अब की बार टूरिज्म इंडस्ट्री पर मार

आनलाइन ट्रैवल कंपनियों से पहुंच रहा नुकसान; कारोबार का भट्ठा बैठा, कई ट्रैवल कंपनियां बंद होने की कगार पर

शिमला -हिमाचल प्रदेश में आनलाइन ट्रैवल कंपनियों के कारोबार से होटल व्यवसाय पर भारी मार पड़ रही है। राज्य में छोटे बजट क्लास होटल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। हिमाचल प्रदेश में 90 प्रतिशत से भी अधिक होटल मीडियम व बजट क्लास होटल हैं। ऑनलाइन ट्रैवल कंपनीज जिस प्रकार अपनी मनमर्जी से अत्यधिक कम रेट पर कमरे उपलब्ध करवा रही हैं उसकी  मार सबसे अधिक छोटे तथा बजट क्लास होटलों पर पड़ी है। यह आरोप होटल इंडस्ट्री स्टेक होल्डर एसोसिएशन ने लगाया है। एसोेसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र सेठ ने कहा कि एक तरफ  तो ऑनलाइन ट्रैवल कंपनीज की वजह से ऑफ लाइन ट्रैवल कंपनीज बंद होने की कगार पर है तथा बिज़नेस कम होने के कारण  कई ट्रैवल कंपनीज जो होटलों को अच्छा बिज़नेस देती थी बंद हो गई है । दूसरी तरफ छोटे होटलों को इसकी दोहरी मार पड़ी है एक तो इतने कम रेट पर कमरों कि बुकिंग इन ट्रवेल कम्पनियों द्वारा करना और दूसरी तरफ इन ऑनलाइन कंपनीज द्वारा इल्लीगल होम्स एफ्लैट्स का संचालन के कारण होटलों कि ऑक्युपेंसी बहुत कम रह गई है। इस वर्ष अप्रैल  में  होटलों की ऑक्युपेंसी 30 प्रतिशत से भी कम तथा मई तथा जून में 70  से 80 के करीब  रहीं है वह भी  डिस्काउंटेड रेट्स पर जो  कि एक इतिहास बन कर रह गया है। इसका असर सरकार के खजाने पर भी साफ देखने को मिला है। उन्होनें   शिमला डिस्ट्रिक्ट के लग्जरी टैक्स के आंकड़ों का कंपैरिजन जब जी एस टी के आंकड़ों से किया तो वह भी यही इशारा कर रहे थे कि बजट तथा छोटे होटलों कि ऑक्यूपेंसी पर ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल के माध्यम से कम रेट पर कमरे उपलब्ध करवाने इल्लीगल होम्स कोमोडेशन के संचालन में बढ़ोतरी होने तथा मशरूम ग्रोथ ऑफ बी एंड बी तथा होम स्टे यूनिट्स के कारण होटल इंडस्ट्री की वियाबिलिटी दिन प्रतिदिन खत्म होती जा रही है। जहां पर सरकार को शिमला डिस्ट्रिक्ट से लग्जरी टैक्स के माध्यम से लगभग 11 से 12 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हो रहा था जबकि लग्जरी टैक्स 10 प्रतिशत के हिसाब से चार्ज किया जाता था। इसमें जब  विश्लेषण किया तो उपर लिखित आंकड़ों का  लगभग 70 प्रतिशत टैक्स बजट क्लास तथा छोटे होटलों से आ रहा था।इसी प्रकार यदि जी एस टी के आंकड़ों पर नजर डाले तो  शिमला डिस्ट्रिक्ट का  2018.19 में भी लगभग 11 से 12 करोड़ का आंकड़ा रहा जबकि बड़े होटलों  का टैक्स रेट 28 प्रतिशत तक है। बड़े होटलों को इन ऑनलाइन ट्रैवल कंपनीज का असर इस लिए भी नहीं पड़ता कयोंकि उनका  अपना  इंटरनेशनल मार्केटिंग सिस्टम है तथा उनके होटलों के रेटों को ऑनलाइन ट्रैवल कम्पनियों द्वारा कम नहीं किया जा सकता। उन्होंने  सरकार से आग्रह किया  है कि ऑनलाइन ट्रैवल कंपनीज को टूरिज्म ट्रेड एक्ट के दायरे में लाया जाए इल्लीगल होम्स तथा अन्य एकोमोडेशन के संचालन को  रोका  जाए।  इसके अलवा कई लोगों द्वारा भारत सरकार की बी एंड बी योजना तथा हिमाचल सरकार की होम स्टे योजना का दुरुपयोग किया जा रहा है। इन सकीमो के तहत एक लाइसेंस लेकर    रजिस्टर्ड कमरों  से अधिक कमरों का संचालन किया जा रहा है जिस यूनिट को रजिस्टर्ड करवाया गया है उसमे मालिक रहता ही नहीं है तथा एक ही भवन में एक से अधिक लाइसेंस अलग अलग नामों पर लेकर  स्कीम का दुरुपयोग किया जा रहा है। ऐसे संचालकों पर तुरंत कारवाई  की जानी चाहिए ताकि सरकार के राजस्व को बढ़ाया जा सके तथा होटल इंडस्ट्री जो डूबने के कागर पर हा उसे बचाया जा सके।  उन्होंने उम्मीद जताई है कि राज्य सरकार से  होटल इंडस्ट्री जेनुइन होम स्टे तथा बी एंड बी संचालकों के हितों को मध्य नजर इस विषय को गंभीरता से लेते हुए इस पर तुरंत कार्रवाई करेगी।