अभी भी गुमनाम है बतख मियां

By: Aug 14th, 2019 12:05 am

-नितेश कुमार, मोतिहारी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को बापू से राष्ट्रपिता तक के सफर में एक अजनबी चेहरा अब भी गुमनाम  ही छिपा है। हम बात कर रहे हैं बापू के प्राण रक्षक बतख मियां अंसारी के बारे में जो चंपारण की धरती पर सन् 1917 ई0 में एक होटल में काम किया करते थे बापू जब चम्पारण आये तो उन्हें एक होटल में ठहराया गया जिसका संचालन ब्रिटिश के इशारे पर हुआ करता था। बतख मियां उन्हीं होटल में काम करते थे जिसे दूध में जहर डालकर बापू को देने को कहा गया लेकिन बतख मियां ने अपनी अंगुली की आवाज को सुना और दूध देते समय गांधी को इशारों- इशारों में मना कर दिया जिसे बापू ने पिने से मना कर दिया। इस प्रकार बापू की प्राणों की रक्षा बतख मियां अंसारी ने की थी। राज्य के कला संस्कृति व खेल मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बतख मियां का मजार अब भी आजादी के 73 वर्षों बाद अपनी आस्तित्व की तलाश में हैं। 


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