करयालग के सात परिवारों को तीन-तीन बिस्वा ज़मीन

खाली सरकारी ज़मीन पर ठिकाना देगा प्रशासन, 18 अगस्त को जमींदोज हो गए थे घर

बिलासपुर -अठारह अगस्त की भयावह रात में पहाड़ी खिसकने से खुले आसमान तले आए सात परिवारों का पुनर्वास करयालग गांव के पास ही खाली पड़ी सरकारी ज़मीन पर किया जाएगा। जिला प्रशासन ने ज़मीन का चयन कर लिया है और आपदाग्रस्त परिवारों को सरकारी मापदंडों के अनुरूप मकान बनाने के लिए प्रति परिवार तीन बिस्वा जमीन देने का निर्णय लिया है। प्रशासन की मानें तो पहला मकसद पीडि़तों को घर बनाकर उन्हें बसाना है, जिसके लिए प्रस्ताव तैयार कर सोमवार को राज्य सरकार की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। अठारह अगस्त की रात पहाड़ी खिसकने से करयालग गांव के सात परिवारों के मकान जमींदोज हो गए थे। हालांकि सौभाग्यवश कोई जानी नुक्सान नहीं हुआ, लेकिन उम्र भर की गाढ़ी कमाई से खड़े किए गए आशियानों को जमींदोज होते देख पांव तले जमीन खिसक गई। सारे परिवार खुले आसमान तले आ गए। हालांकि जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों ने मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जिला प्रशासन ने उनके खानपान और रहन-सहन का प्रबंध कर दिया है और सरकारी योजनाओं के जरिए इन्हें पुनः बसाने के लिए कवायद छेड़ी है। गाांव के समीप ही खाली पड़ी जमीन का चयन कर इन्हें बसाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि पीडि़तों के लिए पांच बिस्वा से ज्यादा जमीन उपलब्ध करवाने के लिए लोग मांग उठा रहे हैं, जिस पर प्रशासन का तर्क है कि पहले पीडि़तों को बसाना मुख्य उद्देश्य है, उसके बाद कृषि के लिए भूमि का चयन किया जाएगा।

आज आएगी जियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट

स्टेट जियोलॉजिकल कार्यालय शिमला के एक्सपर्ट गौरव शर्मा द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट सोमवार को जिला प्रशासन के पास आ जाएगी। अब इसी रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन आगामी कार्रवाई करेगा। करयालग गांव खतरे की जद में क्यों आया और भविष्य में क्या परिणाम हो सकते हैं, इसके लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय चंडीगढ़ को लिखा जाएगा, ताकि उस ओर से एक्सपर्ट्स टीम यहां आकर स्टडी कर रिपोर्ट तैयार करें, क्योंकि करयालग गांव में अन्य मकान भी है, जो बरसात के मौसम में खतरे की जद में आ सकते हैं, इसलिए बचाव के मद्देनजर जियोलॉजिकल स्टडी करवाई जाएगी।