किसने तय किए होटल-जमीन के रेट

वेब पोर्टल पर लिखे गए एचपीटीडीसी की 14 संपत्तियों के दाम, उठ रहा बड़ा सवाल

शिमला – एचपीटीडीसी की संपत्तियों को बेचने पर उठे बवाल के बीच सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इसके बेचने की दरें किसने निर्धारित कर दीं। राइजिंग हिमाचल के वेब पोर्टल पर 14 संपत्तियों के बेचने के दाम भी लिखे गए हैं। अहम है कि एचपीटीडीसी की इन 14 संपत्तियों में आधे से ज्यादा निगम के लिए कमाऊ पुत हैं। इसके अलावा प्रदेश की प्रतिष्ठित इकाइयां हैं। हालांकि घाटे में चल रही एचपीटीडीसी की इकाइयों की एक साल पहले सूची तैयार कर ली गई थी। इन्वेस्टर्स मीट का खाका खिंचने के बाद इन संपत्तियों को सेल करने का पर्यटन विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया। इसमें प्रतिष्ठित तथा कमाई वाली संपत्तियों को भी शामिल कर लिया गया। यह पर्यटन विभाग की सबसे बड़ी चूक थी। इसके बाद पर्यटन निदेशालय ने इन्वेस्टर्स मीट के नॉलेज पार्टनर अर्नेस्ट एंड यंग कंपनी को मेल भेज कर इसका मैटीरियल डिजाइन करने को कहा। सरकार की अप्रूवल के बिना नॉलेज पार्टनर को ई-मेल भेजकर पर्यटन विभाग ने दूसरी गलती कर दी। इसके बाद रही सही कसर नॉलेज पार्टनर ने पूरी कर दी। अर्र्नेस्ट एंड यंग कंपनी ने सरकार की अप्रूवल लिए बिना इन संपत्तियों की सूची वेब पोर्टल पर अपलोड कर दी। इतना ही नहीं, कंपनी के कंसल्टेंट ने एसी कमरे में बैठ कर एचपीटीडीसी के होटलों तथा इनकी जमीनों के रेट भी तय कर दिए। एचपीटीडीसी के इन होटलों के पास हजारों वर्गफीट लैंड भी है।  इस कारण यह सवाल भी उठ रहे हैं कि एचपीटीडीसी के होटलों की आड़ में निवेशकों की नजर कहीं इसकी जमीनों पर तो नहीं थी। जाहिर है कि कैबिनेट की बैठक में इन संपत्तियों को बेचने का मामला होल्ड कर दिया गया था। इसके अलावा टी-टूरिज्म का एजेंडा भी मंत्रिमंडल ने खारिज कर दिया था। बेशक प्रदेश सरकार निवेश को खींचने के लिए जमकर पसीना बहा रही है, लेकिन रियल एस्टेट तथा टी-टूरिज्म के कारण सरकार इन्वेस्टर्स मीट को लेकर बैकफुट पर भी आ गई है।

विपक्ष लगा रहा हिमाचल फॉर सेल का आरोप

ऐसे में विपक्ष बार-बार सरकार को कटघरे में खड़ा कर हिमाचल फॉर सेल का आरोप लगा रहा है। बताते चलें कि घाटे में चल रही एचपीटीडीसी की इकाइयों को निजी हाथों में सौंपने की कवायद लंबे समय से चल रही है। इसकी प्रस्तावना कई बार कैबिनेट में लाई गई है, क्योंकिइस बार इन्वेस्टर्स मीट के आयोजन को लेकर पर्यटन विभाग को निवेश के लिए निर्धारित लक्ष्य दिया गया है। इसी कड़ी में एचपीटीडीसी की 14 संपत्तियों को बेचने का प्रस्ताव वेब पोर्टल पर डाल देने से अब खलबली मच गई है।