कजरी तीज का महत्त्व

By: Aug 17th, 2019 12:20 am

भाद्रपद कृष्ण पक्ष तृतीया को संपूर्ण पूर्वी उत्तर भारत में कजरी तीज का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार कजरी तीज का त्योहार 18 अगस्त को मनाया जाएगा…

भारत एक ऐसा देश है जहां आए दिन त्योहारों की भरमार देखने को मिलती है। त्योहार चाहे बड़ा हो या छोटा लोग हर पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। देश में अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं। इसलिए यहां त्योहार और पर्व भी अलग-अलग मनाए जाते हैं। भाद्रपद कृष्ण पक्ष तृतीया को संपूर्ण पूर्वी उत्तर भारत में कजरी तीज का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार कजरी तीज का त्योहार 18 अगस्त को मनाया जाएगा। यह त्योहार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार समेत हिंदी भाषी क्षेत्रों में प्रमुखता से मनाया जाता है। इनमें से कई इलाकों में कजरी तीज को बूढ़ी तीज व सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह कजरी तीज भी सुहागिन महिलाओं के लिए अहम पर्व है वैवाहिक जीवन की सुख और समृद्धि के लिए यह व्रत किया जाता है।

कजरी खेलने के लिए मायके जाती हैं महिलाएं

इस दिन सुहागिन महिलाएं कजरी खेलने अपने मायके जाती हैं महिलाएं नदी और तालाब से मिट्टी लाकर उसका पिंड बनाती हैं और उसमें जौ के दाने बोती हैं, इसमें रोज पानी डालने से पौधे निकल आते हैं इन पौधों को कजरी वाले दिन लड़कियां अपने भाई और बुजुर्गो के कान पर रखकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

इन परंपराओं का करती हैं पालन

* इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए कजरी तीज का व्रत रखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं

* कजरी तीज पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ते हैं

* इस दिन गायों की विशेष रूप से पूजा की जाती है आटे की सात लोइयां बनाकर उन पर घी, गुड़ रखकर गाय को खिलाने के बाद भोजन किया जाता है

* कजरी तीज पर घर में झूले डाले जाते हैं और महिलाएं एकत्रित होकर नाचती-गाती हैं

* इस दिन कजरी गीत गाने की विशेष परंपरा है। यूपी और बिहार में लोग ढोलक की थाप पर कजरी गीत गाते हैं।


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