आईजीएमसी…255 लोगों को मिली रोशनी

By: Aug 26th, 2019 12:22 am

शिमला -आईजीएमसी केआई बैंक को इस साल 255 लोगों को रोशनी देने में बड़ी कामयाबी मिली है। वहीं 255 लोग आई बैंक  से मिली आखों से संसार को देखने में सक्षम हुए हैं। आईजीएमसी का आईबैंक हमेशा से ही जरूरतमदों की सहायता के लिए आगे आता है। यही कारण है कि इस वर्ष पिछले साल के मुताबिक  अधिक लोगों ने अपनी आंखों का दान किया है। आईजीएससी के आई डा. राम  लाल ने बताया कि इस वर्ष आईजीएमसी आईबैंक को 320 आखें दान में आई हैं, जिसमें से 255 ऐसी आंखें हैं जो लोगों को लग चुकी हैं। अब वह अपनी आंखों से संसार को देखने में सक्षम हैं।  हालांकि अभी भी ऐसे लोग हैं जिन्हें नई आंखों की आवश्यकता है, जो अभी वेटिंग लिस्ट में हैं। आईजीएमसी आईबैंक जल्द ही इन वेटिंग लिस्ट वालों के लिए भी रोशनी दे सकता है। इसके साथ ही 30 से 40 आखें ऐसी हैं जो खराब रही जिसे किसी को नहीं लगाया गया है। आईजीएमसी लोगों को आंखों के महत्व व आखों के दान के लिए प्रेरित करता है। इसी को देखते हुए आईजीएमसी आज से लेकर 8 अगस्त तक आंखों के लिए नेत्रदान पखवाड़ा मनाने जा रहा है, जिसके माध्यम से लोगों को आंखों के दान के लिए जागरूक किया जाएगा। आंखों के  हमारे जीवन में महत्व से सभी परिचित हैं। डा. ने बताया कि प्रत्येक वर्ष जो लोग या लोगों के परिवार वाले अपने व अपने परिवारजनों की आंखें दान करते हैं या करना चाहते हैं, उन्हें सम्मानित किया जाता है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष भी आईजीएमसी आईबैंक आंखों के डोनर को सम्मानित करेगा। बता दें कि आंखों की रोशनी के लिए कार्निया की जरूरत होती है। जबकि अज्ञानता एवं जागरूकता के अभाव में मात्र 30 हजार कॉर्निया का ही प्रत्यारोपण किया जाता है। आंखों के दान के लिए लोगों में जागरूकता कम देखी जाती है। कॉर्निया के अंधेपन के रोकथाम के लिए नेत्र प्रत्यारोपण के साथ-साथ कॉर्निया से होने वाले नुकसान को बचाया जाना जरूरी है। संसार की प्रत्येक वस्तु का परिचय हमारी आँखें ही तो हमें देती हैं और इस रंगबिरंगी दुनिया का आनंद भी हम अपनी आँखों द्वारा ही उठा पाते हैं। बिना आँखों के रंगों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वर्तमान समय में बदलते लाइफ स्टाइल, अनियमित दिनचर्या, प्रदूषण तथा मानसिक तनाव की अधिकता होने से अधिकांश लोग आंखों से जुड़ी समस्याओं का सामना करते हैं । कुछ को बचपन से ही आँखों की समस्या होती है तो कुछ को आयु के मध्यकाल में यह समस्या जक ड़ लेती है, यह दुनियां बहुत खूबसूरत है। हमारे आसपास की हर वस्तु में एक अलग ही सुंदरता छिपी होती है जिसे देखने के लिए एक अलग नजर की जरूरत होती है। दुनिया में हर चीज का नजारा लेने के लिए हमारे पास आंखों का ही सहारा होता है। दुनिया की सारी खूबसूरती आंखों के बिना कुछ नहीं है।

 


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