उधार की जमीन पर शिक्षा के मंदिर

By: Aug 26th, 2019 12:02 am

शिमला –हिमाचल में बेहतर सरकारी शिक्षा के दावों की पोल एक बार फिर से खुल गई है। हैरत है कि शिक्षा विभाग कई सालों से अभी तक 1779 स्कूलों के भवनों को अपने नाम नहीं करवा पाया है। यानी वन विभाग की जमीन पर बने ये स्कूल अभी भी केवल खानापूर्ति के तौर पर ही चल रहे हैं। शिक्षा विभाग ने सरकार से बजट मिलने के बाद यहां स्कूल के भवन तो बना दिए, लेकिन यहां छात्रों को सुविधाएं देना भी विभाग भूल गया है। सूत्रों की मानें तो दस साल से पहले बने इन भवनों को शिक्षा विभाग अपने नाम करवाने में भी असफल रहा है। बताया जा रहा है कि जब तक विभाग के नाम इन सरकारी स्कूलों की जमीन नहीं होती है, तब तक इस जमीन पर विभाग नए विकास कार्य भी नहीं कर सकता है। बता दें कि 42 स्कूल अकेले जयसिंहपुर में ऐसे हैं, जहां पर अभी तक विभाग जमीन को अपने नाम नहीं कर पाया है। बताया जा रहा है कि इन स्कूलों में शिक्षा विभाग आगे के विकास कार्य भी नहीं कर पाया है। इसकी वजह यह है कि विभाग ने वन विभाग को कई जरूरी दस्तावेज जमा नहीं करवाएं हैं, वहीं एनओसी भी विभाग से नहीं ली गई है। शिक्षा विभाग द्वारा इतने सालों से एनओसी न लेने के मामले पर सरकार ने भी फटकार लगाई है। वहीं, शिक्षा विभाग को स्कूलों के निर्माण कार्यो को जल्द पूरा कर जमीन को अपने नाम पर करवाने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने भी सरकार के आदेशोें के बाद जिला उपनिदेशकों को इस बारे में जल्द रिपोर्ट तलब करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने उपनिदेशकों को आदेशों में वन विभाग में स्कूल के जमीन से जुड़े कागजों को जमा करवाने के अलावा जो भी औपचारिकताएं हैं, उन्हें जल्द पूरा करने का कहा है। दरअसल शिक्षा विभाग को यह रिपोर्ट जल्द सरकार को सौंपनी है। अगर स्कूलों की जमीन विभाग अपने नाम नहीं करवा पाया, तो ऐसे में सरकार शिक्षा विभाग से जवाब तलब करेगा। सरकार ने भी हैरानी जताई है कि इतने समय से शिक्षा विभाग स्कूल की जमीन को अपने नाम ही नहीं करवा पाया है। ऐसे में हजारों स्कूल में विकास कार्य भी नहीं हो पाया है।

ऐसे बजट नहीं मिलेगा

जब तक  सरकारी स्कूलों की जमीन शिक्षा विभाग के नाम नहीं होती है, तब तक अन्य बजट भी इन स्कूलों को नहीं मिलेगा। सरकार ने शिक्षा विभाग को इस बाबत आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं यह भी कहा है कि अब इन 1779 स्कूलों को तब तक बजट जारी न किया जाएगा, जब तक की वह जमीन शिक्षा विभाग के नाम नहीं  हो जाती है। फिलहाल उपनिदेशकों को जल्द रिपोर्ट सौंपनी होगी। शिक्षा विभाग के निदेशक ने साफ किया है कि जिस जिले से स्कूलों की जमीन का ब्यौरा नहीं आएगा, उन उपनिदेशकों से जवाब भी तलब किया जाएगा। ऐसे में 10 से 15 सालों से स्कूल की ही जमीन को अपने नाम न करवाने को लेकर विभाग की कार्यप्रणाली पर कई तरह सके सवाल उठ रहे हैं।


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