैंकाने वाले खुलासे हुए हैं। हादसे का बड़ा कारण बेसमेंट में बने सेप्टिक टैंक का रिसाव भी माना जा रहा है। जांच में पाया गया कि भवन में वैली की तरह सेप्टिक टैंक बना हुआ था, जो आधा भवन के पिल्लर के नीचे था और आधा बाहर। जांच के दौरान वहां खुदाई करने पर पाया गया कि सेप्टिक टैंक में भी लगातार रिसाव हो रहा था। इस ओर भवन मालिक ने कभी ध्यान नहीं दिया। साथ ही हादसे का सबसे बड़ा कारण चार मंजिला इमारत अनडिजाइंड थी। निर्माणकर्ता द्वारा इस इमारत को बिना ड्राइंग के अपनी समझ के अनुसार ही भवन का निर्माण कर दिया। इसके अलावा इमारत का ड्रेनेज सिस्टम भी खराब था। नींव में ही पानी का रिसाव हो रहा था। कुमारहट्टी का यह क्षेत्र टीसीपी में न होने के कारण इमारत के मालिक ने भवन का निर्माण करने से पूर्व स्ट्रक्चर इंजीनियर से मिट्टी की भार क्षमता की जांच नहीं करवाई। जिस जगह इस भवन का निर्माण हुआ है, उसकी मिट्टी की क्षमता चार मंजिला इमारत का भार उठाने की नहीं थी।  जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि चार मंजिला इमारत दो बिस्वा जमीन पर बना हुआ था। राजस्व रिकॉर्ड में इमारत  मालिक एक बिस्वा का मालिक है जबकि शेष भूमि एग्रीमेंट के आधार पर खरीदी हुई है। जहां यह हादसा हुआ, वह पंचायत क्षेत्र में है। इसलिए टीसीपी व साडा वहां लागू नहीं है।

लग गए 22 दिन

मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट 15 दिन के भीतर सौंपी जानी थी, लेकिन यह रिपोर्ट सौंपने के लिए 20 से 22 दिन का समय लग गया। इस रिपोर्ट में जांच के अलावा कुछ ऐसे प्वाइंट्स भी डाले गए हैं, जिस पर सरकार विचार भी कर सकती है।

एक पिल्लर टूटने पर गिरी पूरी इमारत

जांच में यह भी सामने आया है कि इमारत का एक पिल्लर टूटने पर इस मंजिल का दाहिनी ओर को हिस्सा भरभरा कर गिर गया। इसका निर्माण छह साल में पूरा हुआ है। इसकी एक मंजिल बेच दी गई थी और दो मंजिलें अपने पास ही रखी हुई थीं। इसकी एक मंजिल पर ढाबा चल रहा था।