अब हुड्डा की कांग्रेस

By: Aug 20th, 2019 12:05 am

हरियाणा कांग्रेस में बगावत की एक पुरानी परंपरा रही है। प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री राव वीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस छोड़ी और जनता पार्टी में शामिल हुए। यह दीगर है कि नरसिंह राव की सरकार और कांग्रेस के दौर में वह वापस आ गए और केंद्रीय मंत्री भी बने। अब उनके सांसद-पुत्र राव इंद्रजीत सिंह बीते कई सालों से भाजपा में हैं और मोदी सरकार में राज्यमंत्री भी हैं। तीसरे मुख्यमंत्री बंसीलाल ने बगावत की और हरियाणा विकास पार्टी का गठन किया। अब उनकी बहू किरण चौधरी और पौत्री श्रुति कांग्रेस में हैं। कांग्रेस ने 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया था, तो तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भजनलाल ने भी बगावत की। उनके पुत्र कुलदीप बिश्नोई ने कुछ समय तक अपनी क्षेत्रीय पार्टी चलाई। अंततः कांग्रेस में उसका विलय कर दिया। आज कुलदीप कांग्रेस में ही हैं। बंसीलाल और भजनलाल दोनों ही कद्दावर नेता थे, लेकिन अब वे दिवंगत हैं। नई बगावत के आसार 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे हुड्डा की ओर से हैं। खुद हुड्डा और उनका बेटा दीपेंद्र दोनों ही लोकसभा चुनाव हार चुके हैं, लेकिन हुड्डा आज भी जाटों के सर्वमान्य नेता हैं। खासकर इंनेलो और चौटाला परिवार में आपसी विभाजन के बाद उनका जनाधार भी बंटा है, जो ताऊ देवीलाल ने बुना था। कांग्रेस के भीतर हुड्डा एक अंतराल से अलग-थलग महसूस करते रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर से उनका 36 का आंकड़ा है। चूंकि हरियाणा में चुनाव सिर्फ दो महीने ही दूर हैं, कांग्रेस बुरी तरह विभाजित और पराजित अवस्था में है, लिहाजा हुड्डा ने अपने राजनैतिक गढ़ रोहतक में ‘परिवर्तन रैली’ की हुंकार भरी है और अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है, लेकिन कांग्रेस की तरफ  उन्होंने कुछ खिड़कियां खुली रखी हैं। हालांकि कांग्रेस को ‘भटकी हुई पार्टी’ करार दिया है। हुड्डा ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त करने के मोदी सरकार के निर्णय का समर्थन किया है और उसे देशहित में माना है। यह पार्टी की अधिकृत लाइन से अलग विचार है। जो अंदाज, स्वर और शब्द हुड्डा की जुबां से ध्वनित हुए हैं, उनके स्पष्ट संकेत हैं कि वह कांग्रेस से अलग होकर अपने क्षेत्रीय दल के गठन की घोषणा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें यह भी एहसास होगा कि मात्र दो महीने में ऐसा संगठन खड़ा नहीं किया जा सकता, जिसके बूते एक विधानसभा चुनाव जीता जा सके। लिहाजा कांग्रेस आलाकमान से सौदेबाजी की इतनी ही गुंजाइश शेष है कि हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है और आगामी मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया जाता है, तो संभावित बगावत कुछ समय के लिए टल सकती है। लेकिन हरियाणा में चुनाव के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और भाजपा ने रणभेरी बजा दी है। भाजपा ने 75 सीटों का लक्ष्य भी घोषित कर दिया है। कालका से रथयात्रा शुरू हुई है। मुख्यमंत्री खट्टर 22 दिन रथ पर सवार होकर प्रदेश के सभी 90 क्षेत्रों का दौरा करेंगे। यात्रा का समापन आठ सितंबर को रोहतक में होगा, जहां प्रधानमंत्री मोदी जनसभा को संबोधित कर सकते हैं। रथयात्रा को ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ नाम दिया गया है। यह लगभग वैसा ही प्रयोग है, जैसा 1986 में देवीलाल ने ‘न्याय यात्रा’ के तौर पर किया था और 85 सीटें जीती थीं। हालांकि भाजपा हरियाणा में कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित पार्टी रही है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2014 में उसे पहली बार बहुमत मिला। सत्ता के इन पांच सालों में भाजपा सशक्त हुई है और उसकी स्वीकार्यता भी बढ़ी है। कांग्रेस  में उसके विपरीत हालात और समीकरण हैं। हुड्डा के खिलाफ  प्रवर्त्तन निदेशालय और सीबीआई के कई केस हैं। उन पर आरोप हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार को कीमती जमीन अलॉट की, गांधी परिवार के दामाद को जमीन के ही सौदों में चांदी कूटने दी। यह अलग मामला है कि जांच कहां तक जाती है, लेकिन हुड्डा की कुछ संपत्तियां जब्त की गई हैं। बहरहाल राजनीति यह कहती है कि कोई भी चुनाव एकतरफा नहीं होना चाहिए। अब कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी हैं। हुड्डा उनके विश्वास पात्र रहे हैं, लिहाजा पार्टी हित में यथाशीघ्र निर्णय लिया जाना चाहिए कि किसकी कमान और छत्रछाया में हरियाणा में शिद्दत से चुनाव लड़ा जा सकता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App